सुबह हुई नहीं कि दलीलें मिलनी शुरू हो जाती हैं, "हम तुम्हारी उम्र के थे तब चार बजे से उठ कर पढ़ते थे", "हम तो कभी नहीं सो सकते सात बजे तक, पता नहीं तुम लोग कैसे सो लेते हो", रात में जल्दी सो जाया करो तो सुबह भी जल्दी नींद खुले", क्यों जागते रहते हो रातभर, सुबह से उठ कर काम कर लिया करो"... वगैरा-वगैरा। और हम मन-ही-मन सोचते हैं कि हमसे नहीं होता दिन में काम, ऑफिस निपटाओ, घर आओ फ़िर वही, न बाबा न... और दिनभर घर फुटबाल का मैदान भी तो बना रहता है, और फ़िर स्कूल के वक़्त से ही आदत हो गयी है रात को पढने की, जागने की तो अब क्या करें? खैर...
और-तो-और वहीँ दूसरी ओर हमें महान वैज्ञानिकों, लेखकों, हस्तियों के नाम और काम से प्रेरित करने की कोशिश भी करते हैं... बताते हैं कि कैसे उन लोगों ने रात-रात भर जाग कर पढ़ाई की, चिंतन-मनन किया और तब जाकर अपने क्षेत्र में महारत और नाम हासिल किया। जैसे:- गैलिलियो रातभर मोमबत्ती के सहारे पढ़ते थे, शेक्सपीयर स्ट्रीट-लाइट में पढ़ते थे, और भी न जाने कौन-कौन क्या-क्या करते थे। पर एक तो ये बात समझ से परे है, ये लोग दिन में क्या करते थे जो सारे आविष्कार, लेख और बड़ी संरचनाएँ रात में ही गढ़ी गयीं। और फ़िर हमें जिसका उदाहरण देकर कुछ बनने और कुछ बड़ा कर गुजरने, नाम कमाने की प्रेरणा दी जाती है, हम तो उन्ही रास्तों पर चल रहे हैं। तो फ़िर हम क्यूं सुबह चार बजे से उठें? कभी सुना है कि कोई वैज्ञानिक ने कोई आविष्कार सुबह किया हो? या किसी बड़े साहित्यकार ने रात में ली पूरी नींद का वर्णन किया हो, किया भी होगा तो किसी और की नींद का, न कि अपनी।
तो फ़िर हमें भी रातभर जागने दीजिये। क्या पता किसी दिन हम भी कुछ ऐसा कर जाएँ और आनेवाली संतति के लिए एक और बोझ छोड़ जाएँ, जैसे हमारे लिएय कईयों ने छोड़ें। उन्हें क्या, उन्होंने तो नाम कमाया और चल दिए, अब हमसे पूछिए कि हमें कितना पढना पड़ता है, और वो भी जो कभी हमारे किसी काम नहीं आनेवाला। अरे नहीं, हो सकता है काम आए, जब हम अपने आनेवाली पीढी को पढ़ाएंगे या उनके साथ रोने में कुछ आंसू गिराएंगे। सही है तब तो काम आ ही जायेगा, आखिरकार अनुभव का अपना अलग ही स्थान है।
subah char baga uthana ka kai karan hai subah subah kuch good good mood hota hai lok sai laker parlok tak isleiya subah char baja uthana chaihaya
ReplyDeleteHe mere shubhchintako Let us be comfortable with how we lead our life as long as we are harmless and delivering.
ReplyDelete@Poorviyaji, Sanjeev ji... sarvpratham aap dono ka bahut-bahut dhanyawaad...
ReplyDelete@Poorviya ji... har insaan ko minimum 5 hrs. kee neend to leni hi chahiye, to ham 4 am tab uth sakte hain jab raat mein 11pm so jaye, but ab jab dinner ka time hi 11pm hai to kaha se subah subha uthh jaye? aur aapka kahna bilkul uchit hai, parantu har insaan ka apna alag life-style hota hai.
@sanjeev ji... logon ko abhi ye samjha pana thoda kathin hai hai...
duryodhan, raavan, kans ye log bhi saare pramukh kaam raat me hi kiya karte the..
ReplyDelete@rajey sha ji... ji bilkul, parantu yadi inka udaharan lenge to yahi bata dijiye ki Ramm ji ne din mei koi kaam kiya to chhipkar kyoon?
ReplyDeleteaur hamare desh ko bhi aazadee raat mei hi mili..
aur aapne shayad theek se padha nahi ki maine kin-kin logon ka udaharan prastut kiya hai... parantu bahut-bahut dhanyawaad aapke honest feedback ka... thank you so much...
Dear Pooja.... There are numerous advantages of waking up early. Why we always looks at west. We must respect our thoughts also. Indian vedic philosophy says we must always wake up early in the morning, before the sunrise. It is the time when the atmosphere is absolutely calm, percentage of fresh oxygen in the air is maximum, More fresh air to the body more the life of body. it also provides healhty life. As far as example are concern. Aryabhatta is the biggest scientist and mathematician this world ever had. Aryabhatta followed vedic culture. The Legend Kalidas, Goswami Tulsidas, Meerabai, Maharshi Ved Vyas, Chaitanya Mahaprabhu, Kabeer, etc... And in contemperories we have Mother teresa, APJ Abdul Kalam, Swami Vivekanand, Dr. Radhakrishnan, Mahatma Gandhi, Dr. Rajendra Prasad, Miss Anie Besant and the list continues... Whatever our great vedic culture says. it has some meaning and our parents also follows it. Yes we must wake up early in the morning, in the Brahma-muhurat....
ReplyDeleteThanks
Rohit Shrivastava
rohit_cse58@yahoo.com