बातें...
कुछ कही कुछ अनकही, कुछ गलत कुछ सही
कुछ नई कुछ पुरानी, कभी तुम्हारी कभी हमारी...
पल...
कुछ साथ कुछ अकेले, कुछ सवाँरे कुछ सहेजे
कुछ जिये कुछ खो दिए, कभी हँसे कभी रो दिए
ज़िन्दगी...
कभी ख़ुशी कभी ग़म, कभी हम कभी तुम
कभी होंठ खिले कभी आँखे नम, कभी मिली तो कभी गुम
रिश्ते...
कुछ अपने कुछ पराए, कुछ दिखावा कुछ साए
कुछ जाने कुछ अन्जाने, कुछ भूले कुछ पहचाने...
गीत...
कुछ पुराने कुछ नए, कुछ सुने कुछ सुनाए
कुछ अपने कुछ गैरों के, कुछ गाँव के कुछ शहरों के...
यादें...
कुछ हमारी कुछ तुम्हारी, कुछ साथ जो हमने गुजारी
कभी हांथो में हाँथ, कभी बांहों का साथ...
कभी दिन तो कभी रात...
आँखें...
कभी उठी कभी झुक गईं, कभी शांत कभी बह गईं
इस भीड़ में न जाने तुम्हे कहाँ-कहाँ ढूँढा, जहाँ तुम मिले वहीँ रुक गईं...
अभी-भी...
कुछ बातें करनी बाकी हैं...
कुछ पल जीना बाकी है...
कुछ ज़िन्दगी के मकसद बाकी हैं...
कुछ रिश्ते निभाना बाकी है...
कुछ गीत जो गुनगुनाए नहीं...
कुछ यादें जी याद नहीं...
इन आँखों से न जाने कैसे-कैसे मंज़र गुज़रे...
और एक हम हैं, जिन्हें
अभी-भी ठहरना बाकी है...
कुछ अश्क़...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgRIggxFwzF2_tSvd8979h_gmi20nmiDXEPk5S9bKSRbAQXYMBhhddAMhky6HLsrOmZSpxfdMHOOA5lAoivjcuhoH4MJ89wfnBVaPYtcYuC-Oag5WKk8GbZ0NBK3xc56y_9Omx8N1F00KI3/s320/x1NO-163-1.jpg)
कुछ अश्क़ बहे यहाँ आने से पहले...
कुछ बहेंगे यहाँ से जाने के बाद...
उन अश्को में समाया था डर,
इन पर होगा यादों का ताज...
डर था,
इस दुनिया में आने का, इसे जानने का, समझने का
इसे पहचानने का...
और यादें रह जांएँगी
उन रिश्तों की,
जो जाने-अन्जाने बस यूँ ही बन जाते हैं
और अपनी प्यारी-सी महक अपने पीछे छोड़ जाते हैं...
समाचार...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjfEAmDYb9du41QZld2JzKDJk7_V7p4kOpujOxDn1nENHM4a1wVYI-lu3iLdZPzf6yazYFUDEFquKRJST0qZ0_0QY7WQeHHvhXuu-pFcdt_UBhsAS6G3pwry2Ri2DOpeGEmFsTiVBhCfRpZ/s320/index_235955593.jpg.png)
समाचार... NEWS{North East West South}
खबरें... आजू-बाजू की, अडोस-पड़ोस की, गली-मोहल्ले की, गाँव-शहरों की, जिले-राज्य की, देश-विदेश की...
ढेर साड़ी खबरें... यानी खबरों का पुलिंदा...
याद करो... जब किसी से मिलते हैं, या फ़ोन करते हैं... सवाल:- "और क्या हाल समाचार हैं?" या जवाब "आगे के समाचार यह हैं की"
मतलब, रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाला शब्द...
अब यदि इसका संधि-विक्छेद करें तो... समाचार:- सम+ अचार {some pickle}
अचार... कभी खट्टा,कभी मीठा, कभी तीखा, तो कभी चटपटा... पर कभी-कभी सड़ा हुआ भी निकल जाता है...
चाहे खट्टा हो, मीठा हो, तीखा हो या चटपटा... हमारे पूरे खाने का स्वाद बढ़ा देता है... और सबसे ज्यादा पसंद तो चटपटा ही किया जाता है... पर यदि धोखे से सड़ा निकल गया तो पूरा-का-पूरा स्वाद भी बिगाड़ देता है...
बस यही हाल हमारी खबरों का भी है... यदि अच्छी है तो ठीक है, वरना कभी-कभी तो ऐसी-ऐसी खबरें सुनने को मिलती है की लगता है कि क्या वाकई ऐसी खबरों को सुनने या देखने वाले हैं हमारे देश में???
याद है, पहले सिर्फ दूरदर्शन {DD} ही एकलौता channel था,
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgDddAOX3Kow57bUCkHHkNjOZL0wCWJm6F_VmO4EcXD9NHCMnZQfX6eq1AVsjZvCShEoflLZt9o-qtvExJzyso8lkuTyQQ0lNADt1Bef_SI8yp-afDD62QZfllC45VSD81rFq1yraqIuZDQ/s320/images.jpg)
पर अब, अब तो जैसे news-channels कि बाढ़ सी आ गयी है... बस आप channels बदलते जाइए और आपकी TV screen ढेर सारे news-channels मिलते जायेंगे... अलग-अलग प्रदेश कि, अल-अलग भाषाओँ के, परन्तु जो दो सबसे प्रचलित भाषाएँ हैं, हिंदी एवं इंग्लिश, उनके तो जैसे भरे पड़े हैं... कई news-channels तो या सिर्फ खेल जगत की खबरों के प्रसारण के लिए होते हैं, कुछ व्यवसाय से जुड़ी या फिर लोकसभा या राज्यसभा से जुड़ी खबरों के प्रसारण के लिए होते हैं...
अब यदि इतने news-channels हैं तो इनके फायदे और नुक्सान भी हैं...
फायदे... सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि, अब हमें सुबह से दोपहर या दोपहर से शाम तक का इंतज़ार नहीं करना पड़ता है समाचार जानने के लिए, बस घटना घटी या दुनिया में कहीं भी किसी भी कोने में कुछ हुआ और उसकी खबर हम तक पहुँच जाती है... वरना पहले, यदि धोखे से रात के समाचार नहीं देख पाए तो दुसरे दिन तक इंतज़ार करना पड़ता था, अखबार का... और-तो-और ये news-channels कुछ बड़ी जनहानि वाली घटना घटने पर कई help-lines भी चलते हैं, जो बहुत ही मददगार साबित होती हैं... जैसे, 26/11, या train accidents...
अब आप कहेंगे कि इतने सारे फायदे हैं तो नुकसान कैसे? वो ऐसे, कि खबरें उतनी नहीं हैं जितने उन्हें हम तक पहुँचाने वाले... अब ये लोग ऐसे में करें भी तो क्या करें??? तो इसका भी हल होता है इनके पास... या तो किसी बड़ी खबर {जो उस दिन की सबसे बड़ी खबर हो} को दिनभर देखाते हैं, उसपर लोगों से उनके विचार पूछते हैं, अपने विचार व्यक्त करते हैं, पोलिंग करवाते हैं, या चर्चाएँ बिठाई जाती हैं... और वैसे भी हमारा देश एक ऐसा देश है जहाँ दिन-रात कुछ-न-कुछ घटता ही रहता है, तो इन channels वालों को ज्यादा तकलीफ नहीं होती...
खैर... चलिए, कोई समाचार देखते हैं... देखते हैं कहाँ क्या हो रहा है... ;-)
बस यूँही ही खबर सुनते रहिये, सुनाते रहिये... एक-दुसरे की खबरों में बने रहिये...
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