
तुमने कल
बातों ही बातों में...
कुछ दबे भाव थे
उनमें... जो शब्द सीचें थे
लेकर हाँथ मेरा अपने हाथों में...
न जाने क्या था उन छिपी छिपी सी बातों में
बहुत था फर्क बड़ा...
लफ़्ज़ों और ज़ज्बातों में
पर कुछ तो था
जो कहना चाहते थे तुम...
या चाहते थे समझाना मुझे... कुछ भी कहे बिना...
जानते हो न कि समझ जाउंगी उन धडकनों को मैं...
और समझूँ भी क्यों न...
मैं ही तो हूँ वहां...

या समझ में हो रही देर है
तुम जो कहते हो मैं सुन नहीं पाती
और इसीलिए शायद कुछ कह नहीं पाती
क्योंकि
मेरे शब्दों कि रूह तो तुम्हारे अनकहे अलफ़ाज़ ही है न...
और शिकायत तुम्हारी कि "मैं कुछ कहती नहीं"...
यह धडकने और यह अल्फाज ....यह जीवन और यह राज ....किसे पता कौन समझ पाया है .....आपका आभार
ReplyDeleteयूँ ही एक बात कही थी
ReplyDeleteतुमने कल
बातों ही बातों में...
कुछ दबे भाव थे उनमें...
जो शब्द सीचें थे
लेकर हाँथ मेरा अपने हाथों में...
भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई
बहुत राज की बात कह रहीं हैं आप पूजा जी.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग से क्या फिर आप रूठ गयीं हैं ?
केवल शब्द नहीं कहते हैं,
ReplyDeleteसुनों जब आँसू बहते हैँ।
अनकहे भावों को समझ लेना जादूगरी कहलाता है..:)
ReplyDeleteसुन्दर! सम्वाद-सम्प्रेषण कोई आसान काम नहीं।
ReplyDeletekahun to kya ... mere andar tum ho...
ReplyDeleteअनकहे भावो को बहुत ही खूबसूरती से रचना में कहा है आपने....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.
ReplyDeleteसुन्दर रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें .
वाह ...बहुत ही बढि़या ... ।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से कहे एहसास
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत कविता।
ReplyDeleteसादर
बहुत ही सुंदर भाव भरी रचना...
ReplyDeleteकल 14/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
मेरे शब्दों की रूह तो तुम्हारे अनकहे अलफ़ाज़ ही हैं ना....
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर रचना....
सादर...
बहुत अच्छी कविता बधाई |ब्लॉग पर आने के लिए विशेष आभार
ReplyDeletebeautiful expression ... badhaai aapko
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteखूबसूरत एहसास ....रचना पढ़ कर आनंद आ गया.... बड़ी खूबसूरती से शब्द दिए.....बधाई
बहुत ही खूबसूरती से हर भाव को शब्दबद्ध किया है....शानदार प्रस्तुती
ReplyDeleteकोमल अहसासों का बहुत सुन्दर भावपूर्ण चित्रण...बधाई
ReplyDeleteधडकन में, एहसास में, नजरों में, अलफ़ाज़ में
ReplyDeleteतू ही तू है.
बहुत सुन्दर बयानगी.
बहुत-बहुत धन्यवाद... आप सभी का...
ReplyDelete@केवल जी... तलाश जारी है... बहुत-बहुत शुक्रिया...
@शरद जी... बस कोशिश की है... बहुत-बहुत धन्यवाद...
@राकेश जी... जी, राज़ नहीं, बस अहसास... जी रूठी नहीं, बस गलती हो गई... अब आपको शिकायत नहीं होगी... बहुत-बहुत धन्यवाद...
@प्रवीण जी... बहुत-बहुत धन्यवाद इन पंक्तियों के लिए... पर जब खामोशी घेर ले, तब आंसू भी साथ नहीं देते...
@मीनाक्षी दी... जी... ये जादूगरी ही सीखने की कोशिश कर रही हूँ... बहुत-बहुत धन्यवाद...
@स्मार्ट इन्डियन जी... जी, इसीलिए सिर्फ एक छोटी सी हिमाकत की... बहुत-बहुत धन्यवाद...
@बड़ी माँ... धन्यवाद भी छोटा हो गया... :)
ReplyDelete@सुषमा जी... बहुत-बहुत धन्यवाद... कोशिश की है...
@बाऊजी... बहुत-बहुत शुक्रिया...
@एस.एन शुक्ल जी... बहुत-बहुत धन्यवाद... जी जरूर... आमंत्रण के लिए शुक्रिया
@सदा जी... बहुत-बहुत धन्यवाद...
@संगीता आंटी जी... बहुत-बहुत धन्यवाद... इसी तरह मार्गदर्शन करते रहें...
@यशवंत जी... बहुत-बहुत धन्यवाद... जी हलचल में भी शामिल करने के लिए शुक्रिया...
@induravisingh जी... बहुत-बहुत शुक्रिया...
@वंदना जी... तेताला में शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद... इसी तरह मार्गदर्शन करते रहें, आगे बढ़ने में सहायक होता है...
@हबीब जी... बहुत-बहुत धन्यवाद... सिर्फ एक छोटी-सी कोशिश है...
ReplyDelete@तुषार जी... सबसे पहले क्षमा... बहुत-बहुत धन्यवाद... इसी तरह अग्रसर होने के लिए प्रेरित करते रहें...
@शिल्पा जी... बहुत-बहुत धन्यवाद...
@भाई... बहुत-बहुत धन्यवाद भाई... बस यूँही प्रोत्साहन देते रहिये...
@कैलाश अंकल... बहुत-बहुत धन्यवाद... आशीर्वाद बनायें रखें...
@शिखा जी... बहुत-बहुत धन्यवाद... आपका फीडबैक बहुत जरूरी था... इस पोस्ट के लिए खासतौर पे... :)
समझ नहीं आ रहा कि कहूँ तो क्या कहूँ....बस इतना कह कर चलता हूँ कि बहुत ही प्यारी है कविता सच....!!!
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी यह रचना।
ReplyDeleteशब्दों की रूह - अनकहे अल्फाज.
ReplyDeleteशबनमी बूँदों से निर्मित हो ताज.
बूँदों में कैद अनबोले राज.
सबसे पहले हिंदी दिवस की शुभकामनायें /
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और गहन सोच को उजागर करती हुई बेमिसाल रचना /बहुत बधाई आपको /
मेरी नई पोस्ट हिंदी दिवस पर लिखी पर आपका स्वागत है /
http://prernaargal.blogspot.com/2011/09/ke.html
सुंदर प्रस्तुति के लिए आभार
ReplyDeleteहवाओं में कैद हवाओं के राज
ReplyDeleteजिन्दगी का शॉट?