कल के अन्जाने
आज अपने-से लगने लगे...
कल तक नाम नहीं जानते थे एक-दूसरे का
आज देखो तो...
नज़रें भी पहचानने लगे
कल तक ये सुर्ख हवाएं,
अनजानी थीं मुझसे...
आज, ये मौसम भी अपना-सा लगता है...
कल तक,
डरता था दिल यहाँ आने से...
आज...
यहीं ठहर जाने को मन करता है...
गणेशचतुर्थी और ईद की शुभकामनाये
ReplyDeleteअच्छी पंक्तिया लिखी है आपने ...
थोडा सा ध्यान यहाँ भी दे : -
(जानिए पांचो पांडवो के नाम पंजाबी में ....)
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_11.html
यहां आपका स्वागत है। निर्भीकता से जो कहना है कहिए।
ReplyDeleteकुछ पंक्तियां बहुत सुंदर हैं...
ReplyDeletehttp://veenakesur.blogspot.com/
बढिया..
ReplyDeleteसराहनीय प्रयास
ReplyDeletePooja...Bahut achchha likhti hein aap...Badhaayee
ReplyDeletesweekar karein...Meray blog par aane aur apne sunder vichar prastut karene ke liye aapka bahut shukriya.
बहुत ही बढ़िया ..............
ReplyDeleteजब किसी के ब्लॉग में किसी प्यार कि बातें पड़ता हूँ तो दिल के जख्म ताजा हो जाते है.!! और कलम अपने आप उठ जाती है ......
bahut khoob ....aapke lakhen ki sadgi bahut achhi lagi isse banaye rakhna .....mere blog par aane ke liye dhanywad or aate rahna...!!!
ReplyDeleteJAI HO MANGALMAY HO
कल के अन्जाने
ReplyDeleteआज अपने-से लगने लगे...
कल तक नाम नहीं जानते थे एक-दूसरे का
आज देखो तो...
नज़रें भी पहचानने लगे
हर पंक्ति मन को छू लेने वाली
बहुत सुन्दर
स्वागत के साथ vijayanama.blogspot.com
अच्छी कविता ! सुंदर भाव !
ReplyDeleteपूजा स्वागत है .....!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर नज़्म कही....बड़े प्यारे शब्द हैं masoomiyat bhre ......
pyaar bantne से bdhta है ....!!
bahut sundar rachna pujaji.
ReplyDeleteaap sabhi kaa bahut-bahut shukriyaa...
ReplyDeletebahut sunder likha haa.........
ReplyDeleteअच्छा लिखती हैं आप।
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