वजह...

मुझसे मेरी बेचैनियों
मेरे आसुओं की वजह न पूछ...

मैं लूं हर बार उसका नाम
ये, उसे गवारा नहीं...

15 comments:

  1. सुन्दर ... नाम उसी का बार-बार आता होगा

    ReplyDelete
  2. @verma ji... jee sahi kaha...

    ReplyDelete
  3. मेरे ब्लाग पर आकर टिप्पणी करने का शुक्रिया

    ReplyDelete
  4. पुजा जी........ उम्दा रचना जारी रखिए

    ReplyDelete
  5. ye to hota hi hai jise chaho jab vo taklif de to naam to uska aayega hi
    bahut khub
    achhi rachna
    blog par aane ko dhanyvad

    ReplyDelete
  6. पूजा जी जी आपको
    दशहरा पर शुभकामनाएँ .......

    ये जो चार पंक्तियाँ आपने लिखी है ...
    बहुत कुछ कहती हैं ...भई मुझे तो
    अच्छी लगी.

    ReplyDelete
  7. बहुत खूब - कम शब्दों में बहुत कुछ, प्रभावशाली प्रस्तुति

    ReplyDelete
  8. छोटी सी किन्तु बहुत सारी बातो का अपने में समावेश लिए अच्छी कविता !

    ReplyDelete
  9. per naam aayega hi
    gawara use na sahi
    mere aansuon ko to hai

    ReplyDelete
  10. aap sabhi ka bahut-bahut shukriya...

    ReplyDelete
  11. Bahut sundar! Pahli baar aayi hun aapke blog par!

    ReplyDelete
  12. @Kshama... thank you so much... And alwys welcome from my side... for your every visit... hope you will like my other posts too...

    ReplyDelete
  13. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  14. waah! bahit khoob
    "humko kiske gam ne maara ye kahani fir sahi...
    naam aayega tumhaara ye kahani fir sahi..."

    ReplyDelete