वो कलम...


काश ऐसी कलम ईज़ाद हुई होती
जो बस यूँही
चलती रहती बिना रुके
और मन की हर बात
लिख जाती
बिना चुप हुए बीच में...

जिसे सोचना न पड़ता
कि, किस बात को लिखना है किस तरह???

वो तो बस
चलती मदमस्त पवन की तरह
और उड़ा ले जाती
इस गम और ख़ामोशी के बादलों को कहीं दूर...
या बहती उस चंचल नदिया की तरह
जो सारे कलरव खुद में समेटती
अग्रसर होती है अपनी मंज़िल की ओर...
और एक दिन,
शांत हो जाती है मिलकर
उस अथाह समुद्र से
जो न जाने
कितनों का दुःख,
कितना शोर समेटे हुए है
अपने-आप में...
परन्तु तब भी शांत है...

पर कभी-कभी वो भी उछाल मारता है
लांघ कर अपनी सीमा
जताता है शायद,
कि,
अब उसका भण्डार भर गया है
या
उसकी कलम भी कहीं खो गयी है...

44 comments:

  1. वाह /
    अद्भुत कल्पना ...पूजा जी /
    काश ऐसी कलम हो

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  2. @बब्बन जी, बस उसी की तलाश में हूँ...
    बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  3. @अख्तर जी... इस घोटाले का मेरी कविता से कोई लेना-देना नहीं है... और न ही मैं इस घोटाले में शामिल हूँ...

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  4. क़लम एक क़लमकार के लिए महत्वपूर्ण अस्त्र है.वो अपनी क़लम के ज़रिये वो चमत्कार कर दिखाता हैं जो अस्त्र-शस्त्र नहीं कर पाते .
    क़लम पर कविता के माध्यम से जो सन्देश पूजा ने दिया है वो एक समर्थ रचनाकार ही दे सकता है.
    समन्दर के दर्द पर मुझे किसी का एक शेर याद आ रहा है:-
    कह रहा है मौजे-दरिया से समन्दर का सुकूं,
    जिसमें जितना दर्द है उतना ही वो खामोश है

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  5. बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी ..
    काहें कलम को कोस रही हैं वह तो बेचारी कनीज है भावनाओं की .

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  6. बहुत खूब .सुंदर रचना

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  7. @कुंवर जी, अरविन्द जी... बहुत-बहुत धन्यवाद...
    @कुंवर जी... शेर के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया...
    पर आपसे फ़िर से विनती है, इतनी तारीफ मत किया करिए... मैं इस काबिल नहीं हुई हूँ अभी...
    @अरविन्द जी... मैं उसे कोसूं तो कोसूं कैसे... वो ही तो मुझे बाहर ले आती है...
    और नहीं कुछ करती... एक गुज़ारिश के सिवा...

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  8. @मासूम जी... जी शुक्रिया...

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  9. भाव समझने वाली कलम होती तो प्रारम्भ करने के बाद स्वयं ही लिखती रहती।

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  10. @प्रवीण जी... वही तो मांग रही हूँ...
    शुक्रिया...

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  11. बहुत सुंदर रचना !बधाई।

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  12. आपके पास ऐसी कलम है, तभी तो आप इतना अच्छा लिख पाती हैं।...आपकी कलम को सलाम।

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  13. आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकता
    अग्नि नहीं जला सकती
    पानी नहीं गला सकता
    हवा नहीं सुखा सकती
    आत्मा अमर है ... आत्मा एक कलम है , जिसकी नोक भावनाओं की धार पर होती है , कलम ,जो ---
    शस्त्र को काट सकता है
    अग्नि को शांत कर सकता है
    निर्मल पानी का स्रोत हो सकता है
    हवा को संगीतमय कर सकता है

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  14. kalam hamari bhavnaon ko samajh leta hai aur uske chalte hi kagaj rupi sakhi sab kuch aatmsat kar leti hai

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  15. @परमजीत जी, महेंद्र जी, बड़ी माँ, संध्या जी... बहुत-बहुत धन्यवाद...
    @बड़ी माँ... पंक्तियों के बहुत-बहुत शुक्रिया...

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  16. Aisi mahachamatkari qalam mile to ek mere liye bhi bhijva dena! Aajkal dimag ke darwaze band pade hain!

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  17. bhut khoob kalpana......kavi ko ho gaya lekhni se pyaar......read my poem "kavi ka pyaar"....on kaavya kalpna

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  18. bahut anokhaa vichaar hai.aisee kalam ho bhee to unhee hathon se chalegee ek nirlipt dimaag ke ishaaron par chaltee ho.

    mere blog par aane kaa shukriyaa.

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  19. कभी कभी मन में इतना ज्वार होता है कि पन्नों पर उतर नहीं पाता ...उसी समय ऐसी बेबसी महसूस होती है ....बहुत अच्छी रचना ...

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  20. काश!ऐसी कलम बनजाये .... बहुत सुन्दर रचना |

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  21. बहुत सार्थक ...विचारणीय कविता शुक्रिया

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  22. मन की कलम है ना.. सुन्दर कविता..

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  23. दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

    सादर

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  24. कलम तो माध्‍यम भर है। असली बात तो हमारी भावनाओं,विचारों और आत्‍मा की है। वह तुम्‍हारे पास है बस उसकी स्‍याही मत सूखने दो। अगर उसमें कुछ भी न हो तो कलम क्‍या करेगी।

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  25. Dil ko chhu gayi yeh rachna, sahi kaha aapne aatma ek kalam hai!

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  26. pooja mujhe bhi aisi kalam chahiye...
    jo hamesh chalti rahe

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  27. सुन्दर प्रस्तुति
    बहुत - बहुत शुभकामना

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  28. @क्षमा जी, सत्यम जी, उन्कवि जी, संगीता जी, पाताली, महफूज़ जी, केवल जी, अरुण जी, यशवंत जी, राजेश जी, सुनील जी, भैया, दीप जी.. आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद...
    @क्षमा जी... जी जरूर...
    @भैया... मतलब विचार मिलते हैं...

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  29. पूजा जी,
    बहुत सुन्दर कविता है ... कलम तो मदमस्त पवन की तरह ही चलना चाहिए ...

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  30. पूजा जी ,
    कलम के माध्यम से आपने जिस अभिव्यक्ति को मुखरित करने की कोशिश की है मैं उसे नमन करता हूँ !
    बहुत बहुत बधाई !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  31. Sunder kavita ke liye ek bar fir se .....dhanyawaad
    ........dher sari subhkaamnaye

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  32. कलम के माध्यम से भावों का सुन्दर चित्रण्।

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  33. जैसी भी हो आपकी कलम(लेखनी) कमाल की है . सुन्दर बिम्ब प्रयुक्त किया है. आभार

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  34. @इन्द्रनील जी, ज्ञानचंद जी, भैया, शेखर जी, वंदना जी, आशीष जी... बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  35. gud work.....

    u r welcome in my blog...

    http://www.kawyasagrwithneal.blogspot.com

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  36. @Kumar ji and Nilotpal... thank you so much...

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  37. waah ye aapki kalam ko kahun ki aapko? behad sundar likha hai tumne.

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  38. बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।

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