देव-उठनी ग्यारस कहिये
या फ़िर कहिये तुलसी विवाह...
हमारे लिए तो ये छोटी दिवाली है...
आँगन धुलवाया है
आखिर वहां कुछ रंगों को सजाना जो है
दिए भी निकल आए धूप में
आख़िर उन्हें शाम को जगमगाना जो है...
सिंघाड़े, शकरकंद उबल गए
बेर, गन्ना, चने की भाजी, गेंहू की बाल...
लगभग हो गया सारा इंतजाम
शाम को भगवान को मनाना जो है...
दिवाली पर अपने घर पर थी
अम्मा-बाउजी, माँ-पापा
चाचा-चाची, भैया-भाभी
और सारे भाई-बहन...
और-तो-और, सारे मोहल्ले की रौनक...
पर आज,
कुछ नहीं,
कोई नहीं,
सिर्फ वही रंग, दिए और यादें...
शायद इसीलिए आज हमारी छोटी दिवाली है...
आप सभी को दिवाली एवं ईद-उल-जुहा की हार्दिक शुभकामनाएं...
बहुत बढिया रचना
ReplyDeleteग्यास की शुभकामनाये
... badhaai va shubhakaamanaayen !
ReplyDelete@दीपक जी, उदय जी... धन्यवाद... आपको भी...
ReplyDeleteछोटी दिवाली के शब्दों को एक नया अर्थ देना , अच्छी रचना है
ReplyDelete@अजय जी... बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDelete@M Verma ji... thank you so much...
ReplyDeleteपूजा आपको व परिवार को भी दिवाली और बकरीद की हार्दिक शुभकामनायें। धन्यवाद।
ReplyDeleteaashadh ke mahine me harishayan ekadashi ke din maanytaa ke anusaar vishuji vishram ke liye chale jaate hain aur aaj devotthan ekadashi ke din uthte hain.. devotthan ekadashi ke hardik shubhkaamna.. hamare yahan shaligram(vishnu) ko jagate hain sandhya kaal... "uthisth uthisth govinda tyaj nidra jagatpate..." is mantrochhar ke saath...
ReplyDeleteअरे पूजा जी ,
ReplyDeleteहायं हमें तो ईद की छुट्टी दे दी है आज ..
ये सरकार भी न जुलुम करती है सच्ची में
मजाक से इतर , आपकी रचना अच्छी लगी
पूजा आपको व परिवार को हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteधन्यवाद।
संजय कुमार
........ प्रशंसनीय रचना पूजा - बधाई
ReplyDeleteकविता का सुन्दर दिया, छोटी दीवाली आपको भी शुभ हो।
ReplyDeleteपूजा जी आपको तुलसी पूजा छोटी दीवाली की बहूत बहूत बधाई !
ReplyDelete21 नव. को गुरुनानक जयंती है उससे पहले 18 नव. को हमारे शहर में भव्य जुलुस (नगर कीर्तन)निकलता है उसकी तैयारी में हम लोग लगे है !
एक ये भी दिवाली है एक वो भी दिवाली थी। दिवाली और ईद की शुभकामनाएं।
ReplyDelete@निर्मला जी, अरुण जी, अजय जी, भैया, प्रवीण जी, अमरजीत जी, राजेश जी... आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDelete@अरुण जी... इस जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद... आज मै भी ऐसा ही करूंगी...
@अजय जी... जुल्म कैसा???
@अमरजीत जी... मैंने भी एक बार इसमें हिस्सा लिया था, जब मैं जबलपुर में थी... अभी से ढेरों शुभकामनाएं...
जबसे भोपाल छूटा है तबसे ग्यारस के दिन दीवाली जैसा कुछ नहीं लगता. मैं दिल्ली में हूँ और ऐसे मोहल्ले में जहाँ किसी को किसी से कुछ मतलब नहीं. आज ग्यारस के दिन न कोई रौशनी न ही कोई आवाज़. सब अपने घरों में कैद और सन्नाटा. आपकी पोस्ट पढ़कर पुराने दिन याद आ गए. धन्यवाद.
ReplyDeleteसुन्दर. बहुत सुन्दर. छोटी दीवाली की शुभकामनाएं.
ReplyDeleteसुन्दर और सामयिक प्रस्तुति
ReplyDelete@hindizen, वंदना जी, कुंवर जी... बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDelete@hindizen... धन्यवाद... और अब तो यहाँ भी कुछ लोग बदलने लगे हैं.
thank you so much for writing a poem on choti Diwali . I listened the song . You are genius . Keep it up . I was reading your blog since long time .
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