कुछ अनकही बातें और कुछ अनछुई चाहतों को नाम देने की कोशिश...
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
goodness me...awesome piece of writing....keep it up yaar....
Beautiful as always.It is pleasure reading your poems.
Pooja jiBilkul Pareshan na hon kyokiकविता कोईचातुर्य नहीं हैशब्दों का.वह दिल सेनिःसृत एकआवाज है,एक स्पंदन है;अभिव्यक्ति है.यह साज कीमर्जी साथ दे,या न दे ;वह साज कीरही नहीं कभीमोहताज है.Aaap ki aawaj dekhiye kahan-kahan tk pahuch gayi.Thanks. Good artcle.क्योकि साज कोकानों तक पहुचनेके लिए ध्वनि कासतत साथ चाहिएपरन्तु कविता तोसंकेतो- प्रतीकों सेभी पहुचती है -गंतव्य तक.मौन में भीपहुचाती हैमन केकोने कोनेतक अपनीसुमधुर आवाज.
bahut hi badhiyaa...rasprabha@gmail.com per bhejen apni rachna 'vatvriksh ' ke liye parichat, tasweer ke saath
wahhh bahut khoob likha aapne !!आज हर इन्सां छुपाए है एक चोरजलता है तन मेरा जब लुटे कोई औरक्या मैंने पाया जो मै हू खोता कि काश कभी मुझमे ये मेरा मै नही होता ...जय हो मंगलमय हो !
सही है .... बहुत बढ़िया !!
If the pen brings best out of you then keep writing. Words spoken will reach to few, words penned will reach to millions.
sundar manobhav...bahut achha laga aapka blog aur rachnayne...Haardik shubhkamnayne
पूजा जी नमस्कार !बहुत भाव पूर्ण कविता लिखी है … बधाई ! वो बात ……… जो ज़ुबां कह नहीं पाती उंगलियों के आभारी हैं !शुभकामनाओं सहित- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
ReplyDeletegoodness me...
ReplyDeleteawesome piece of writing....
keep it up yaar....
Beautiful as always.
ReplyDeleteIt is pleasure reading your poems.
Pooja ji
ReplyDeleteBilkul Pareshan na hon kyoki
कविता कोई
चातुर्य नहीं है
शब्दों का.
वह दिल से
निःसृत एक
आवाज है,
एक स्पंदन है;
अभिव्यक्ति है.
यह साज की
मर्जी साथ दे,
या न दे ;
वह साज की
रही नहीं कभी
मोहताज है.
Aaap ki aawaj dekhiye kahan-kahan tk pahuch gayi.
Thanks. Good artcle.
क्योकि साज को
कानों तक पहुचने
के लिए ध्वनि का
सतत साथ चाहिए
परन्तु कविता तो
संकेतो- प्रतीकों से
भी पहुचती है -
गंतव्य तक.
मौन में भी
पहुचाती है
मन के
कोने कोने
तक अपनी
सुमधुर आवाज.
bahut hi badhiyaa...
ReplyDeleterasprabha@gmail.com per bhejen apni rachna 'vatvriksh ' ke liye
parichat, tasweer ke saath
wahhh bahut khoob likha aapne !!
ReplyDeleteआज हर इन्सां छुपाए है एक चोर
जलता है तन मेरा जब लुटे कोई और
क्या मैंने पाया जो मै हू खोता
कि काश कभी मुझमे ये मेरा मै नही होता ...जय हो मंगलमय हो !
सही है .... बहुत बढ़िया !!
ReplyDeleteIf the pen brings best out of you then keep writing. Words spoken will reach to few, words penned will reach to millions.
ReplyDeletesundar manobhav...
ReplyDeletebahut achha laga aapka blog aur rachnayne...
Haardik shubhkamnayne
पूजा जी
ReplyDeleteनमस्कार !
बहुत भाव पूर्ण कविता लिखी है …
बधाई !
वो बात
……… जो ज़ुबां कह नहीं पाती
उंगलियों के आभारी हैं !
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार