एक शुरुआत... अंत के बाद...

मंज़िल मेरी भी वही है
जो तेरी है...
जाना मुझे भी वहीं है
जहाँ तुझे है...
फ़र्क है तो बस इतना...
कि मैं जला दी जाउंगी और
तुझे दफनाया जाएगा...

तो क्यूं न एक काम करें...
सौंप दे अपने आप को
इस दुनिया के हाँथ में
मरने के बाद
और तत्पश्चात हम जिन्दा रहेंगें...
किसी की आँखों में
किसी के दिल में
किसी और के
किसी हिस्से में...

फ़िर तेरा और मेरा सफ़र एक जैसा होगा...
जैसी तेरी कहानी होगी, वैसा ही मेरा भी फसाना होगा...

और हम एक नई शुरुआत करेंगे
अपने अंत के बाद...

55 comments:

  1. बहुत सुंदर... रचना का सन्देश बेहद प्रभावी ..... मरने के बाद यूँ जिंदा रहा जा सकता है....

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  2. @Dr. Monika... Thank you so much... I wish to live always...

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  3. A beautiful thought. मर कर भी ज़िन्दा रहने की चाहत हर किसी मे होनी चाहिये । A good message for donating your body parts.

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  4. @Dipayan ji... thank you so much... hmmm me also support the thought...

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  5. आपने कविता के माध्यम से बहुत ही अच्छा सन्देश दिया है. यह सन्देश जन-जन को मिले अपितु जन-जन इसे समझे और अपने पर लागू करे. अच्छी शुरुआत तो है ही ये, अच्छा अंत भी है!

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  6. @Vandana ji... thank you so much Mam... Amen...

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  7. @Mahendra ji... dhanyawaad...

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  8. कविता के माध्यम से बहुत ही अच्छा सन्देश दिया है.
    ..बहुत ख़ूबसूरत...ख़ासतौर पर आख़िरी की पंक्तियाँ....मेरा ब्लॉग पर आने और हौसलाअफज़ाई के लिए शुक़्रिया..

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  9. @Sanjay jee... bahut bahut dhanyawaad... ji bas koshish jaaree hai...
    aur rahi aapke blog per houslaafzaai kee baat to aap to kavita likhne me maahir hai to ek taareef to meri taraf se bhi bantee hai na...

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  10. @Sanjay ji... thank you so much...

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  11. "फिर तेरा और मेरा सफ़र एक जैसा होगा ........" बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  12. @Subramaniyam ji... bahut-bahut shukriya...

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  13. @ ........जलाना ..........दफनाना .......
    आग हो या माटी ! जीव का पञ्च तत्व से सम्बद्ध आगम और अवसान !! तटस्थ चिंतन कर , जीवन इस दर्शन से ही निकलता है फिर आगे विश्व का कोई कोना हो या कोई जाति ! सुन्दर फलसफे की ओर प्रस्थान !

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  14. @Amrendra ji... Dhanyawaad... ji bas yahi samajh jaroori hai...

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  15. मरने के बाद ज़िन्दा रहने के जज़्बे के साथ सुन्दर और सार्थक संदेश दिया है……………बेहद खूबसूरत भाव दिये हैं।

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  16. @Vandana ji... utsaahvardhan ke liye bahut bahut shukriya Mam...

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  17. kavita ke maadhyam se bahut acchhi baat kah di hai aapne...marane ke baad bhi jinda rahane ki tarakeeb...aabhaar

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  18. हम अपने अस्तित्व को ऐसे ही तो शाश्वत बना सकते हैं !

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  19. @Arvind ji and Rachnaji... bahut-bahut dhanyawaad... bas koshish jaree hai...

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  20. @Arvind Mishra ji... ji... sahmati ke liye dhanyawaad...

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  21. pooja - atiutam****

    rashtriy ekta aur manvta ka path aap ne badi khubsurti va saralta se diya hai.

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  22. उत्तम रचना...

    एक उम्मीद फिर भी जिन्दा रहे...

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  23. @Aditya ji, Udan Tashtari ji... bahut bahut dhanyawaad... koshishe jinda rahtee hai...

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  24. हम जिंदा रहेंगे ... किसी की आँख में, किसी के दिल में ..........
    और यही होगी हमारे अस्तित्व की पहचान ... बहुत ही बढ़िया

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  25. Bahut-bahut dhanyawaad Mam...
    ji bas isi astitva ko jinda rakhna hai...

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  26. बहुत अच्छा संदेश दिया है आपने.

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  27. Thank you so much Shahid jee...

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  28. 6/10

    आमीन
    बहुत सुन्दर सोच है.
    दुनिया को प्रेम की जरूरत ज्यादा है.

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  29. पूजा आपकी हिम्‍मत और जज्‍बे को सलाम।

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  30. Thanks Pooja
    keep writing............all the best

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  31. पश्न - मंजिल .............................. अंत के बाद
    इस प्रसंग की सन्दर्भ सहित व्याख्या करो ?

    उत्तर -
    सन्दर्भ -- प्रस्तुत गद्यांश ( न की पद्यांश ) पूजा शर्मा नामक एक घरेलु लेखिका के ब्लॉग से ली गयी है .
    प्रसंग -- ये आज तक इन की किसी भी कविता में स्पष्ट नही हुआ
    व्याख्या -- इन के चमचो के अनुसार एक हिन्दू लड़की को एक मुस्लिम लड़के से प्यार हो गया है पर धर्म बाधा है .(लड़की जलाई और लड़का दफनाया जाता है ).
    तो मरने के बाद साथ में रहने की बात की जारही है .और देह दान का संकल्प लिया जा रहा है .

    निष्कर्ष -- ये कविता आत्महत्या के लिए प्रेरित करती है

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  32. सार्थक रचना |बधाई
    आशा

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  33. शाबाश !
    कमाल का लिखा है , मैं यह कर चुका हूँ ...किसी से तारीफ पाने के लिए नहीं बल्कि म्रत्यु के बाद जिन्दा रहने के लिए ! और ऐसा करके मैं वाकई जीवित रहूँगा पूजा !
    पर इस कविता को समझ पायेंगा कोई ??
    इस दान से बड़ा कोई दान नहीं ! अगर वास्तव में इच्छा है कुछ अच्छा करने की ...तो मैं हार्दिक शुभकामनायें देता हूँ !

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  34. .
    .
    .
    सुन्दर भाव,

    आभार आपका!


    @ बेनामी,

    या तो नाम के साथ कमेंट करो या फिर चुल्लू भर पानी में डूब मरो।



    ...

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  35. बहुत बढ़िया सुंदर कविता, कविता के साथ साथ एक संदेश जो आपने दिया वो सराहनीय है जब लोग धर्म के नाम पर आपस में लड़ रहे है ऐसे में प्रेम की बात और मृत्यु के बाद अमूल्य शारीरिक अंगो के दान की बात से आपने जो सन्देश दिया सराहनीय है !

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  36. Aaj ek baar fir toone ham sabka sar fakra se oonchaa kar diya. To sign karne k baad yahi kar thee aap? Bahut acchhee aur sacchee, ekdam tumhari tarah.

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  37. क़यामत - जलजले का बाप26 October 2010 at 11:30

    चिल्लू भर पानी में तो पूजा और तुम जैसे उस के चमचो को डूब मरना चाहिए जिन्हों ने अपनी गन्दी हरकतों के किसी को बदनाम कर नयी जंग छेड़ दी है .
    पिछली पोस्ट के शीर्षक की डरपोक ये खुद ही थी .
    एक बात और , शिष्ट भाषा की अपेक्षा रखता हू , मैं डा. दिव्या या विश्वनाथ जी नही , ईट का का जवाब पत्थर से दूंगा .
    क़यामत - जलजले का बाप

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  38. @Sudheer ji, Ustaad ji, Rajesh ji, anjay ji, Asha ji, Sateesh ji, Praveen ji, Sangeet ji, Amarjeet ji, and Archita... Thank you so much...

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  39. @Ustaad ji... aapke in marks ke liye shukriya... kyonki mai aapki ratings kai blogs mei dekh chuki hoon... dhnyawaad...

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  40. @Sateesh ji... ji mai bhi is or agrasar ho chukee hoon, maine taareef paane ke liye nahi kiya, bas man kiya so decision le liye... aur sign karne ke baad laga ki doosron ko bhi prerit karna chahiye, so likh diya... acchha lagta hai... dhanyawaad...

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  41. एक सामयिक रूपक आपका इंतजार कर रहा…।
    http://shrut-sugya.blogspot.com/2010/10/blog-post_26.html

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  42. बढ़िया रचना है...एक प्रभावी सन्देश लिए हुए.

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  43. इस कविता में निःसंदेह एक समाजोपयोगी संदेश है।

    संदेशप्रद कविता कभी क्षणजीवी नहीं हो सकती; वह जीती है...लम्बे समय तक जीती है। फिर चाहे समीक्षा उसे सिरे से ही क्यों न खारिज कर दे... वह तब भी जियेगी।

    ऐसी अगणित कविताएँ हैं जिन पर समीक्षकों की नज़रे-इनायत नहीं हुई... तथापि वे लोगों के दिल में उतरकर, लोगों की ज़ुबान पर चढ़कर वर्षों से जीती चली आ रहीं हैं।

    मैं यह तो नहीं कहता कि आपकी यह रचना कालजयी है। हाँ... इसमें कोई दो राय नहीं कि आपने सफलतापूर्वक वह प्रेरणा दी है जो आप देना चाहती थीं... और जिसकी समाज को ज़रूरत भी थी।

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  44. apne mere blog k liye woqt nikala, bahut acha laga. pahli bar apke blog ko padha, jitna patha maja aya.

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  45. Aise hee soch ki samaaj ko jarurat hai..kaash aisa sab log soch paate :)
    badhiya likha hai Pooja Ji :)

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  46. @सुज्ञ जी, रश्मि जी, जीतेन्द्र जी, भूपेश जी, शैलेश... बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  47. दफनाए जाओ चाहे जला दिए जाओ
    मिटटी में चाहो या आग में समाओ,
    मर कर भी जिन्दा रहने की ये हसरत,
    पुरानी हुई अब कुछ नया भी बताओ,

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