वो सेब वाकई खट्टे थे...
आज फ़िर यादों के पिटारे से एक याद आपके साथ बांटने आई हूँ। ये बात है जब हम बद्रीनाथ जी के दर्शन करने गए थे... आज भी आँखे बंद कर लो तो पूरा नज़ारा सामने आ जाता है। तो हम निकले तो देहरादून से थे, रात में कर्णप्रयाग में रुके, और दूसरी सुबह केदारनाथ जी के दर्शन को चले गए। किस्मत बहुत अच्छी थी जो न तो लैंड-स्लाइड मिला और न ही कोई गेट बंद। सभी अच्छा-अच्छा... फ़िर तीसरे दिन हम पीपल" करके कोई जगह थी {मुझे नाम ठीक से याद नहीं है}, वहां से बद्री जी के दर्शन को निकले... रास्ते में सेब के पेंड़ देखे, वो सेब कुछ अजीब-से थे, परन्तु अच्छा लग रहा था। पहाड़ियां, घुमावदार रस्ते देखने में मज़ा आ रहा था। इंतज़ार थे कि कब मंदिर पहुंचेंगे। और पापा ने बताया कि वहां से हम "माना गाँव" भी जायेंगे, जो कि बिलकुल भारत-चीन बोर्डर का आख़िरी गाँव है। और ये सेब के पेंड़ देख कर तय हुआ कि लौटते में खरीदेंगे।
मंदिर गए, दर्शन किया, सबके लिए प्रशाद भी लिया, माना गाँव गए। जब लौटने लगे तो माँ-पापा ने भगवान से प्रार्थना की कि सभी को अपने द्वार एक बार जरूर बुलाना... उनका भी सोचना सही ही था।
हाँ तो जब लौटने लगे तो एक सेब-वाली के पास रुके, ड्राइवर भाव तय करने लगा, उसे वहां की भाषा आती थी तो उसके लिए आसान था। और हमने उन सेब के गुच्छों के साथ फोटो खिचवाने की इक्छा जाहिर की तो उसकी मालकिन ने माना कर दिया, हमने कहा भी कि उसके पेंड़ को कोई नुक्सान नहीं पहुंचाएंगे तब भी नहीं मानी।
खैर... उसके साथ न सही परन्तु उस पेंड़ की हमने कुछ फोटोस ले ली... परन्तु सबसे मज़ा तो तब आया जब हमने उस सेब को चखा... बाप रे बाप! सच मानिए इतना खट्टा सेब मैंने क्या हम सभी में से किसी ने अपनी अभी तक की ज़िन्दगी में नहीं खाया था... माँ खट्टा बहुत ही कम खातीं हैं तो उनकी तो हालत ही ख़राब हो गयी...
बाद में हमने वो सारे सेब उठा कर दोनों ड्राइवर्स को दे दिए...
परन्तु अनुभव अच्छा था...
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बहुत बढ़िया आपके संस्मरण लगे ..... सेब खट्टे लगे तो क्या यात्रा तो बढ़िया रही ....
ReplyDeleteअच्छा संस्मरण !
ReplyDeleteसेब बड़े खट्टे थे|बहुत सुन्दर यात्रा वृत्तान्त|
ReplyDeleteब्रह्माण्ड
अच्छा संस्मरण था ! चलिए इससे ये फ़ायदा हो गया की हमे भी पता लग गया की सेब खट्टे थे, वरना आज तक सिर्फ़ ये सुनते आए थे की अंगूर खट्टे थे !
ReplyDelete@Mahendra ji, Anil ji, Rana pratap ji, Santosh ji... thank you so much...
ReplyDelete@Mahendraji... ji yatra to bahut hi achhi n avismarneey thi...
@Santosh ji... ji ab kahwatein badalne lagin hain... :)