काश मोहब्बत को पढ़ पाना
इतना आसाँ होता... तो...
एक-आध लाईब्रेरी हम भी बना लेते...
काश मोहब्बत को समझ पाना
इतना आसाँ होता... तो...
दो-चार गुरुओं को ख़ास हम भी बना लेते...
काश मोहब्बत को देख पाना
इतना आसाँ होता... तो...
टेलिस्कोप/माईक्रोस्कोप हम अपनी आँखों में लगवा लेते...
काश मोहब्बत को लिख पाना
इतना आसाँ होता... तो...
दो-चार महफ़िलें हम अकेले ही सजा लेते...
मोहब्बत को पढ़ना इतना आसान कहाँ है? बहुत भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteमोहब्बत :(...बहुत कठिन होती है.
ReplyDeleteबहुत ही सच लिखा है आपने.
@कैलाश जी, यशवंत जी... धन्यवाद...
ReplyDeleteदिल को छू रही है यह कविता .......... सत्य की बेहद करीब है ..........
ReplyDeleteमोहब्बत को समझ पाना बहुत कठिन भी है और आसान भी ...बस जरुरत है इसके मायने हम समझ पायें ...पूजा जी ने बहुत गहरे अर्थों में इस बात को इस रचना के माध्यम अभिव्यक्त किया है ...शुक्रिया
ReplyDeleteमोहब्त तो पढ़ पाना वाकई आसान नहीं है
ReplyDeleteये लाइन पढ़ कर तो बरबस ही चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई.
पढ़-समझ-देख-लिख के सापेक्ष प्रेम निहायत अव्याख्येय है ही ! इन व्यक्तीकरण के माध्यमों में ! अनिर्वचनीय स्वरूप है इसका , ऐसा शास्त्र और लोक दोनों ही मतों में माना गया है ! यह रचयित्री शिल्प पाने की जद्दोजहद में यहाँ अपने लघु-प्रयास में यत्किंच सफल हुई है , यह स्वागतयोग्य लगा ! साधु !
ReplyDeleteसी बी आई केंद्र सरकार के हाथ का खिलौना
ReplyDeleteदेश में सभी भ्रष्ट और अपराधियों को सबक सिखाने वाली एक मात्र संस्था सी बी आई केंद्र सरकार के हाथों का खिलौना बन गयी हे क्या भाजपा क्या कोंग्रेस और क्या जनता दल सभी पर कहीं न कहीं सी बी आई के दुरूपयोग के आरोप लगे हें और इसीलियें सी बी आई संस्था के निदेशक पद पर वफादार आदमियों की पदोन्नति की कोशिश की जाती हे वोह तो भला हो के कुछ मामलों में हाईकोर्ट की दखल अंदाजी से सी बी आई की कार्यप्रणाली मजबूत रही हे लेकिन एडरसन, बोफोर्स से लेकर छोटे बढे सभी मामलों में सरकार के हाथ में ही सी बी आई की चाबी रही हे ।
हाल ही में इस बात का सबूत सी बी आई के पूर्व निदेशकों ने अपनी प्रकाशित पुस्तकों में किया हे मेरा मानना हे के ऐसे सभी अधिकारी जो अपने पदों पर बने रहने के लियें सरकार के सभी दबाव झेलकर पद बनाये रखने के लियें चुप रहते हें चुप रहकर अपराध में शामिल रहते हें और फिर नो सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली की तर्ज़ पर खुद को बेदाग़ और दबंग साबित करने की होड़ में किताबें लिख कर मिडिया में खबरें बनवाते हें मिडिया भी उनमें से किसी से यह सवाल नहीं करता के जब उन पर दबाव था तो उन्होंने इस्तीफा देकर इस सरकारी अपराध को जनता तक क्यूँ नहीं पहुंचाया । पूर्व सी बीआई निदेशकों ने शायद खुद के द्वारा नोकरी पर चढने के पहले ली जाने वाली शपथ का कानून नहीं पढ़ा जिसमें नोकरी के दोरान जो भी कार्य किये गये हें उस मामले की कोई जानकारी किसी भी सुरत में सार्वजनिक नहीं की जाएगी और वेसे भी यह सब ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के प्रावधानों के तहत दंडात्मक अपराध हे पहले तो ऐसे लोग जो नोकरी के दोरान समझोते करते हें महत्वपूर्ण पदों पर जाते हे जो सरकार कहती हे वोह करते हें और अगर सरकार गलत कहती हे तो ऐसे बेईमान नेताओं के नाम यह अधिकारी जनता तक नहीं पहुंचाते हे फिर पद मुक्त होने और सरकार चले जाने के बाद बिना दस्तावेजी रिकोर्ड की बातों को अहमियत देकर किताबें लिख कर झूंठी प्रसिद्धि और रुपया कमाते हें ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होना चाहिए और उन्हें भी जेल का रास्ता दिखाना चाहिए ताकि कुर्सी और पद पर रहते ही ऐसे अधिकारी सरकार या किसी भी नेता के दबाव का सार्वजनिक विरोध करें और सरकार का सच जनता के सामने आये तभी यह देश में बेठे नेताओं को बेनकाब कर सकेंगे ।
अब हम बात करते हें सरकारी एजेंसियों पर सरकार के दबाव की तो सब जानते हें को आई बी जो देश के आतंकवाद की खबरें और दूसरी खबरें देश के लोगों को देने के लियें वचन बद्ध हे उनसे विपक्ष के नेताओं और अधिकारीयों की जासूसी करवाई जाती हे और फिर जब भी यह लगो सरकार से जाते हें तो कार्यभार देने के पहले लाखों फाइलें नष्ट करके जाते हें मिडिया सरकार के इस सच को खूब अच्छी तरह जनता हे लेकिन कभी भी मिडिया ने इस मामले में कोई स्टिंग ओपरेशन नहीं किया अभी राडिया मामले में मिडिया की भूमिका सब देख चुके हें कोन कितना नंगा हे जनता सब जानती हे लेकिन सी बी आई की स्वायत्त के लियें प्रधानमन्त्री और विपक्ष के नेता के अलावा सुप्रीम कोर्ट के जज की सदस्यता वाली एक समिति बनना चाहिए जो कम से कम ६ माह में सी बी आई की कारगुजारियों और अनुसन्धान की समीक्षा करें सी बी आई को आने वाली दिक्कतों का ध्यान रखे और अधिकारीयों के प्रमोशन एवार्ड रिवार्ड के मामले में बिना पक्षपात के कार्यवाही हो तो सी बी आई काफी हद तक चरित्रवान बन सकेगी और निष्पक्ष कार्यवाही की भी उम्मीद रहेगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
प्यार केवल एह्सास है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteपूजा जी आपने एहसासों को शब्द देने की कोशिश की है... सुन्दर कविता....
ReplyDeletemohabbat gar aasaan hoti to mohabbat me wo jaan kahaan hoti??
ReplyDeletena hoti munni badnaam aur sheela bhi jawaan kahaan hoti???
आपसे सहमत हूं। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteविलायत क़ानून की पढाई के लिए
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं|
ReplyDeleteप्यार इस्स्वर है , पूजा जी ॥
ReplyDeleteऔर अभी तक ईस्वर को लोगो ने नहीं समझा
प्यार को कैसे समझेगे
happy new year//
प्रेम गहरा होता है, उतरने के पहले बहुत सोच विचार करना पड़ता है।
ReplyDelete@भाई, केवल जी, अमरेन्द्र जी, जगदीश जी, सतीश जी, अरुण जी, विक्रम जी, मनोज जी, patali-the village, बब्बन जी, प्रवीण जी... बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDelete@अख्तर जी... ये क्या है??? ये सब आप सिर्फ मेरे ब्लॉग पर करते हैं या हर जगह शुरू हो जाते हैं... या कमेन्ट का ये कोई नया तरीका आया है, यदि ऐसा है तो बताएं हम भी इसे आजमाते हैं...
@विक्रम... please, for the next do not use such comments... either do then properly otherwise thank you so much... hope you got what I mean...
@baban ji... जैसे इश्वर का होना सब मानते हैं वैसे ही प्रेम का होना भी... धन्यवाद...
Bahut sundar rachana hai Pooja ye!
ReplyDeleteमुहब्बत आसाँ है या मुश्किल इसका एहसास नहीं ..पर आपने लिखा बहुत अच्छा है ..
ReplyDeleteकाश तारीफ़ करना इतना आसान होता ...
ReplyDeleteतो हम भी हावड़ा ब्रिज बना लेते ....
बहुत सुन्दर कविता ! मोहब्बत सचमुच बहुत मुश्किल है !
प्यार/मुहब्बत ही इन्सान को दी हुई भगवान की सबसे बड़ी नेमत है संभवतः इन्ही अर्थों में काबिल लेखिका ने ये पोस्ट लगाना ज़रूरी समझा होगा. मगर अफ़सोस कि पश्चिमी सभ्यता के हावी हो जाने के कारण आज के नौजवान को मुहब्बत का अर्थ सीमित दायरे के अन्दर ही दिखता है.
ReplyDeleteइसीलिए तो कहा गया है कि
ReplyDeleteइक आग का दरिया है और डूब के जाना है।
काश आप जैसा लिख पाना इतना आसान होता
ReplyDeleteहम भी दो चार कविताये लिख लेते ...........
मुहब्बत और आसान ?
ReplyDeleteदेखो जो आसान है
वह सरेराह दिखता है
मुहब्बत तो बस आँखों की जुबां है
जो दिखती है
पर कही नहीं जाती
@क्षमा जी, संगीता जी, इन्द्रनील जी, कुंवर जी, राजेश जी, अमरजीत जी, बड़ी माँ... आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया...
ReplyDelete@इन्द्रनील जी, अमरजीत जी... इस अंदाज़ में तारीफ करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...
@कुंवर जी... ऐसा बिल्कुल लग रहा है कि आप पार्शियल होकर तारीफ कर रहे हैं... कृपया आपको जो लगा वही लिखें... धन्यवाद...
@बड़ी माँ... पंक्तियों के लिए बहुत-बहुत आभार...
मोहब्बत को पढ़ना,देखना,समझना,लिखना आसां नहीं है...यही इसकी विशेषता है कि बस हो जाती है ।
ReplyDeletemohabbat ek ehsas hai..sirf mahsoos ki ja sakti hai.
ReplyDeletepyar ki vyapakta ka sundar shabdon me bhavpoorn chitran kiya hai aapne..
पूजा जी,
ReplyDeleteसुन्दर और सच !
मुहब्बत सचमुच आसान नहीं होती !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
@मनोज जी, सुरेन्द्र जी, ज्ञानचंद जी... बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteमोहब्बत की व्याख्या का खूबसूरत प्रयास.
ReplyDeletevery nice.
ReplyDeletePlease Visit My Blog..
Lyrics Mantra
पूजा सुन्दर कविता....मोहब्बत सचमुच बहुत मुश्किल है !
ReplyDelete@अभिषेक जी, Harman, भाई... thank you so much...
ReplyDeletebaht accha likhti ho bas hamesa aise hi likhte rahna ur
ReplyDeletebas accha accha likhna
अगर सब कुछ आसां होता
ReplyDeleteतो मुश्किलों का नहीं आसमां होता
फिर आसानियां ही दुश्वार हो जाती।
मोहब्बत को समझ पाना आसान भी है, और कठिन भी, फेर तो बस समझने और समझाने का..भावपूर्ण कृति..
ReplyDeleteधन्यवाद
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