अपनी हर अच्छी-बुरी, ख़राब-नायब बात लेकर यहाँ आ जाती हूँ... इसीलिए आज भी आ गई...
सब कहते हैं कि अभी भी मुझमें बचपना है...
जब tiger ख़तम हुआ तब मैं छोटी थी तो मान लिया, कि रोना जायज़ था... kity के ख़तम होने में भी सभी ने मान लिया क्योंकि उसे मेरी best-friend {शिखा} ने gift किया था... पर जब tony ख़तम हुआ तब जरूर सभी ने ज़रा-सा कहा... पर सिर्फ ज़रा-सा... क्योंकि उसे भी शिखा ने ही गिफ्ट किया था... पर अब... अब जब वो गई... और मेरा उदास चेहरा सबने देखा तो कुछ मुझे समझाने लगे और कुछ ने मज़ाक भी उड़ाया कि "अभी भी बच्ची है... बड़ी हो जा... तुझे और दिला देंगें... अब तो खुद ही खरीद सकती है..." और भी न जाने कितनी बातें और कितने तरह की बातें... यहाँ तक कि ये भी कहा कि चिंता मत करो, तुम्हारी शादी में तुम्हें कुछ और नहीं देंगे, वही गिफ्ट कर देंगें"...
माना कि मैं खुद भी खरीद सकती हूँ, या कोई नई और भी ज्यादा अच्छी आ जायेगी, पर क्या वो सारी यादें आयेंगीं जो उसके साथ जुडी हैं... कहते हैं teen-age सबसे ख़ास और बड़ी ही अजीब age होती है... उसमें सब-कुछ अच्छा ही लगता है, और मेरी उस उम्र की सबसे ख़ास और करीबी वही तो थी... मेरे सारे राज़, घूमना-फिरना, बदमाशियां-शैतानियाँ... all-in-all सबकुछ वो जानती थी... यहाँ तक कि मेरे कई ख्वाब जो मैंने कभी किसी के साथ नहीं share किये वो भी उसे पता थे...
अरे sorry sorry ... पूरी राम-कथा पढ़ दी मगर वो है कौन ये तो बताया ही नहीं... वो है मेरी प्यारी-सी kinetic honda... zx... white colour... MP20 JA 7513... मेरे सारे दोस्त उसे मेरी उड़न-खटोला कहते थे... मेरे भाई का नाम भी लिखा था उसमें... PRINCE
sorry... है नहीं थी... :(
माना कि मैं खुद भी खरीद सकती हूँ, या कोई नई और भी ज्यादा अच्छी आ जायेगी, पर क्या वो सारी यादें आयेंगीं जो उसके साथ जुडी हैं... कहते हैं teen-age सबसे ख़ास और बड़ी ही अजीब age होती है... उसमें सब-कुछ अच्छा ही लगता है, और मेरी उस उम्र की सबसे ख़ास और करीबी वही तो थी... मेरे सारे राज़, घूमना-फिरना, बदमाशियां-शैतानियाँ... all-in-all सबकुछ वो जानती थी... यहाँ तक कि मेरे कई ख्वाब जो मैंने कभी किसी के साथ नहीं share किये वो भी उसे पता थे...
अरे sorry sorry ... पूरी राम-कथा पढ़ दी मगर वो है कौन ये तो बताया ही नहीं... वो है मेरी प्यारी-सी kinetic honda... zx... white colour... MP20 JA 7513... मेरे सारे दोस्त उसे मेरी उड़न-खटोला कहते थे... मेरे भाई का नाम भी लिखा था उसमें... PRINCE
sorry... है नहीं थी... :(
कहीं उसकी एक फोटोग्राफ भी है... मिली तो पोस्ट जरूर करूंगी...
सच ऐसा लग रहा है जैसे ज़िंदगी का एक हिस्सा चला गया... :(
पता है... आप लोग भी पढ़ कर यही कहेंगें कि ये मेरा बचपना है...
मेरी और मेरे भाई की दोस्ती बढ़ने में भी उसने बहुत मदद की... हमारे घूमने का राज़ भी वही जानती थी... कई गोल और गोल-गप्पे की कहानियाँ, ice-cream, पेस्ट्री, और भी न जाने क्या-क्या... सब जानती थी वो...
और जबलपुर की सड़कों में कहाँ कितने चक्कर मारे हैं... सदर, गोरखपुर, जलपरी से लेकर घंटाघर, कमनीय गेट तक की सड़कें नापी हैं मैंने उससे... उसने सबसे ज्यादा साथ निभाया था जब हम जबलपुर में ही थे, मम्मी को अटैक आया था, और तभी पापा का ट्रान्सफर हो गया था... और सरकारी नौकरी की हालत तो बस... यदी आपकी जगह में आनेवाला अधिकारी अच्छा है तब तो ठीक वर्ना फ़िर न तो वो खुद support करता है और न ही किसी को करने देता है... तभी शैली; मेरी छोटी बहन, अरे हाँ कल {8 सितम्बर} उसका जन्मदिन भी है,; उसे स्कूल ले जाना-ले आना पड़ता था... भाई के लिए बस थी... उसने बहुत support किया था... और उसी समय था जब मुझे अपने दोस्तों की पहचान हुई थी... और एक बात, उस समय मेरी प्रिंसिपल "प्रकाशम मैडम" मेरे teachers ने बहुत support किया था... सब कहते थे, तुम मम्मी को देख लो, यहाँ कि चिंता मत करो... ये सब मेरे 10th क्लास की बात है... स्कूल से पूरी permission थी, क्योंकि CBSE बोर्ड था तो टेस्ट वगैरा की झंझट नहीं थी... और ये भी था कि मैं कभी भी झूठ नहीं बोलती थी अपने teachers से... और वो सब मुझपे भरोसा भी करते करते और मानते बहुत थे... Thank you so much all... :)
और जबलपुर की सड़कों में कहाँ कितने चक्कर मारे हैं... सदर, गोरखपुर, जलपरी से लेकर घंटाघर, कमनीय गेट तक की सड़कें नापी हैं मैंने उससे... उसने सबसे ज्यादा साथ निभाया था जब हम जबलपुर में ही थे, मम्मी को अटैक आया था, और तभी पापा का ट्रान्सफर हो गया था... और सरकारी नौकरी की हालत तो बस... यदी आपकी जगह में आनेवाला अधिकारी अच्छा है तब तो ठीक वर्ना फ़िर न तो वो खुद support करता है और न ही किसी को करने देता है... तभी शैली; मेरी छोटी बहन, अरे हाँ कल {8 सितम्बर} उसका जन्मदिन भी है,; उसे स्कूल ले जाना-ले आना पड़ता था... भाई के लिए बस थी... उसने बहुत support किया था... और उसी समय था जब मुझे अपने दोस्तों की पहचान हुई थी... और एक बात, उस समय मेरी प्रिंसिपल "प्रकाशम मैडम" मेरे teachers ने बहुत support किया था... सब कहते थे, तुम मम्मी को देख लो, यहाँ कि चिंता मत करो... ये सब मेरे 10th क्लास की बात है... स्कूल से पूरी permission थी, क्योंकि CBSE बोर्ड था तो टेस्ट वगैरा की झंझट नहीं थी... और ये भी था कि मैं कभी भी झूठ नहीं बोलती थी अपने teachers से... और वो सब मुझपे भरोसा भी करते करते और मानते बहुत थे... Thank you so much all... :)
पर सच उसका जाना बहुत अखरा... जब तक नहीं गई थी, तब एक उम्मीद थी, पर कहते हैं न कि कभी किसी से कोई उम्मीद मत करो वर्ना तकलीफ होती है...जब वो जा रही थी तब मैं उसे जाते भी नहीं देख पाई... अन्दर आके अपने रूम में जाकर खूब रोई... लगा कि जाऊं, जो ले गए हैं उनके सामने विनती करके उनसे मांग लूं... पर फ़िर लगा कि नहीं, पापा लोगों ने उन्हें दे दी है... उनकी बात का मान ज्यादा है... इसीलिए ये भी नहीं कर पाई... शायद इस बात का भी दुःख उस दुःख को बढ़ा रहा था कि पहली बार मैं उसके लिए कुछ नहीं कर पाई...
MISS YOU SO MUCH DARLING... :(
Tum apnee two wheeler ko 'Tony' kah rahee ho?Male gender kyon?
ReplyDeleteWaise aalekh bahut badhiya hai!
@kshma ji... thank you so much aane ke liye... n "tony" mere dog ka naam tha... shayad aapne un lines ko theek se padha nahee... tone ke khatam hone kee baat k baad uske baare mein likha tha... :)
ReplyDeletekoi baat nahi... kabhi-kabhi jaldi-jaldi mein ek-aadh lines mix-up ho jatee hain... no problem... n thank you so much for asking your confusion... otherwise log to poochhte bhe nahi... :)
यह बचपना नहीं मेरी समझ से सिर्फ एक लगाव है जो किसी से भी हो सकता है।
ReplyDeleteज़्यादा टेंशन मत लीजिये।
सादर
Very Impressive Pooja
ReplyDeleteप्रभावशाली लेख....
ReplyDeleteलगाव स्वाभाविक है, दुख भी होता है।
ReplyDeleteयह एक प्रकार का लगाव ही है शैली को जन्म दिन कि अग्रिम बधाई
ReplyDeleteआपकी छोटी बहिन शैली को जन्म दिन की अग्रिम बधाई.
ReplyDeleteआपके सरल हृदय के उद्गार पढकर अच्छे लगे.
इन पर कहना चाहूँगा
'दुनिया अजब सराये फानी देखी
हर चीज यहाँ की आनी जानी देखी
जो जाके न आये वह जवानी देखी
जो आके न जाये वह बुढ़ापा देखा'
मेरे ब्लॉग पर आपका इंतजार है,पूजा जी.
bachapan ki yaadon me judi har chij ka lagav baht khas hota hai,
ReplyDeleteapki saari yaadein unse judi hoti hai
to unke jaane se dard bhi baht hota hai
aapki feelings padker maza ayaya..............
ReplyDeleteशैली को जन्मदिन पर खूब प्यार और आशीर्वाद...जड़ चेतन से मोह स्वाभाविक है ....उन्हें यादों में सहेज कर रख लो बस....
ReplyDeleteछोटी शैली को जन्म दिन कि अग्रिम बधाई
ReplyDeleteढेर सारा प्यार
ReplyDeleteकोई बात नहीं ...हर कोई पूरे जीवन साथ नहीं देता ...
ReplyDeleteआना जाना ... यही जीवन है !
शैली को सस्नेह शुभकामनायें उम्मीद है अपनी बहिन जैसी बहादुर और नटखट रहेगी !
लगाव स्वाभाविक ही है !
ReplyDeleteशैली को जन्मदिन की शुभकामनायें !
बचपना बना रहे - शुभ आशीष
ReplyDeleteइन प्यारी यादों के चलते ही तो यह पोस्ट हमें मिली पढ़ने को ...हमेशा यूं ही रहिये ...।
ReplyDeleteलगाव होता है !
ReplyDeleteशैली को जन्मदिन की शुभकामनायें !
ये लगाव स्वाभिक ही है ... शैली का जनम दिन मुबारक ..
ReplyDeleteमिलन विछोह नियति का खेल है |इसे खेल समझ कर खेलना चाहिए इसमें जीत -हार दोनों शामिल है |
ReplyDeleteयह बचपना नहीं लगाव है .....
ReplyDeleteMeri Dua hai ki ye bachpanaa banaa rahe....
ReplyDeleteलगाव स्वभाविक होता है...शैली को जन्म दिन की शुभकामनायँ...
ReplyDeleteयह लगाव और इसका टूटना, वैसा ही है जैसे स्कूल का बदलना अथवा पुराने मकान से नये मकान में जाना, लेकिन जीवन की यात्रा ऐसी ही होती है. भविष्य के लिये पीछे लौटना या उससे चिपके रहना संभव नही है.
ReplyDeleteलिखने की शैली बहुत ही रोचक और सटीक प्रवाह लिये हुये है, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम
यही तो attachment कहलाता है.
ReplyDeleteशैली बिटिया को जन्म दिन की हार्दिक बधाई और आशीर्वाद भी.
ये बचपना ही तो जीवन की उर्जा है ...बहुत ही प्रभावशाली लेख ....आपकी लेखनी यूँ ही भावों के निर्झर बहती रहे यही कामना है ...
ReplyDeleteआप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया... :)
ReplyDelete:)
ReplyDeleteये बचपना ताउम्र बना रहे....
ReplyDelete------
चलो चलें मधुबन में....
मन की प्यास बुझाओ, पूरी कर दो हर अभिलाषा।
लगाव को बड़ी बारीकी से व्याख्यायित किया है आपने।
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