आइये आइये आइये...
आज फिर यहीं...
कुछ अलग{शायद}...
कुछ नया{शायद}...

{ये फोटो है प्रयोग का पहला शिकार}
न जाने मैं ऐसे काम क्यों करती रहती हूँ??? :)
आज फिर यहीं...
कुछ अलग{शायद}...
कुछ नया{शायद}...
खैर... हाँ जी तो ये विचार आया, जोशी डेनियल {JD} के फोटोस देखने के बाद...
और यहाँ तो बस हमेशा कुछ-न-कुछ करने में दिमाग घूमता ही रहता है... सो, मैंने ये बात JD से पूछी की क्या हम ऐसा कर सकते हैं, जहाँ फोटोस उनके क्लिक किये गए हों और लाइंस मेरी हों...
कभी-कभी होता हैं न कुछ चीज़ें देखकर आप अपनेआप को रोक ही नहीं पाते, और न ही आपकी कलम शांत बैठती है...
कभी-कभी होता हैं न कुछ चीज़ें देखकर आप अपनेआप को रोक ही नहीं पाते, और न ही आपकी कलम शांत बैठती है...
और यहाँ तो JD को भी आईडिया भा गया...
तो बस, चल पड़े ये आईडिया को प्रदर्शित करने... और ब्लॉग से अच्छा ज़रिया और कहाँ...
तो आज आप लोग ये भी झेलिये... :)
तो बस, चल पड़े ये आईडिया को प्रदर्शित करने... और ब्लॉग से अच्छा ज़रिया और कहाँ...
तो आज आप लोग ये भी झेलिये... :)
{ये फोटो है प्रयोग का पहला शिकार}
{और इसके लिए जो लाइंस खोजी हैं (अभी तो पुरानी पंक्तियाँ ही हैं, नए पर काम जारी है) वो ये हैं} :-
यदि जानना चाहते हो मुझे...
तो कभी फुरसत से,
तन्हाई में
शांत मन से
पढ़ना उन अधूरी लाइनों को
उन अधूरे पन्नों को
जो अभी भी उस डायरी में मौजूद हैं...
जो मेरे सिराहने कही रखी है...
न जाने मैं ऐसे काम क्यों करती रहती हूँ??? :)