बड़ा अच्छा लगता है... धन्यवाद...

आज, हमेशा की ही तरह, अपनी एक नई रचना को आप सभी के सामने प्रस्तुत करने आई थी।
पर आज ज़रा-सी उल्टी गिनती गिन ली। आमतौर पर पहले अपने ब्लॉग पे आती, या अपना डैशबोर्ड देखती, या फ़िर जिन ब्लोग्स पर कमेन्ट करना होता वहां जाती और फ़िर आख़िरी में अपने ई-मेल्स चेक करती... पर आज, न जाने क्यूं ई-मेल अकाउंट पहले चेक करने पहुँच और जो देखा उसपर मुझे तो यकीन न के बराबर हुआ... और फ़िर क्या, पूरा मेल पढ़ा, जो लिखा था उसे जाकर सही होने की पुष्टि की और फ़िर तो बस पूछिए मत... ख़ुशी इतनी की बस चली आई आप सभी के साथ यहाँ बाँटने... रहा नहीं गया मान लीजिये...
क्या है, हम जैसे नवजात ब्लोग्गर्स को इतनी खुशी भी बहुत बड़ी लगती है... हो सकता है आप लोगों के लिए ऐंवे-टाईप बात हो... पर मेरे लिए तो बड़ी है... और सबसे बड़ी बात... मै खुश हूँ...
धत तेरे की॥ बात तो बताई ही नहीं... हाँ जी तो बात यह है की मेरी कविता... "एक शुरुआत... अंत के बाद..." जागरण-जंक्शन के फीचर्ड ब्लोग्स में सेलेक्ट हुई है....
मेरा हौसला बढाने, मुझे हमेशा प्रेरित करने एवं मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद... इसी साथ एवं मार्गदर्शन की आशा हमेशा रहेगी...

ये रही लिंक...

http://jagranjunction.com/

3G एवरेस्ट तो पहुँच गया, परा ज़मीन में कब आएगा???

आज BBC में एक न्यूज़ आई कि एक मोबाइल सेवा कंपनी ने अपना नेटवर्क माऊंट एवरेस्ट तक पहुंचा दिया। पढ़कर अच्छा भी लगा और आश्चर्य भी हुआ, कि हम ज़मीन में रहने वालों को अभी यह सुविधा प्राप्त नहीं हुई और माऊंट एवरेस्ट पहुँच गयी।
Ncell नाम की एक नेपाली फर्म है जो की TeliaSonera नामक स्वीडिश कम्पनी की है, जिसने ये काम किया है।
अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर पूरी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं।

http://www.bbc.co.uk/news/world-south-asia-11651509

शायद मेरे जाने का वक़्त आ गया...

शायद,
अब वक़्त आ गया...
मेरे जाने का

माँ भी चुप-चाप तय्यारियाँ करती है
कभी साड़ियाँ चुनती तो
कभी गहने बनवाती है
कभी मेंहदी लगे हाथों को देख ललचाती है
और कभी पापा के साथ बैठ
मेरे मंडप के सपने सजाती है
जिसके नीचे बैठ वो सौंप देगी
मुझे मेरा नया जीवन...

कभी कोई नया रंग चुनती है...
कुछ दिन बाद उसी रंग के लिए कहती
"अब ये पुराना हो गया"
पर सच्चाई है कि माँ ने वो रंग किसी दुल्हन को पहने देख लिया था...

जब भी कोई घर आता है
उसे एक नया लड़का बताता है
कोई इंजीनियर तो कोई डॉक्टर
कोई किसी बड़ी एम्.एन.सी. में
तो कोई सरकारी नौकरी के साथ...
किसी का घर अच्छा है
तो किसी के घरवाले
कोई बहुत संपन्न है
तो कोई संस्कारोंवाले...

पर ये सब वो मुझसे नहीं कहती है
बस अपने आप ही सब ताना-बना बुनती है...

हर बार हर सपना
एक नई सोच के साथ
नए रंग के साथ
नई साज-सज्जा के साथ
और
नए तौर-तरीकों के साथ...

एक शुरुआत... अंत के बाद...

मंज़िल मेरी भी वही है
जो तेरी है...
जाना मुझे भी वहीं है
जहाँ तुझे है...
फ़र्क है तो बस इतना...
कि मैं जला दी जाउंगी और
तुझे दफनाया जाएगा...

तो क्यूं न एक काम करें...
सौंप दे अपने आप को
इस दुनिया के हाँथ में
मरने के बाद
और तत्पश्चात हम जिन्दा रहेंगें...
किसी की आँखों में
किसी के दिल में
किसी और के
किसी हिस्से में...

फ़िर तेरा और मेरा सफ़र एक जैसा होगा...
जैसी तेरी कहानी होगी, वैसा ही मेरा भी फसाना होगा...

और हम एक नई शुरुआत करेंगे
अपने अंत के बाद...

एक डरपोक ब्लॉगर से सामना...

कल बड़ी ही मजेदार घटना हुई... और न जाने क्यूं रह-रह कर मुझे अभी तक हंसी भी आ रही है... अच्छा आप में से कोई भी मुझे एक बात बताइए, यदि आप मेरे ब्लॉग पढ़ते हैं, जब सही लगता है तो तारीफ़ करते हैं और जब गलत तब मुझे बताते भी हैं... और जहाँ तक मुझे याद है, मैंने यदि गलती की है तो स्वीकार भी है, और उसे सुधारने की पूरी कोशिश भी की है, यहाँ तक कि जिन भी ब्लॉग में गयी हूँ, वह भी यदि किसी न लिखने वाले को गलती बताई है तो उसने मानी है... पर कल एक ब्लॉग पर गयी, वह कुछ ऐसी बातें लिखी गयीं थीं मै जिनसे बिलकुल भी सहमत नहीं थी, सो मैंने ऐतराज़ जताया, तब लिखनेवाले व्यक्ती न मुझे बड़ी ही अभद्रता से जवाब दिया, और-तो-और अपनी बात को सही साबित करने हेतु उन्होंने अजीब-सी बातें सामने रखीं, जब मैंने उन्हें भी काट दिया, उन बातों को गलत ठहराया और साबित भी कर दिया, तब रचयिता न बड़ा ही अजीब-ओ-गरीब जवाब प्रस्तुत किया, जो मुझे नागवार लगा... मैंने उसपर भी कटाक्ष किया और दूसरे तथ्य सामने रखे... तब उन्होंने मुझे वापस उत्तर नहीं दिया... रात हो चुकी थी सो मुझे लगा कि शायद उन्होंने निद्रासन की और प्रस्थान कर लिया... पर आज सुबह जब मैंने उनके उत्तर हेतु उनका ब्लॉग विसिट किया... तो जवाब तो नहीं ही थे, मेरे कमेंट्स भी मिटा दिए गए थे...
अब मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि उन्होंने ऐसा क्यूं किया??? या तो डर, कि उन्होंने फ़िर कोई जवाब दिया और मै उसे भी गलत साबित कर दूंगी या फ़िर वो निरुत्तर होंगे... परन्तु मेरे कमेंट्स मिटने का अर्थ मुझे अभी-भी समझ नहीं आया...
जहाँ तक मैंने इस ब्लॉग की दुनिया को जाना है, सीधी-सी बात कि यहाँ आपसे भी होशियार लोग हैं, तो उनकी बातें सुननी चाहिए... और हो सकता है आप जो कर रहे हो गलत हो, तो मानना भी चाहिए... परन्तु अपने-आप को सही साबित कने के लिए कभी-भी अभद्रता का, या ऐसे किसी कार्य का सहारा नहीं लेना चाहिए जो आपके डर को, आपके अहम् को प्रस्तुत करे...
मैंने तो जो कुछ, थोडा-बहुत सीखा है यहीं आप लोगों से ही सीखा है, क्योकी मेरे पास कोई लेखकों का आधार नहीं है... सही मायनों में, मेरे घर पर सिर्फ लोग सिर्फ पढ़ते हैं या पढ़ा हुआ लिखते हैं... उन्हें लिखने में कोई रूचि नहीं है...
हो सकता है यहाँ कुछ लोग मेरी बातों से सहमत न हों, तो कृपया मुझे बताएं... आपके कमेंट्स का स्वागत है...
धन्यवाद...

मेरी खता...

न जाने खता क्या हुई थी थी मुझसे...
मेरी तमन्नाएँ बढ़ गयीं थीं...
या
उनके पूरे होने की आरज़ू...

तुम्हारे प्रेम का अर्थ...

क्या प्रेम का अर्थ
केवल आलिंगन है???
या प्रेम और गहराया तो चुम्बन है???
बस यूंही तन की करीबी बढ़ती जाती है
और प्रेम गहराता जाता है...

क्या ह्रदय में उमड़ती प्रेम-भावनाओं का कोई मोल नहीं???
जहाँ छुअन का उतना महत्व नहीं
जितना एक-दूसरे की चिंता
जहाँ चुम्बन का उतना महत्व नहीं
जितना एक-दूसरे को समझना
जहाँ बदन की ज्व्लंतता का उतना महत्व नहीं
जितना एक-दूसरे के बिना बोले शब्दों को सुनना
या...
एक-दूसरे का अहसास साथ होना...

पर...
तुम ऐसे क्यूं नहीं हो???
तुम्हारे लिए मेरे करीब आना जरूरी क्यूं नहीं???
क्यों तम्हारे लिए मेरे बदन पर तुम्हारे हाथों के निशाँ
से ज्यादा जरूरी
मेरे होठों पे मुस्कान का होना है???
क्यों नाराज़ होने के बाद भी...
तुम हमेशा मेरे साथ खड़े होते हो???
और आसुओं को मेरी आँखों से कोसों दूर रखते हो...
क्यों तुम मेरा चुम्बन नहीं लेते???
वरन... हर बहाने से मुझे खुशियाँ ही देते हो...
क्यों तुम मेरे करीब नहीं आते???
क्यों दूर से ही देख मुस्कुराते हो???
क्यों कोई वादा नहीं करते???
या वादा न तोड़ने की कसम मुझसे लेते हो???

क्या तुम इस दुनिया से अलग हो...
या...
मुझसे प्रेम नहीं करते...

वजह...

मुझसे मेरी बेचैनियों
मेरे आसुओं की वजह न पूछ...

मैं लूं हर बार उसका नाम
ये, उसे गवारा नहीं...

मुझे जानना चाहते हो???

यदि जानना चाहते हो मुझे...
तो कभी फुरसत से,
तन्हाई में
शांत मन से
पढ़ना उन अधूरी लाइनों को
उन अधूरे पन्नों को
जो अभी भी उस डायरी में मौजूद हैं...
जो मेरे सिराहने कही रखी है...

इस बार की नवरात्रि कुछ ख़ास है...

सर्वप्रथम आप सभी को नवरात्रों की शुभकामनाएं...
इस बार शरद नवरात्रि शुरू हुई 8 तारीख को... यानी कि बैठकी... वैसे तो नवरात्रि अपने-आप में ख़ास है, आख़िर इसके नौ दिन माता का संपूर्ण आशीर्वाद होता है अपने भक्तों पर... परन्तु इस बार की शुरुआत ही कुछ ख़ास थी...
8 तारिख को मेरी प्यारी-सी भांजी का जन्मदिन पड़ता है, जो इस साल बैठकी के दिन हुआ जो तिथि के अनुसार मेरे भाई का जन्मदिन है... तो हुआ न ख़ास... मातारानी के व्रतों का आरम्भ, भाई और भांजी का जन्मदिन...
ये तो हो गयी बैठकी की बात, अब यदि ज़रा-सा आगे आए तो, 15 तारीख को है अष्टमी, जो मेरे एक कज़िन भैया का जन्मदिन है तिथि के अनुसार और-तो-और उसके ठीक ek दिन पहले दिन, यानी 14 तारिख को उनका इंग्लिश कलेंडर के हिसाब से जन्मदिन... और वो भैया मेरे भाई होने के साथ-साथ बहुत अच्छे दोस्त भी हैं... अब यदि अंत की बात करें... तो दशहरा पड़ रहा है 17 को, जो मेरे एक बहुत ही ख़ास दोस्त का जन्मदिन है...
तो हुई न इस बार की नवरात्रि कुछ ज्यादा ही ख़ास... पर सिर्फ दुःख है तो एक कि मै इस सभी से पार्टी बाद में ही ले पाऊँगी... व्रत में बाहर का नहीं खाते न...
आशा करती हूँ आपकी भी हर नवरात्रि यूँही ख़ास हो...
हाँ मेरी भांजी की फोटो... बताइए तो कैसी लगती है? बस आप इसकी शक्ल पर जाइएगा, क्योंकी ये बहुत बोलती है और चालू भी है...

एक ओर अजीब-सा फूल...

कुछ दिनों पहले मैंने यहाँ अपने एक पोस्ट धतूरे का एक अजीब फूल प्रस्तुत किया था, जिसमे एक के अन्दर तीन फूल थे... आज फ़िर से एक अजीब सा फूल प्रस्तुत कर रही हूँ... ये बिलकुल लेटेस्ट फोटो नहीं है। हुआ यूं कि आज मै अपना सिस्टम यूं ही देख रही थी, इसी सिलसिले में कुछ पुरानी फोटोस भी देखीं, और ये फोटो नज़र आ गयी तो सोचा क्यूं न इसे भी आप लोगों के साथ शेयर करूँ... ये बेला का फूल है ओर कुछ अजीब है... आप खुद ही देख लीजिये...