जाने क्या तूने कही... जाने क्या मैंने सुनी... *

जाने क्या तूने कही... जाने क्या मैंने सुनी...
बात कुछ बन ही गयी...
जाने क्या तूने कही....

वाकई... कितना प्यारा, खूबसूरत और शरारतों से भरा गीत है ये...
सिर्फ कुछ बोल पढ़ते ही अपने-आप गुनगुनाने लगते हैं इस गीत को... और वहीदा जी वो प्यारा-सी, खूबसूरत-सी, मासूम-सी अदाएं जैसे आँखों के सामने आ जाती हैं... जैसे सबकुछ बस उनकी शक्ल पर लिखा हो... उनकी खूबसूरती के तो लोग कसीदे पढ़ते हैं... और तारीफ कितनी भी करो कम है...
और गीता दत्त जी कि आवाज़ ने इस गाने में जैसे चार-चाँद लगा दिए हों... बिलकुल जैसे ये गीत लिखा ही गया हो गीता जी कि आवाज़ और वहीदा जी पर फिल्माए जाने के लिए...
फिर एस.डी. बर्मन जी का संगीत और गुरु दत्त जी का निर्देशन...
कमाल... क्या बात, क्या बात, क्या बात...
पर कितना अच्छा होता था, कि जो आपने कहा वो सामने वाले ने हु-ब-हु समझ लिया...
पर अ वो बात कहाँ? अब तो हम कहते कुछ और हैं, और सुनने वाला समझता कुछ और ही है... और फिर गलतफहमी... फिर बैठो, और समझाओ कि आप वाकई में कहना क्या चाहते थे...
कितना अजीब लगता है न... कि कभी-कभी आपकी हर बात को समझनेवाला आपकी कोई छोटी-सी बात नहीं समझ पता... या, आप कहते कुछ हैं, आपकी बात का मतलब कुछ और ही निकाल लिया जाता है... और उन गलत मायनों के चलते आपको भी गलत समझ लिया जाता है... और-तो-और, लोग सिर्फ आपको गलत समझें, वहां तक तब भी ठीक है, इन्ही बातों के चलते लोग आपसे नाराज़ भी हो जाते हैं, और आपकी शिकायत गैरों से करते हैं... अरे, यदि आपको कुछ गलत लगा या कोई गिला-शिकवा है, तो सीधे हमसे पूछिए न... हमारी बात, हम कह रहे हैं... तो उसका मतलब भी तो हमें ही पता होगा न...

गाने के बोल वही हैं बस थोड़े से मतलब बदल गए हैं...
जाने क्या तूने कही... जाने क्या मैंने सुनी...
बस गलत मतलब निकाला और साड़ी बात बिगड़ गयी...
खैर... यदि यही सुधर जाए तो शायद अधिकतर झगड़े तो यूँही सुलझ जाएँ... या शायद हो ही न...


Note:-{यदि आपको गीत याद न आ रहा हो या गीत सुनने कि इक्षा हो तो कृपया * को क्लिक करें...}

7 comments:

  1. आईये जानें .... क्या हम मन के गुलाम हैं!

    ReplyDelete
  2. सार्थक पोस्ट

    ReplyDelete
  3. सचमुच बहुत सुंदर गीत है ये !!

    ReplyDelete
  4. कभी कभी लोग एक बात के कई अर्थ जोड़ लेते हैं....बढ़िया लिखा है आपने...

    ReplyDelete
  5. @acharya ji... ham man ke nahi man ki un ikshaon ke gulaam hain jinhe ham daba nahi paate... warna "mar maar kar baithna", muhavare ka janm na hota...
    @Jandunia, Vinod ji... thank you so much...
    @sangeeta ji... sahi hai...

    ReplyDelete