तेरा ख्याल... और फ़िर वही सवाल...
जब भी लिखना कुछ चाहा, सबसे पहले तेरा ही ख्याल आया...
"और क्या लिखूं तुझ पर?"
फ़िर यही सवाल आया...
लिखना जब भी चाहा कागज़ पर...
तो रुक गयी कलम वहीँ, जहाँ तेरा नाम आया
सोचा, लिख दें दिल पर...
तो बढ़ गयी धड़कन, जैसे ही रूह को तेरा ख्याल आया
लिखना तो आसमान पर भी चाहा...
पर लिख सकूँ तेर बारे में, ये सोच आसमाँ को भी छोटा पाया
लिख देते तेरा नाम इस ज़मीं पर...
पर मैला न हो जाए, इसलिए ज़मीं को बी ठुकराया
"हवाओं पर लिखना कैसा होग?"
पर छू जायेगा तू किसी और को, सोच कर दिल सिहर आया
हम तो चला देते पानी पर भी कलम...
पर बहकर कहीं दूर न चला जाए मुझसे?, सो, हाँथ वहां भी चल न पाया
चल...
लिख देते हैं तेरा नाम अपने दिल में... धड़कन में... रूह की परछाइयों में...
अपनी साँसों में... जिस्म में... अपनी अंगड़ाइयों में...
जिससे...
जब भी चाहूँ तुझे पाऊं खुद में ही समाया...
लोग देखकर पूछें मुझसे...
कि मैं हूँ या तेरी मोहब्बत का साया...
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"चल...
ReplyDeleteलिख देते हैं तेरा नाम अपने दिल में... धड़कन में... रूह की परछाइयों में...
अपनी साँसों में... जिस्म में... अपनी अंगड़ाइयों में...
जिससे...
जब भी चाहूँ तुझे पाऊं खुद में ही समाया...
लोग देखकर पूछें मुझसे...
कि मैं हूँ या तेरी मोहब्बत का साया..."
bahut hi badhiya likha hai ji....dil ko chhooti rachna aapki...
kunwar ji,
bahut sundar rachna
ReplyDeletehttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
वाह वाह वाह वाह्………………बडे ही सुन्दर भाव हैं………………उम्दा रचना।
ReplyDeleteजब भी चाहूँ तुझे पाऊं खुद में ही समाया..
ReplyDeleteपूजा जब ये बात है तो फिर सवाल क्यों जवाब तो खुद दिल मे मौजूद है। वाह सुन्दर कविता है बधाई
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।
ReplyDeleteBhai Wah
ReplyDeleteKitni shiddat se chaha hai aapne apni preyashi ko. Aap ke shabd aapke pyar ko amar kar diye hain.
Bahut bahut badhai.
P.K.Mishra(Varanasi) 9415227186
सुंदर उदगार
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजब भी लिखना कुछ चाहा, सबसे पहले तेरा ही ख्याल आया...
ReplyDelete"और क्या लिखूं तुझ पर?"
फ़िर यही सवाल आया...
बेहद सुन्दर रचना ...बार बार पढना ज़रूरी हो गया.
wow beautiful
ReplyDeletebehad sunder bhavpurn rachana.
ReplyDeleteKunwar ji, Sanjay ji, Vandna ji, Nirmala ji, Paramjeet ji, PK ji. Ajaya ji, Sangeeta ji, Arshad i, Vinay ji, Mehek ji... aap sabhi ka bohot bohot dhamyawaad...
ReplyDelete@Maria... Thank you so much...
@PK ji... ji wo meri preyasi nahi hai...
It's awesome! what a nice poem!
ReplyDeletejitni bhi tareef karo kam hai :)
too good...
ReplyDeletebahut hi sundar aur pyari si kavita..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना...
ReplyDelete@Shailesh, Neelima jee, Rajneesh jee, Sanu jee... thank you so much...
ReplyDeleteAmazing use of rhyme to express complex thought in so simple a manner... loved the poem...
ReplyDelete@silentdreamz and paramanand ji... thank you so much...
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