जैसे वो पहले मुझे सताता था
आज भी सताता है...
जैसे वो पहले मुझे रुलाता था,
आज भी रुलाता है
न जाने क्यूं और कैसे वो इतनी मोहब्बत कर लेता है मुझसे?
"वो हमेह्सा मेरे साथ ही रहेगा"
पहले क्या, आज भी यही जताता है मुझे...
पहले अपनी बदमाशियों से,
तो आज अपनी मजबूर बातों से सताता है
पहले अपने गुस्से से
तो आज अपनी यादों से रुलाता है
"न जाने क्या होगा हम दोनों का एक-दूसरे के बिना?"
मैं पूछती हूँ उससे...
पर ऐसा दिन कभी नहीं आने देगा...
यही कहकर हर बार खुद को मेरा बताता है मुझे...
वाह ……………और क्या चाहिये जीने के लिये।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
ReplyDeleteआदत कहाँ जाती है भला ....
ReplyDeleteNice poem yaar
ReplyDeleteits really heart touching..
ReplyDeleteits really heart touching..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना है जी , very nice post
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeletekya bat hai behad khood
ReplyDeletedil ki aawaj nikal di aap ne to is bar
आपकी कविता से आपकी सम्वेदना और सम्वेदशीलता का पता मिलता है...उम्दा रचना
ReplyDeleteटिप्पणीयों के मामले मे निर्धन के ब्लाग यदि आती रहेंगी तो मुझे खुशी और मनोबल दोनो मिलेंगे..
सादर
डा.अजीत
bahut hi sunder rachna...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर कविता मैं आपने अपने मनोभाव व्यक्त किए हैं !
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना !
ismarniy ****
ReplyDeleteAap sab ka bhaut-bahut shukriya...
ReplyDeletekhoobsurti hai bhawnaaon me
ReplyDeletekitna acha lagta hai na bhavnao ko shabado me piro dena....nice rachana....thanks archana
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