"आखिर... आज... इतने दिनों का इंतज़ार ख़त्म हो ही गया...
आखिर... आज, तुम आ ही गए...
न जाने कितना इंतज़ार करना पड़ा था इस दिन का... लगता था कि न जाने तुम आओगे भी या नहीं...
रोज़ T.V. पर खबरें सुनते थे, और रोज़ तुम्हारे आने का इंतज़ार करते थे... तुम्हारे आने, न आने कि बातें करते थे... बस, सोचा करते थे कि जिस दिन तुम आओगे वो दिन कैसा होगा, उस दिन हम क्या करेंगे... भगवान् से प्रार्थना करते थे कि तुम जल्दी आ जाओ... पर आज सारा इंतज़ार ख़त्म हो गया, आज तुम आ गए...
पता है, ऐसा लगता था कि तुम्हारे इंतज़ार में आँखे भी पथरा जायेंगी, तन जल जायेगा, सब बंजर हो जायेगा...बीच में तुम आये तो थे, पर सिर्फ एक-दो दिनों के लिए बस... तब एक बार लगा तो था कि तुम आ गए, पर तब तुम जल्दी ही वापस भी चले गए... तब सब यही कहते थे, कि "अब यदि आना तो जाने के लिए मत आना..."
पर आज... आज फिर से सब तरफ ख़ुशी का माहौल है... तुम आये क्या, ऐसा लगा जैसे सभी की खुशियाँ लौट आयीं... बड़े-बूढ़े, जवान-किसान, यहाँ तक कि बच्चे भी... सब खुश हैं... तुम्हरी एक फुहार ने सबका इंतज़ार ख़त्म कर दिया... अब सबको यकीन हो गया कि तुम इस बार जाने के लिए नहीं आये... सभी ने भगवान को ढेर सारा धन्यवाद दिया..."
हाँ, आज हमारे शहर में बारिश हुई... बरसात के इस मौसम कि शुरुआत आखिर हो ही गयी... रोज़-रोज़ बस आसमान कि तरफ देख कर सभी इसका इंतज़ार कर रहे थे, गर्मी के कारण सब बस सुलझे ही जा रहे थे, परेशान थे कि न जाने इस साल कि बारिश कब आएगी... पर आखिरकार आज भगववान ने सभी की दुआएँ कबूल कर लीं... पर चलो देर से ही सही पर बारिश आई तो...
बड़ा अच्छा लगा जब मिट्टी की वो सौंधी खुशबू आई,
चारों तरफ के माहौल में ज़रा सी ठंडक लाई,
सड़कें धूलिं, पेड़-पत्ते धुले
सभी को छाते की ज़रुरत समझ आई...
सबके चेहरे खिल उठे, अचानक
तापमान नें भी कुछ कमी आई...
बारिश आई... देखो बारिश आई...
अत्यंत ही सुंदर रचना......आपकी रचना और बारिश दोनो का हार्दिक स्वागत ....
ReplyDeleteअभिव्यक्ति तो अच्छी है ही लेकिन चित्र बहुत सुंदर था तुमने उसका जिक्र नहीं किया।
ReplyDeleteउम्दा अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteवाह क्या आए। पहले लगा जी कोई फौजी का इंतजार हो रहा है। फिर लगा जी प्रेमि का इंतजार हो रहा है। वो तो जी बाद में पता लगा जी की प्रेम जिस मौसम में जवां होता है, वो बरसात आई। पर इस बार गर्मी के पूरे रंग देखने के बाद। वाह बरखा रानी पूजा के ही शब्दों में तुम्हारा स्वागत है। आओ और लौट के न जाओ। आओ हर उस खेत में जहां पसीना बहा है, आओ फिर लौटना भी, पर अगले साल सही वक्त पर आने के लिए।
ReplyDeleteबढ़िया तस्वीरों के साथ शानदार
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletehaan ji akhir ham aa hi gaye.
ReplyDeleteapne aap ko rok hi nahi paye.
accha likha hai na kitni muskilo ur pareshaniyo k baad accha wakt aahi jaata hai jaise garmi k baad barsat
@sanjukranti, Indli, Ajit ji, Udan tashtari ji, boletobindas ji, Sangeeta ji, Sanjay ji, sanjeev... aap logo ka bahut-bahut dhnyawaad...
ReplyDelete@Indli... ure, bahut hi jald aapse Indli par mulakat hogi
@ajit ji... chitra ke liye dhanyawaad... ji uska reason hai mai... kapdo ke liye meri pahli pasand safed rang hai aur ladki hu isliye pink naturally asand hi hai... abhiwyakti meri hai to ye painting dekh kar laga kyu na mai is post mei shamil ho jau...
@sanjeev... sahi hai...
bahut sundar abhivyakti..
ReplyDeleteSanu jee, thank you so much
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