आज BBC में एक न्यूज़ आई कि एक मोबाइल सेवा कंपनी ने अपना नेटवर्क माऊंट एवरेस्ट तक पहुंचा दिया। पढ़कर अच्छा भी लगा और आश्चर्य भी हुआ, कि हम ज़मीन में रहने वालों को अभी यह सुविधा प्राप्त नहीं हुई और माऊंट एवरेस्ट पहुँच गयी।
Ncell नाम की एक नेपाली फर्म है जो की TeliaSonera नामक स्वीडिश कम्पनी की है, जिसने ये काम किया है।
अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर पूरी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं।
http://www.bbc.co.uk/news/world-south-asia-11651509
हो सकता है कि आप लिंक को copy करने में असमर्थ हों, इसीलिए लिंक यहाँ भी है...
ReplyDeletehttp://www.bbc.co.uk/news/world-south-asia-11651509
blogger के कमेन्ट पेज की ये दुविधा है की लिंक को लिंक के रूप में show कभी नही करता !
ReplyDeleteमाउंट एवरेस्ट की बात तो नहीं कह सकती, मगर हाल फिलहाल मैंने २-३ हिल स्टेशन में घूमने के लिए गयी थी. वहाँ ऐसे-ऐसे जगहों में भी गयी जहाँ फोन की सुविधा का होना, हमारे यहाँ से भी जरूरी है. अपने लिए नहीं वहाँ पर रह रहे लोगो की तरफ से सोच के यह कह रही हूँ.
ReplyDelete@अनूपम जी... जी नहीं, बात ये है की वो लिंक कोई डाईरेक्ट्ली कॉपी नहीं कर पायेगा मेरे पोस्ट से...
ReplyDelete@वंदना जी... जी आपकी बात बिलकुल सही है, की उनके नज़रिए से देखे... परन्तु आज भी हमारे देश में कई ऐसे गाँव, यहाँ तक की शहर है जहां सिब्ग्नल की प्रोब्लम आए-दिन सुनने को मिलती है... धन्यवाद अपने विचार बताने के लिए...
जमीनी वास्तविकताओं के बारे में सोचता ही कौन है आजकल।
ReplyDelete@प्रवीण जी... जी सोचने के नज़रिए अलग हैं... बस... धन्यवाद पधारने हेतु...
ReplyDeleteits g888888
ReplyDeleteZaroor aayega thoda sabra kare....pooja ji
देखते रहिये, थोड़े दिन में हो सकता है रिंग आये और caller कहे हेल्लो , मैं चाँद से बोल रहा हूँ. क्या आप ज़मीन पर हैं?
ReplyDeleteविज्ञान है ,विज्ञान............
कुँवर कुसुमेश
ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com
@भैया, कुंवर जी... धन्यवाद...
ReplyDelete@भैया... जी बिलकुल... देखते है कितना मीठा होगा ये फल...
@कुंवर जी... जी सही कहा... आगे तो बढेंगे ही भले ही पीछे का पूरा हाल बेहाल ही क्यूं न हो...