यदि जानना चाहते हो मुझे... तो कभी फुरसत से, तन्हाई में शांत मन से पढ़ना उन अधूरी लाइनों को उन अधूरे पन्नों को जो अभी भी उस डायरी में मौजूद हैं... जो मेरे सिराहने कही रखी है...
aap sabhi ka bahut-bahut dhnyawaad... @Sanjay ji... bas koshish kartee hoon, par aapne kuchh jyada hi tareef kar di @Dipti... sure @Sanjeev ji... yes @Monika ji... yahi to dikkat hai, thank you
कुछ ही शब्दों की कविता ,लेकिन पूरे एक युग की कहानी का बयान करती हुई...अच्छी रचना।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना....धन्यवाद|
ReplyDeleteचंद शब्दों में गहरी बात कहना कोई आपसे सीखे...बहुत अच्छी रचना...
ReplyDeleteइसे ही प्यार कहते हैं ---कोई समझे न समझे , करने वाले करते ही रहते हैं....
ReplyDeleteहर व्यक्ति के सिरहाने कुछ न कुछ अधूरा रखा होता है। हर व्यक्ति अपने को अधूरा पढ़ा महसूस करता है। वह चाहता है कि कोई उसे पूरा पढ़े।
ReplyDeleteachhi kavita
ReplyDeletekabhi yaha bhi aaye
www.deepti09sharma.blogspot.com
Individuals and relationships are so complicated, so difficult to reach conclusion.
ReplyDeleteबहुत गहरे भाव!
ReplyDeleteअच्छी कविता है :)
ReplyDeletesachmuch kyon nahi pahunchta koi un panno tak.... bahut khoob pooja .....
ReplyDeleteaap sabhi ka bahut-bahut dhnyawaad...
ReplyDelete@Sanjay ji... bas koshish kartee hoon, par aapne kuchh jyada hi tareef kar di
@Dipti... sure
@Sanjeev ji... yes
@Monika ji... yahi to dikkat hai, thank you
Really beautiful..lines.
ReplyDeletethank you so much Veerendra...
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