आज की बारिश... और यादें
आज बारिश में बच्चों को को भीगता देख,
मन फ़िर से यादों के गलियारों में भटकने चला गया...
वो स्कूल से घर आते में,
जानबूझ कर भीग जाना,
वो रेन-कोट न होने का बहाना बनाना...
ड्रेस गीली हो जाने पर,
मम्मी की भारी भरकम डांट खाना...
और,
यदि धोखे से बीमार पड़े तो,
सारे रिश्तेदारों, दोस्त-यारों के वो अजीबो-गरीब नुस्खे बताना...
और दुबारा ये बचपना न करूँ, ये भी समझाना...
ऐसा नहीं है कि अब भीग नहीं सकती,
या बहाने नहीं बनाऊँगी...
भीगूँगी, बहाने बनाऊँगी...
और मम्मी की ढेर सारी डांट खाऊँगी
रिश्तेदारों, दोस्त-यारों के भी फ़ोन आयेंगे,
फ़िर से सब अपने-अपने तरीकों से समझायेंगे...
पर...
अब बात ड्रेस गीली होने की नहीं,
बात होगी कि मै बड़ी हो गई हूँ...
बात मेरे बचपने की नहीं,
बात होगी की अब इतनी तो समझदार हो ही गई हूँ...
हाँ सही ही तो है...बड़ी तो सिर्फ मै हुई हूँ,
बाकी सब का यौवन तो वैसा ही है...
सावन तो सिर्फ मेरे लिए बदला है,
बाकी सब के लिए तो मौसम वैसा ही है...
खैर...
हाँ तो हम कहाँ थे...
उन बच्चों को देख,
उनके बीच खुद को खोज रही थी...
अपने भविष्य को, यूँही
भीगते, मस्ती करते सोच रही थी...
तभी अचानक, मम्मी की आवाज़ का कानों में आना...
"खिड़की बंद करो वरना पाने अन्दर आयेगा"
और हमेशा की तरह मेरी एक और सोच, एक और सपने का टूट जाना...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
sundar !
ReplyDeleteA beautiful depiction of rains and the flood of emotions which refuse to die with the times.
ReplyDeleteसुन्दर भाव के साथ सुन्दर रचना ....सच आपके साथ मैं भी बचपन के दिनों में लौट गई थी !
ReplyDeleteशुभकामनाए
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
कोई नहीं डांटेगा , माँ भी नहीं- सपनों के टूटने का सबब माँ से बेहतर कौन समझता है भला ! यकीनन अब बहाने की भी ज़रूरत नहीं, बस भीगते जाओ
ReplyDeletehirdayisparshi:)
ReplyDeletetammanaon ki baarish me khul ke nahane ki baat kitni khoobsoorati se kahi hai..
ReplyDelete@Mahfooz ji, Kuhoo, Sanjeev ji, Raani ji, Rashmi mam, Aditya ji, Varsha ji... आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDelete@rashmi mam... माँ डाटेंगी... बचपन में ड्रेस गीली होने का तो बहाना था, बात तो मेरे बीमार पड़ने कि थी और अब बात होगी पापा कि पोस्ट कि, मेरे बड़े हो जाने की।
very beautiful
ReplyDeleteसच बचपन में बारिश में भीगना - अना ही मजा था।
ReplyDelete@Shahsi ji, Unmukt ji... Thank you so much...
ReplyDelete@unmukt ji... Jee bilkul sahi...