आज एक अजीब-सा विचार मेरे मन में आया
और वही मुझे यहाँ तक खींच कर ले आया...
आज नमन करना है उन गुरुओं का...
जिन्होंने हिन्दी से मेरा परिचय करवाया...
सर्वप्रथम मेरे माता-पिता...
जिन्होंने हिंदी अक्षरों से अवगत कराया
और मेरी तोतली जुबां को बोलना सिखाया।
घर लाकर एक बड़ा-सा हिंदी अक्षर-माला का चार्ट
मुझे स्वरों-व्यंजनों को लिखना और बोलना सिखाया...
कभी सीधे, कभी बहाने से
मुझसे "अ आ इ ई" बुलवाया
तो कभी कहानियों के बीच ककहरा सुनाया
कभी देकर स्लेट-पेंसिल कहा
"इतना लिख कर दिखाओ"
तो कभी अपनी उँगलियों के बीच रख मेरी उंगलियाँ
अपनी गोद में बिठा कर लिखवाया...
कभी प्यार से तो कभी डांट कर... और बात न मानने पर,
मार के डर का प्रयोग आजमाया।
फ़िर अक्षरों को मिला-मिलाकर
शब्दों को पढ़ना सिखाया...
कुल-मिलाकर स्कूल जाते तक,
अपनी उम्रवालों के बीच मुझे हिंदी का उस्ताद बनाया।
अब बारी उन हिंदी के गुरुओं की
जिन्होंने हिन्दी विषय से परिचित कराया...
गद्य-पद्य का अर्थ और सारांश समझाया...
उसके पीछे छुपे अर्थ को कैसे समझना है
ये भी समझाया...
पर्यायवाची, समानार्थी, एकार्थी, रस, छंद, अलंकार
और भी न जाने क्या-क्या समाहित है इस व्याकरण में...
परन्तु,
उन्होंने इस कठिन हिस्से से भी निजाद दिलाया
इस भाषा की कठिनाइयों से कैसे निपटना है
ये भी बतलाया...
किसी कवी की कविताओं और
किसी लेखक के लेख की खासियत एवं
उसकी छिपी भावनाओं को कैसे पढ़ना है,
या उसे अपने वाक्यों में कैसे प्रस्तुत करना है ये भी पढ़ाया...
शायद उनका दिया ज्ञान ही है
जो यूं लिख पा रही हूँ मै...
अपनी हर भावना, हर चाहत और हर सोच को यूं
आप सभी के सामने रख पा रही हूँ मै...
इसलिए...
नमन उन सारे गुरुओं का जिन्होंने
मुझे इस प्यारी, अदभुत और
हमारी अपनी भाषा का ज्ञान दिया...
और मुझे उनकी शिष्या कहलाये जाने का सम्मान दिया...
...sundar rachanaa !!!
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी कविता !
ReplyDeleteसच गुरुओं के लिए सारा जीवन भी समर्पित कर दें तो कम है !
यह पोस्ट और इसमें व्यक्त भावनाएं अच्छी लगीं। आज आपके प्रोफाइल फोटो को ध्यान से देखा तो नजर अटक गई। आपके साथ संभवत: आपकी मां,बहन या किसी सहेली की फोटो है। पर उनका सिर नहीं दिखाई दे रहा। अगर आपको ठीक लगे तो पूरा फोटो ही प्रोफाइल में रखें या फिर कोई और फोटो उपयोग करें,क्योंकि साथ वाले व्यक्ति का सिर विहीन चित्र अच्छा नहीं लग रहा है। यह एक सुझाव भर है।
ReplyDeleteएक बहुत अच्छी रचना जो भावनाओं से ओत-प्रोत है
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना ... बधाई
ReplyDeleteबहुत खूब। आभार जताने के किसी भी उपक्रम में सबसे पहले माता-पिता ही आते हैं।
ReplyDeleteGuru give the inspiration that no books can provide. The best thing is that Guru never loses faith in you even when you do not have faith in yourself.
ReplyDeleteशुक्रिया पूजा जी ,आपने मेरी बात पर ध्यान दिया।
ReplyDeleteशुक्रिया पूजा जी
ReplyDeleteब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
मेरा भी नमन!!
ReplyDeleteहिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!
great !
ReplyDeleteहिंदी-दिवस पर सुन्दर प्रस्तुति...हिंदी तो अपनी मातृभाषा है, इसलिए इसका सम्मान करना चाहिए. हिंदी दिवस पर ढेरों बधाइयाँ और प्यार !!
ReplyDelete_____________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है...
nice one
ReplyDeleteहिन्दी प्रेमियों से अनुरोध है कि अपना प्रेम दर्शाने के लिए सबसे पहले यह देखें कि टिप्पणी के साथ प्रदर्शित होने वाला आपका नाम किस भाषा में हैं। अगर आप हिन्दी में ब्लाग लिख रहे हैं तो सबसे पहले तो अपना नाम ही हिन्दी में लिखें।
ReplyDeleteअब बताएं कि कितने लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में हैं। हां हस्ताक्षर दो हो सकते हैं एक अंग्रेजी और एक हिन्दी में । मेरा अपना हस्ताक्षर केवल हिन्दी में है। फिर चाहे मुझे अंग्रेजी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करना हो हिन्दी पर। आखिर आपकी पहचान तो एक ही होती है न। तो मित्रों अगर अभी तक आपने यह दोनों बातें नहीं की हैं तो अब कर लें। इस हिन्दी दिवस पर आपका यही योगदान होगा और संकल्प भी। वरना बड़ी बड़ी बातें तो जमाने से चली आ रही हैं और चलती रहेंगी।
विश्वास है,गुरू की दीक्षा सदैव व्यवहार रूप में दिखती रहेगी। हिंदी के लिए काम करें,हिंदी की क्षमता अपार है।
ReplyDeleteभई मज़ा आ गया ..बहुत ही अच्छी कविता.
ReplyDeleteहिन्दी दिवस पर आपका अभिनन्दन है.
इस नारे के साथ कि...चलो हिन्दी अपनाएँ
आप सभी को हिन्दी दिवस पर शुभकामनाएँ
उम्दा प्रयास हिन्दी की जय हो !
ReplyDeleteमेरा भी नमन अपने गुरुओं को आपके बहाने हालांकि मै एकलव्य हूं हिन्दी का!
डा.अजीत
sundar si kavita..... mann ke bhaavon ko sahaj hi vyakt karti hui....
ReplyDeletegurujano ko ek bar aur yaad kar pranam kar liya aapki yah kavita padh kar, shukriya ise padhwane ke liye.
हिन्दी के प्रति अथाह प्रेम..सुंदर अभिव्यक्ति...बढ़िया भावपूर्ण रचना...हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामना
ReplyDeleteउदात्त रचना !
ReplyDeleteअच्छी पंक्तिया ........
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग कि संभवतया अंतिम पोस्ट, अपनी राय जरुर दे :-
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_15.html
कृपया विजेट पोल में अपनी राय अवश्य दे ...
bahut sundar rachna
ReplyDeleteHINDI DIVAS KI BAHUT BAHUT BADHAI
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
सुंदर अभिव्यक्ति हिंदी भाषा को नमन और सुंदर रचना के लिए आपको बधाई
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट,
ReplyDeleteमेरा भी नमन!
यहाँ भी पधारें:-
अकेला कलम...
Aap sabhi ka bahut-bahut dhnyawaad... evam Hindi-diwas kee badhaiyaan sweekarein... {thodi der se hi sahi}
ReplyDelete@Rajesh ji... ji, bahut bahut dhnyawaad... aur aap bade hain aapki salaah kee hamesha aawashyaktaa rahegi... kripya yunhee aashirwaad banayen rakhen... Ji ek baat, aapne hindi mein naam likhne ko kaha... maantee hoon aapkeebaat satya hai, parantu meri pahchhan to meri hi rahegi, chahe mei hindi mein likhun ya english mein... aur rahi baat hindi ka samman karne kee to bachhe hamesha maa ko poojte aaye hain, ise kahne ya dikhane kee jaroorat nahi hai... parantu... dhnyawaad...