जी हाँ सही पढ़ा आपने, आज मेरी पोस्ट प्रकाशित तो हुई है, परन्तु यहाँ, मेरे ब्लॉग पर नहीं...
आज मेरी लिखी एक कविता प्रकाशित हुई है S.M.Masoom ji के ब्लॉग "अमन का पैगाम" में...
सच कहूँ तो जब मासूम जी ने मुझसे इस विषय पर लिखने को कहा, तब बुद्धि काम ही नहीं कर रही थी... समझ नहीं आया कि मैं क्या लिखूं इस परा क्योंकि बड़े-बड़े लोग इस विषय पर लिख रहे थे, और मासूम जी उनकी रचनाएँ पोस्ट भी कर रहे थे... और इस लोगों के सामने मैं तो एक विद्यार्थी हूँ... और मेरी बुद्धि, गज़ब है... हमेशा उल्टी ही चलेगी... उन्होंने लिखने को कहा था कुछ और मैं लिख रही थी कुछ... {आप पढियेगा, तो खुद ही समझ जाएगें} ...
खैर, डरते-डराते उन्हें अपनी रचना भेज दी... और साथ में ये भी लिख दिया कि, "आप पहले देख लें, ठीक लगे तभी प्रकाशित करें"... कल{1/dec} उनका मेल आया कि आज मेरी रचना को प्रकाशित किया जा रहा है... यकीन मानिये, लगा था कि हो गया बेटा पूजा जितनी भी image बनी है आज सबका कचरा होना है... लगा था कि लोग न जाने क्या सोचेंगें??? कहेंगें... "अच्छी उल्टी खोपड़ी की लडकी है"
पर आज जो हुआ... unbelievable... सच... यकीन नहीं हो रहा कि लोगो को पसंद आ रहा है... लोग तारीफ कर रहे हैं... शायद किस्मत है कि लोग और मेरी ऐसी उल्टी-पुलटी रचनाओं को भी पसंद कर रहे हैं...
सबसे पहले मासूम जी को धन्यवाद, जिन्होंने मुझे लिखने का अवसर प्रदान किया... और फ़िर उन सभी लोगों को धन्यवाद जिन्होंने यूं मुझपर अपना आशीष बनाया और मेरी ऐसी रचना को भी पसंद किया...
बहुत-बहुत शुक्रिया...
रचना यहाँ है...
कौन-सा पैगाम... और किसके नाम...???
पूजा जी का मैं शुक्र गुज़ार हूँ की उन्होंने, अपनी कविता मैं एक ऐसी हकीकत बयान की जिसकी तरफ बहुत कम लोगों का ध्यान जाया करता है. पूजा आप ऐसे ही लिखती रहें , जल्द कामयाबी आप की पांव चूमेगी .
ReplyDeleteबहुत ज़बरदस्त सन्देश देती हुई रचना है.........बिलकुल सत्य बयाँ किया है
ReplyDeleteलेखिका पूजा
पूजा प्रस्तुति का अन्दाज़ पसन्द आया।
ReplyDeleteMERI SHUBHKAAMNAYE HAMESHA TUMHARE SATH HAI
@मासूम जी, भैया... thank you so much... पर मुझसे वहां की ही तारीफ नहीं संभल रही आप लोग यहाँ भी तारीफ करने लगे...
ReplyDelete@मासूम जी... इसका श्रेय आपको जाता है... न आप लिखने को कहते न मेरी बुद्धि दौड़ती...
पढ़ आयें हैं वहाँ पर, बहुत अच्छी लगी।
ReplyDelete@प्रवीण जी... धन्यवाद...
ReplyDeleteमैंने सिर्फ कोशिश की थी...
aman ka paigaam bahut badhiyaa
ReplyDeleteपूजा जी आपने अमन का पैगाम जिस अंदाज मे दिया वो वाकई काबिले तारिफ है, एकदम नये स्टाईल मे,
ReplyDeleteलिखते रहिये, शुभकामनाये
बधाई हो..
ReplyDeleteशाबाश पूजा !
ReplyDeleteबहुत प्रभावी लिखती हो, सब तो लिख दिया तुमने , यही चाहिए था मासूम भाई को !
पूजा जैसी लेखिका को अपने ब्लॉग पर लाने के लिए मासूम भाई का आभार !
शुभकामनायें कि वे अमन के पैगाम में सफल रहें !
@बड़ी माँ, दीपक जी, साकेत जी, सतीश जी... आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDelete@सतीश जी... जी मैं तो बस अपनी तरफ से कोशिश करती हूँ...
bahut sundar prastuti.....shubhakamnaaye
ReplyDeleteपूजा जी आप का अमन का पैग़ाम पसंद आया. हकीकत के करीब लगा
ReplyDeleteएक सराहनीय सन्देश
ReplyDeletenice ur writing
ReplyDeleteजिस लेखक /रचनाकार को अपने गुणों का पता नहीं होता वही दिल को छूने वाली रचनाएँ लिख सकता है.आप उनमें से एक हैं,आपको पता नहीं, हम पढ़ने वालों को पता है. आप तो बह ऐसे ही लिखती रहें.
ReplyDelete@कुल्वेंद्र जी, सोने की चिड़िया, सारथी जी, anklet, बाबूजी... आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया...
ReplyDeleteपढ़ा बहुत अच्छा लगा ........
ReplyDeleteधन्यवाद ......
पूजा जी हीरे की कदर जौहरी ही समझता है और आपकी रचनाओ की खूबी को मासूम जी ने समझा ! ये आपका बडप्पन है की आप अपने आप को इस काबिल नहीं समझती !खैर अब तो आप बड़ी साहित्यकार, रचनाकार बनने जा रही है हमें भूल न जाइएगा............
ReplyDeleteआपकी रचना पढ़ी ... बहुत अच्छी लगी !
ReplyDeletebahut achcha laga
ReplyDeleteबधाई पूजा जी... ऐसे ही अमन का सदेश दुनिया को देते रहिये.
ReplyDeleteit is a need of society.
कबीर दास का एक पद:
काशी काबा एक है, एकै राम रहीम ...
मैदा एक पकवान बहु, बैठ कबीरा जीम. ....
@अशोक जी, अमरजीत जी, इन्द्रनील जी, जयकृष्ण जी, वल्लभ जी... आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया...
ReplyDelete@अमरजीत जी... इतनी तारीफ मत करिए, इतना कुछ नहीं होनेवाला... और हुआ भी तो आप लोगों कि दुआओं से होगा तो भूल्नेका सवाल ही नहीं उठता...
@वल्लभ जी... शुक्रिया, इन पंक्तियों के लिए...