कल बड़ी ही मजेदार घटना हुई... और न जाने क्यूं रह-रह कर मुझे अभी तक हंसी भी आ रही है... अच्छा आप में से कोई भी मुझे एक बात बताइए, यदि आप मेरे ब्लॉग पढ़ते हैं, जब सही लगता है तो तारीफ़ करते हैं और जब गलत तब मुझे बताते भी हैं... और जहाँ तक मुझे याद है, मैंने यदि गलती की है तो स्वीकार भी है, और उसे सुधारने की पूरी कोशिश भी की है, यहाँ तक कि जिन भी ब्लॉग में गयी हूँ, वह भी यदि किसी न लिखने वाले को गलती बताई है तो उसने मानी है... पर कल एक ब्लॉग पर गयी, वह कुछ ऐसी बातें लिखी गयीं थीं मै जिनसे बिलकुल भी सहमत नहीं थी, सो मैंने ऐतराज़ जताया, तब लिखनेवाले व्यक्ती न मुझे बड़ी ही अभद्रता से जवाब दिया, और-तो-और अपनी बात को सही साबित करने हेतु उन्होंने अजीब-सी बातें सामने रखीं, जब मैंने उन्हें भी काट दिया, उन बातों को गलत ठहराया और साबित भी कर दिया, तब रचयिता न बड़ा ही अजीब-ओ-गरीब जवाब प्रस्तुत किया, जो मुझे नागवार लगा... मैंने उसपर भी कटाक्ष किया और दूसरे तथ्य सामने रखे... तब उन्होंने मुझे वापस उत्तर नहीं दिया... रात हो चुकी थी सो मुझे लगा कि शायद उन्होंने निद्रासन की और प्रस्थान कर लिया... पर आज सुबह जब मैंने उनके उत्तर हेतु उनका ब्लॉग विसिट किया... तो जवाब तो नहीं ही थे, मेरे कमेंट्स भी मिटा दिए गए थे...
अब मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि उन्होंने ऐसा क्यूं किया??? या तो डर, कि उन्होंने फ़िर कोई जवाब दिया और मै उसे भी गलत साबित कर दूंगी या फ़िर वो निरुत्तर होंगे... परन्तु मेरे कमेंट्स मिटने का अर्थ मुझे अभी-भी समझ नहीं आया...
जहाँ तक मैंने इस ब्लॉग की दुनिया को जाना है, सीधी-सी बात कि यहाँ आपसे भी होशियार लोग हैं, तो उनकी बातें सुननी चाहिए... और हो सकता है आप जो कर रहे हो गलत हो, तो मानना भी चाहिए... परन्तु अपने-आप को सही साबित कने के लिए कभी-भी अभद्रता का, या ऐसे किसी कार्य का सहारा नहीं लेना चाहिए जो आपके डर को, आपके अहम् को प्रस्तुत करे...
मैंने तो जो कुछ, थोडा-बहुत सीखा है यहीं आप लोगों से ही सीखा है, क्योकी मेरे पास कोई लेखकों का आधार नहीं है... सही मायनों में, मेरे घर पर सिर्फ लोग सिर्फ पढ़ते हैं या पढ़ा हुआ लिखते हैं... उन्हें लिखने में कोई रूचि नहीं है...
हो सकता है यहाँ कुछ लोग मेरी बातों से सहमत न हों, तो कृपया मुझे बताएं... आपके कमेंट्स का स्वागत है...
धन्यवाद...
Do not worry keep doing what you like.Don't worry what people do and say
ReplyDeleteSab se badaa rog kyaa kahenge log.
Thanks for your comments:
Few more poems ,which probably you have not read:जुबान
उनकी बातों को दिल से ना लगाना
उन्हें तो आता है सिर्फ मखौल उड़ाना
उनकी बेबसी पर तरस आता है"निरंतर"
कितने सताए गए होंगे?
कितने निराश हुए होंगे ?
जुबान की मिठास ही खो दी
दुआ करता हूँ खुदा उनको सुकून दे
मीठी जुबान उन्हें वापस कर दे
09-08-2010
सोचता तो हूँ
सोचता तो हूँ"निरंतर",
पर बोलता नहीं,
बोला तो समझेगा नहीं कोई,
सच कोई सुनना नहीं चाहता,
झूठ बोला नहीं जाता
वो वक़्त भी आयेगा
जब सच सुनना होगा,
झूठ से बचना होगा,
मुझे जानना होगा ,
मुझे पहचान ना होगा....
08-08-2010
अंदाज़
कल क्या होगा किसने जाना
किसे जाना, किसे पहचाना
जो करना है वो कर ले आज
जिंदगी जीने का "निरंतर"
अपना तो है यही अंदाज़
07-08-2010
heheheheeeee
ReplyDeleteवैचारिक पराजय किसी को नही पचती है .
ReplyDeleteहाजमोला खाओ , सब हजम
@Dr. Rajendra ji N Abhishek ji... thank you for comments...
ReplyDelete@Dr. Rajendra ji... parantu aapne jo likha usme to aapko poora confidence hona chahiye na...
@Abhishek ji... baat vaicharik matbhed kee nahi, waran sahi galat hone kee hai... Dhanyawaad...
पूजा,
ReplyDeleteबधाई कि आपने यह बात यहां अपने ब्लाग पर उठाई। मैंने आपकी टिप्पणियां वहां देखीं थीं। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मैं भी आपके तर्कों से सहमत हूं। बल्कि यह कहूं कि अगर विस्तार में कहना चाहता तो मैं भी कुछ इसी तरह की बात कहता।
संयोग से केवल आपकी ही नहीं मेरी टिप्पणी और उस पर ब्लागर का जवाब और ऐसे कई अन्य लोगों की टिप्पणी वहां से हटा दी गई है जो उस पोस्ट में व्यक्त विचारों से सहमत नहीं थे। और अब तो वहां नए कमेंट की भी मनाही है।
मैंने अपनी बात ब्लागर को ईमेल के जरिए भेज दी है।
और आपकी इस पोस्ट का शीर्षक- डरपोक ब्लागर से सामना- की बजाय- एक डरपोक ब्लागर का पलायन- होना चाहिए। सामना बहादुरों से होता है डरपोकों से नहीं।
आपकी पोस्ट में उस ब्लॉग या ब्लॉगर का जिक्र रहता तो बात ज्यादा स्पष्टता से समझ सकते थे। इसी तरह का अपना एक अनुभव बताता हूँ। कल एक पोस्ट देखी, असहमति थी तो अपनी समझ से कुछ कमेंट किया। उन सज्जन ने मेरे अलावा और भी बहुत से कमेंट डिलीट कर दिये। हमने तो खैर कल रात दोबारा कमेंट किया, बाकायदा सेव करके, वो अभी तक बचा हुआ है। लिंक ये है -
ReplyDeleteनया जमाना
सवाल ये है कि जब आलोचना या असहमति बर्दाश्त नहीं है तो या तो कमेंट ले ही नहीं या मोडरेट करें। हां, भाषा अशालीन या अमर्यादित है तो जरूर हटायें।
आपकी बात पर कोई राय नहीं और अपना दुखड़ा रो दिया, हा हा हा। आप भी चाहें तो डिलीट कर सकती हैं:)
हा..हा..हा...हा...हा....यहाँ ऐसा ही है.....धरती पर सब-के-सब स्वनाम-धन्य बुद्धिमान तो होते ही हैं....बेशक यह उन्हें पता हो-ना-हो कि वो कितने पानी में हैं....!!!है ना....???
ReplyDelete@Rajesh ji... ji bas aap samajhh gaye...baat wahi ki hai...Aur "PALAYAN" shabd kee baat acchhee lagee, parantu saamna isliye likha kyonkee wo abhi bhi aham ke sinhasan par hi viraajmaan hain... Dhanyawaad...
ReplyDelete@Mo Sam Koun ji... nahi nahi aapka comment delete karne kee baat hi nahi hai... maine isiliye post par hi dhanyawaad de diya hai... rahi baat unka zikra yaha na karne kee to wajah yah hai kee unkee post mujhe na to acchhe lagee aur na hi insaan... unme ego hai, aur mere Nana ji kahte the ki koi buree cheez apne paas bhi phatakne mat do khaastour wo jisme aham ho warna aap par uska asar hone lagta hai... haan yadi aapko unhe padhna ho to kripya apna mailing address de mai link awasyha send kar doongee...
ReplyDelete@Rajeev ji... baat to sahi hai... parantu apni budhhee ka upyog yadi aap acchhe soch mei lagaye tab to baat hai... aur yadi aap doosron ko kah rahe hai to sunne kee kshamta honee chahiye... aane hetu dhanyawaad...
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ReplyDeleteकुछ लोग अपनी आलोचना से आक्रामक हो उठते हैं ...मगर इससे क्या ?
ReplyDeleteछोडिये आगे बढिए !
ब्लॉग या ब्लॉगर का जिक्र रहता तो बात ज्यादा स्पष्टता से समझ सकते थे।
ReplyDeleteअक्सर ये बाते देखने को मिलती है की जब हम किसी की लेख या रचना पर टिपण्णी करते है और वो टिपण्णी रचनाकार को पसंद नहीं आती तो उनकी और से उल जुलूल बाते को आधार बनाकर तर्क प्रस्तुत किये जाते है और जब उसमे भी बात नहीं बनती तो या तो आपके कमेंट्स को नजरंदाज कर दिया जाता है या पूरी की पूरी टिपण्णी ही गायब कर दी जाती है ! कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी हुवा हद तो तब हो गयी जब मेरे नाम से टिपण्णी लिख कर दुसरे के ब्लॉग में पोस्ट की गयी जिसमे इतनी अमर्यादित और अश्लील भाषा का उपयोग किया गया था की पड़कर बहुत बुरा लगा जिसके ब्लॉग में टिपण्णी पोस्ट की गयी थी मुझे उससे माफ़ी भी मागनी पड़ी!
ReplyDeleteचतुर्वेदी जी ने तो कल मेरी भी 2-4 टिप्पणियाँ उड़ा दी थीं…
ReplyDeletekadwai dawai har bacchha nahi pee sakata hai --
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ReplyDelete@Anonymous... mai aapke comments delete kar rahi hu... karne ka kara bhi bata deti hu, blog mera hai aur mai kisi blogger ka naam nahi lena chahtee to aapko hak nahi banta ki aap aisa kaam kare, doosree baat ki abhdra bhasha ka prayog har kisi ko aata hai parantu use upyog mei lana mere fitrat nahi... jo ki aapne kiya... gadangee karna aur rakhna dono mujhe pasand nahi hai... haan aap apne naam ke saath hote to baat kuchh hoti shayad...
ReplyDelete@Arvind ji, Sanjay ji, Amarjeet ji, Suresh ji, Poorviya ji... aap sabhi ka dhanyawaad...
ReplyDelete@Sanjay ji... us blogger ya blog ka zikra na karne kee wajah maine already oopar ek bandhu ko de di hai... kripya dekh le... waise dhanyawaad...
@ZEAL... ghatiyapan kee had jaisi baaten aapke muh se acchhee nahi lagateen, aur shayad aapne padha nahi ki mujhe hasi aa rahi hai, jo aapko yaha dekhkar fir se aane lagee... aur aapkee id ka blog banakar mai apni hi nazaron mei nahi gir saktee kyonkee duplicacy hame nahi sikhai gayi, hamme himmat hai so yaha likhee apni baat... aur yahan to aapka naam hai hi nahi fir aap khud ko kyoon har jagah prastut karne khadi ho jaatee hain ya akai sharmanaak baate sunne ka shouk hai...
ReplyDeletesaarthak lekh mere liye wahi hai jo mujhe acchha lage aur saath hi saath kisi k man ko thes na pahuche aur mai wahi likhtee hu jiske jawab mere paas hote hain... rahi baat kavita likhne kee to aap uskee chinta na kare, mai wo karya kar rahee hu, aur mujhe kis subject par likhna hai ye mai decide karungee... sahanubhooti apne paas rakhe, aapko hamesha jaroorat padegi... haan sabse jarooree baat... aaindaa yaha na aaye... ye blog mere liye us ghar jaisa hai jaha mai gande log bardasht nahi kar saktee... vinamra nivedan kar rahi hu... dhyaan rakhiyega...
कुछ समझ नही आता पूजा जी ऎसा क्यों होता है? वैसे मुझे लगता है आप परेशान न हों। ये जरूरी नही की हर बात हमारी मर्जी से ही हो।
ReplyDelete@NK... ji aapki baat shai hai... mai pareshaan nahi hu, bas kabhi-kabhi faaltoo mei logo pareshaan dekhtee hu to aascharya hota hai... padharne ke liye dhanyawaad...
ReplyDelete@ALL... yaha se teen comeents delete kiye gaye hai... do ka karan mai bata chukee hu, and teesra jo ZEAL naam se hi tha, wo fake account bataya gaya hai...
ReplyDeleteपूजा जी, वहाँ से कई टिप्पणियाँ हटाई गईं.. राजेश उत्साही जी ने सही कहा.. जिसके भी विचारों से उनकी सहमति नहीं थी उनकी टिप्पणी गायब कर दी गई.. आपकी पोस्ट पढ़कर मुझे संदेह हुआ तो मैंने भी वहाँ देखा कि मेरी टिप्पणी भी अंतर्ध्यान हो गई.. :) खैर फिर भी तो उन्हें शर्म नहीं आ रही.. आपको नसीहतें मिल ही रही हैं. वैसे पहले मेरे मन में उनके लिए सम्मान था मगर अब उनके अस्तित्व पर ही अविश्वास होने लगा है. वो ब्लॉग किसी एक विचारक का ना लग कर एक सामूहिक ब्लॉग लगने लगा है. अफ़सोस है कि कई युवा उनसे बहुत ही प्रभावित हैं.. बल्कि अंधभक्त जैसे हो गए हैं जो उनके हर लिखे को सही मान अन्य लोगों से कुतर्क के लिए हर पल खड़े दिखते हैं.
ReplyDeleteखुश रहिये कि बहुमत अभी भी सत्य के साथ दिख रहा है.. आप निराश ना हों.
कहाँ की बात हो रही है..मैं समझ ही नहीं पा रहा है.
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ReplyDeleteDear Puja...
ReplyDeleteमै हमेशा ब्लॉग जगत में नहीं आती इसलिए पता नहीं कि क्या माज़रा है ..
पूजा जी, आप ने गलती की है, दिव्या के ब्लॉग पर जाकर. आप देखिएगा की ब्लॉग जगत की ज्यादातर सभ्य महिलायें दिव्या के ब्लॉग पर नहीं जातीं हैं. दिब्या के बारे में सभी महिलायें जानतीं हैं. और जो पुरुष जाते हैं वो ब्लॉग जगत में गिनती में नहीं आते. सभ्य पुरुष भी नहीं जाते हैं.
ReplyDelete@Deepak ji, Udan Tashtari ji, Coarl and jaljala... thank you so much for your views...
ReplyDelete@Udan Tashtari ji and Coral... nothing much important... bas yunhee...
@Deepak ji... hmmm... Satyamev jayate... khair hataiye kya karna... meri MAA ne sirf ek baat kahi "RAAM KRIPA AAPAN GAT PAINHEE"
@Jaljala... ji dhanyawaad information k liye... mai is baat ne avgat nahi thee... maine unkee kuchh rachnaye padhee thee jo mujhe acchhee lagee thee... par ab to sawaal hi nahi uthhta us gali jaane ka...
चिट्ठाजगत में इस पोस्ट को ऊपर देख चला आया |
ReplyDeleteएक विसंगति पर पोस्ट लगी , इसलिए आरम्भ से टीप-दर-टीप पढ़ता गया !
सन्दर्भ-प्रसंग से अवगत नहीं हूँ , इसलिए घटना विशेष पर कुछ नहीं कह सकता !
एक निजी राय यह कहूंगा कि जो ब्लोगेर आपकी तार्किक असहमतियों का सम्मान न कर सकें व उन्हें स्थान न दे सकें , वे बहुत दुर्भाग्यशाली होते हैं ! विवेकहीन होकर ऐसे दुर्भाग्यशाली ब्लोगेर की कोटि में कोई भी आ सकता है , हम , आप या कोई भी ! ऐसे प्रसंग स्वयं की सीख के लिए खासे लाभकारी हो सकते हैं ! यदि आपको अपनी तार्किक असहमति के सांचपने पर पूर्ण विश्वास है तो कोई मनो-मालिन्य न रखें ! शिव संकल्प लीजिये ! अंततः कहूंगा ---
'' उत्तिष्ठ जाग्रत प्राप्य वरान्नि बोधत.
क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया
दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति. [ ~ कठोपनिषद ]
पूजा जी , दिव्या खाली है. फ़ालतू है. वो केवल नाम की डॉक्टर है. है भी इसमें भी काफी लोगों को शक है. और जो वो लिखती है. वो उसी का ही है इसमें भी लोग शक करते हैं. वो जो भी लिखती है , केवल खालीपन और बेरोजगारी में ही लिखा जा सकता है. दिव्या ने कई ब्लॉगर पुरुषों को फंसाया. और यह बात सारा ब्लॉग जगत जानता है. इसलिए सभ्रांत महिलायें दिव्या के ब्लॉग पर नहीं जाती हैं.
ReplyDeleteऔर यह बात आप किसी भी ब्लॉगर से पुष्टि कर सकतीं हैं.
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ReplyDelete@ZEAL... lastly... aapke liye oopar hi jawab likh diya tha... samajhdaar insaan aapke comments delete karne kee wajah oopar hi padhkar samajh jayega...
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ReplyDeletePooja
ReplyDeleteTechnically any one can post comments on your blog and use someone elses profile because all option have been enabled .
दिव्या यह भी तो सोचो की आखिर तुम्हारे साथ ही ऐसा क्यूँ हुआ है? तुम यहाँ पूजा जी को इतनी नसीहतें दे रही हो, उन नसीहतों को खुद पर भी लागू करो. तुम खुद को सुधारो. यह ध्यान रखो की अगर हम अच्छे हैं तो सब अच्छे हैं, हम खराब तो सब खराब. वो तुम्हारे नाम से कोई फर्जी टिपण्णी नहीं थी वो तुम्ही ने की थी. और हल्ला मचा दिया की किसी और ने वो तुम्हारे नाम से फर्जी आई. डी. बनायीं है. आखिर क्यूँ तुम्हे पूरा ब्लॉग जगत एक खराब औरत के रूप में जानता है? यह भी तो सोचने वाली बात है.
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ReplyDelete@ दिव्या,
ReplyDeleteतभी तू निठल्ली बैठ कर ब्लॉग्गिंग कर रही है और लड़कों के साथ खेल रही है. तू मूरख है यह तू मान ले. अगर मूरख नहीं होती तो प्रेक्टिस कर रही होती. पेशेंट में बीजी होती.
@ Divya
ReplyDeleteएक तू ही सही मानसिकता वाली है बाकी सब तो यहाँ बेवकूफ है. बाकी सब अपना घर संभाल रहे हैं और तू दुसरे लड़कों को फंसा रही है. अपने पति को छोड़ कर.
पूजा जी,
ReplyDeleteक्या ऐसा संभव नहीं कि व्यक्तिगत टिप्पणियाँ बंद करदें please ?
अच्छा नहीं लग रहा है.
कुँवर कुसुमेश
Pl. pooja delete my comment.
ReplyDeleteकुछ ऐसा लग रहा है ये हमारे ब्लॉग जंग का मैदान बनते जा रहे हैं. ब्लोगर साथियों ऐसे कमेन्ट को विषय मत बनाइये बल्कि उनको किसी की दिमागी खुराफात समझ कर नजार अंदाज कर देना चाहिए. इसी में भलाई है नहीं तो अच्छा खासा माहौल गन्दा हो जाता है.
ReplyDeleteपूजा बात को यही बंद कर दो नहीं तो इस तरह की बहस पर मैंने सैकड़ों टिप्पणी देखी हैं और नतीजा क्या होगा? पोस्ट क्या हैं सब भूल गए और यहाँ पर तो टिप्पणी पर बहस होने लगी है. मुझे भी मूल पोस्ट पता नहीं क्योंकि मैं कम खोजपाती हूँ
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ReplyDeleteदिव्या,
ReplyDeleteतुम खराब हो यह जलजला ने नहीं कहा. तुम्हे हर महिला और पुरुष खराब कहते हैं ब्लॉग जगत में. इस बात की तस्दीक चाहे पूजा जी या वंदना जी या कोई भी किसी भी ब्लॉगर से पूछकर कर सकतीं हैं.
तुमने तो वो पोस्ट लगायी है जो कभी कोई शरीफ महिला लगा नहीं सकती है. यह बात समस्त ब्लॉग जगत जानता है.
ReplyDeleteमैंने कोई गन्दी बात नहीं लिखी है , जो लिखा है उसे सारा ब्लॉग जगत जानता है.
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ReplyDeleteदिव्या, तुमने किस किस से सेक्स चैट की है, उसका भी डाटा है. अगर तुम बोलोगी तो उसे मैं अपने ब्लॉग पर छाप भी सकता हूँ. लेकिन उसमें अमरेन्द्र , सुनील गुरी , त्रिपाठी और भी अन्य लोगों की बेइजती होगी. फिर इन्ही लोगों को बदनाम करना क्या सही है. और सबसे बड़ी बात यह बात भी समस्त ब्लॉग जगत जानता है. सब केवल चुप हैं.
ReplyDeleteजो महिलायें तुम्हारे ब्लॉग पर आतीं हैं , उन्हें तुम्हारी असलियत मालूम नहीं है. जैसे पूजा और वंदना को नहीं मालूम है. और अभी तुमने पूजा को घटिया कहा. देख लो अपनी औकात. जिस दिन उन महिलाओं को भी तुम्हारी असलियत पता चल जाएगी वो भी आना छोड़ देंगीं.
ReplyDelete.
ReplyDeleteजलजला और पूजा,
किसी को बदनाम करना बहुत आसान काम है।
मैं तुम दोनों के मुह पर थूकती हूँ।
घटिया लोगों के मुह लगना अपनी बेईज्ज़ती है।
मेरे नाम पर बहुत से लोग लोकप्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं , तुम दोनों पर मुझे दया आ रही है।
मैं जा रही हूँ...तुम दोनों अकेले भूँको अब ।
टिपण्णी डिलीट करो चाहे चाटो ।
अलविदा !
.
ब्लॉग जगत में तुम लोकप्रिय नहीं हो. तुम कुख्यात हो. किसी से भी पूछ लो कि क्या तुम लोकप्रिय हो? जवाब मिल जायेगा. तुम्हे सब एक प्रौस के रूप में जानते हैं.
ReplyDeleteतुम्हारी इतनी औकात ही नहीं है कि जिस पर लोकप्रिय हुआ जाए. तुम्हारे बालों में गजरा और होठों पर लाल लिपस्टिक ही अच्छी लगेगी. यहाँ क्या कर रही हो? और सब तुम्हे इसी निगाह से देखते भी हैं.
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ReplyDeleteबदनाम तो तुमने भी अमरेन्द्र को किया था आसानी से. समस्त ब्लॉग जानता था और उसके साथ खडा था. तुम्हे कौन बदनाम करेगा तुम तो पहले से ही बदनाम हो.
ReplyDeleteवंदना अभी आप जानती नहीं हैं इस औरत के बारे में. इसने पहले क्या क्या गुल खिलाये हैं यहाँ. आप किसी से भी पूछ लीजिये यहाँ , सब बताएँगे आपको.
ReplyDeleteदिव्या, ab बताओ घटिया कौन? अगर तुमने पूजा को यहाँ या फिर किसी और को यहाँ घटिया या फिर कोई अपशब्द कहा तो सबकी (जिन जिन के नाम ऊपर लिखे हैं) चैट पोस्ट कर दूंगा फिर देती रहना जवाब सबको.
ReplyDeleteसब कुछ बहुत शर्मनाक है. यह सब जल्दी से जल्दी बंद होना चाहिए. कुछ लोगों के लिए बहुत आवश्यक है कि वो आत्मावलोकन करें. नकारात्मक ब्लागिंग से बचें.
ReplyDeleteमेरी भी तीन टिप्पणियाँ हटाई गयीं. मैंने तो कोई अपशब्द या अभद्र बात नहीं कही थी. फिर क्यों ? क्या असहमति दर्शाना भी गुनाह है ? यह मानसिकता बदलनी बहुत ही जरूरी है.
Pooja
ReplyDeleteI am a reader of Divya's blogs.
I am coming here for the first time.
I have not read your blogs before.
I hope to read them in future.
I am deeply distressed at this public spat between you and Divya.
I don't know who is right, and who started the fight.
I don't want to know.
I am requesting both of you to put down your knives and pick up your pens.
You are bloggers, not fighters.
If you don't see eye to eye with each other, simply avoid each other's blogs and don't comment on each other.
Why torture yourselves like this?
Well wishers like me are distressed.
Mischief mongers are enjoying the tamaasha.
I hope peace prevails and you both shake hands and make up.
I hope this is not misconstrued as an attempt to interfere in other people's business.
I am only trying to be a well meaning intermediary.
Regards and best wishes.
G Vishwanath
'जी' विश्वनाथ तुम दिव्या के बैकयार्ड मे ही अच्छे लगते हो ! पिघली हुई मोमबत्ती थाईलैंड जाकर मसाज करवा लो !
ReplyDeleteMr. vishvanath, all the bloggers know very well that you are after that N Y M P H . Don't behave like maggot. You are very senior person so behave as and according to your age. You don't know that bitch who embroils young boys into her net and then tries to seduce, if not get success then use to defame them in disguise.
ReplyDeleteyou are right benaami,'young single boys' are her target.I too got emails from her.
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