हुआ यूं, कि बर्थडे में माँ को गिफ्ट देने पर विचार चल रहा था कि क्या दें और क्या नहीं... क्योंकि माँ जो चाहती हैं उन्हें मिल जाता जाता है, तो कुछ ऐसा नहीं था जो वो चाहती हों और उनके पास न हो...
तो मैनें उन्ही से पूछ लिया कि उन्हें क्या गिफ्ट चाहिए... पहले तो उन्होंने मना कर दिया कि "कुछ नहीं चाहिए", पर बहुत जिद करने पर बोलीं कि "फ़िर जो चाहिए वो तुम दे नहीं पाओगी।"
मैं भी सोच में पड़ गई कि ऐसा वो क्या माँगने वालीं हैं???
पहले तो लगा कि फॉर वही शादी कि बात होगी, फ़िर लगा कि चलो जो होगा वो देखा जायेगा... मैंने भी कह दिया कि "ठीक है, आप मांगिये आपको जो भी माँगना है, मेरे बस का हुआ तो पक्का दूंगी।"
उन्होंने कहा कि "तुम्हारे बस का ही है, बशर्ते तुम दोगी"
मैंने कहा... "ठीक है, आप मांगिये"
फ़िर तो जो माँ न कहा वो bouncer ही था...
उन्होंने कहा कि "मुझे तुम्हारा time चाहिए, तुम तीन दिन हम सबके साथ रहोगी। और उन दिनों में कोई काम नहीं और न ही blogging... "
फ़िर मैं करती भी क्या, चुपचाप उनकी आज्ञा का पालन किया और अच्छी बिटिया कि तरह पहुँच गई उनके पास... और तीन दिन न e-mails, न blogging, और ही ऑफिस का काम, हाँ बस mobile से दिन में एक बार फेसबुक स्टेटस अपडेट कर दिया...
3 को माँ-पापा के पास पहुंची, मस्त उन्हें खाना-वाना खिलाया.... उस दिन माँ को रसोई से छुट्टी दे दी थी... वैसे भी काटने-बीनने का काम नौकर कर देते हैं पर माँ को उस दिन खाना भी नहीं बनाने दिया... 4 को भे यही था, हाँ खाने में कुछ खास लोगों को बुलाया था, माँ कि एक सहेली भी थी, जो उनके साथ स्कूल में थीं...
5 को सोन-घड़ियाल सेंचुरी गए थे, मगर शाम हो जाने के कारण सिर्फ प्रजनन-केंद्र देखा... उसके बारे में अगली पोस्ट में बताउंगी...
मगर हाँ, कई दिनों बाद सबके साथ इतना time spend करके बड़ा अच्छा लगा...


ये रहा माँ के बर्थडे का केक...
आप भी enjoy कीजिये...