कल के अन्जाने...

कल के अन्जाने
आज अपने-से लगने लगे...
कल तक नाम नहीं जानते थे एक-दूसरे का
आज देखो तो...
नज़रें भी पहचानने लगे

कल तक ये सुर्ख हवाएं,
अनजानी थीं मुझसे...
आज, ये मौसम भी अपना-सा लगता है...
कल तक,
डरता था दिल यहाँ आने से...
आज...
यहीं ठहर जाने को मन करता है...

15 comments:

  1. गणेशचतुर्थी और ईद की शुभकामनाये

    अच्छी पंक्तिया लिखी है आपने ...

    थोडा सा ध्यान यहाँ भी दे : -
    (जानिए पांचो पांडवो के नाम पंजाबी में ....)
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_11.html

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  2. यहां आपका स्‍वागत है। निर्भीकता से जो कहना है कहिए।

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  3. कुछ पंक्तियां बहुत सुंदर हैं...

    http://veenakesur.blogspot.com/

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  4. सराहनीय प्रयास

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  5. Pooja...Bahut achchha likhti hein aap...Badhaayee
    sweekar karein...Meray blog par aane aur apne sunder vichar prastut karene ke liye aapka bahut shukriya.

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  6. बहुत ही बढ़िया ..............
    जब किसी के ब्लॉग में किसी प्यार कि बातें पड़ता हूँ तो दिल के जख्म ताजा हो जाते है.!! और कलम अपने आप उठ जाती है ......

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  7. bahut khoob ....aapke lakhen ki sadgi bahut achhi lagi isse banaye rakhna .....mere blog par aane ke liye dhanywad or aate rahna...!!!


    JAI HO MANGALMAY HO

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  8. कल के अन्जाने
    आज अपने-से लगने लगे...
    कल तक नाम नहीं जानते थे एक-दूसरे का
    आज देखो तो...
    नज़रें भी पहचानने लगे
    हर पंक्ति मन को छू लेने वाली
    बहुत सुन्दर
    स्वागत के साथ vijayanama.blogspot.com

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  9. अच्छी कविता ! सुंदर भाव !

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  10. पूजा स्वागत है .....!!

    बहुत सुंदर नज़्म कही....बड़े प्यारे शब्द हैं masoomiyat bhre ......
    pyaar bantne से bdhta है ....!!

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  11. aap sabhi kaa bahut-bahut shukriyaa...

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  12. bahut sunder likha haa.........

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