कभी रूमानी
कभी बेईमानी
कभी धोखा
कभी ज़िन्दगानी...
कभी हँसते-गाते
कभी खाते-पीते
कभी पन्ने पलटाते
कभी कलम घिसते
कभी तेरी बाँहों में
कभी तेरी आँखों में
कभी तुझसे बतियाते
कभी तेरी यादों में
कभी खूबसूरत
कभी दर्द
कभी गुजारते-गुजारते थक गए
और कभी वो लम्हों में ही गुज़र गए...
किन शब्दो मे और किस किस पंक्ति की तारीफ करू,
ReplyDeleteसुन्दर कविता
आभार
Good One... :)
ReplyDeleteलम्हों का लम्बा सफर।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत और भावपूर्ण लम्हों का सफर..
ReplyDeleteवाह क्या बात है ...
ReplyDeleteवाह वाह!
ReplyDeleteक्या बात है ...
अलग अंदाज़
...खूबसूरत तारीफ़ के लिए शब्द कम पड़ गए..
ReplyDeleteआखिर लम्हे ही थे।
ReplyDeleteवाह!बहुत ही बढ़िया .
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत शब्द रचना ।
ReplyDeleteन जाने क्या होते हैं लम्हें ..बस गुजर जाने के बाद ..आते हैं याद, चाहे अच्छे हों या बुरे ...लम्हें आखिर लम्हें हैं ....बहुत सुंदर
ReplyDeleteaur phir we lamhe pannon pe bikhar gaye
ReplyDelete@दीपक जी, विनीत जी, प्रवीण जी, कैलाश जी, बब्बन जी, भाई, यशवंत जी, सदा जी, केवल जी, बड़ी माँ... बहुत-बहुत धन्यवाद... बस आप लोग यूँहीं मार्गदर्शन करते रहें...
ReplyDeletebahut sundar abhivyakti.
ReplyDeleteबढ़िया / सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteमकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteकविता बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है। बधाई।
ReplyDeletelamhom ke sundar baangi...
ReplyDeletesundar bhavpurn rachna ....
kuchh hi lamhon men nikal gayi kavita...dimaag ko ik ajeeb si kashmkash se bhar gayi kavita....!!
ReplyDelete"आप सभी को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"
ReplyDeletelamhon hath se nikal rahe hai, bas aur kuchh nahi ....
ReplyDeletelajvab kavita.makar sankranti ki badhai.have a nice day
ReplyDeleteआपको भी वर्ष 2011 के पहले त्योहार मकर संक्रांति की ढेर सारी शुभकामनायें ...बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लोहड़ी और मकरसंक्रांति की बहुत बहुत मुबारकवाद
ReplyDeleteमकर संक्रांति की आप को सपरिवार शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteसादर
@झंझट जी, कुंवर जी, भाकुनी जी, वर्षा जी, कविता जी, डिम्पल जी, राजीव जी, भाई, सुनील जी, जयकृष्ण जी, सदा जी, दीप जी, यशवंत जी... आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया...
ReplyDeleteयूँ ही हौसला बढ़ाते रहें...
@डिम्पल जी... अभी तो मैं खुद ही सीख रही हूँ... पर उम्मीद है कभी-भी आपका गलत मार्गदर्शन नहीं करूंगी...
आपको मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"
ReplyDeleteस्वीकार करें
लम्हों कि पहचान करवा दी आपने .......क्या तारीफ करूँ आपकी कविता की....शुक्रिया
ReplyDeletenice post .
ReplyDeleteकभी खूबसूरत
ReplyDeleteकभी दर्द
कभी गुजारते-गुजारते थक गए
और कभी वो लम्हों में ही गुजर गए
बहुत भायी आपकी यह रचना ...तस्वीर भी रचनानुकूल लगाई है, आपने
आभार !!!
सुन्दर है लम्हों का सफ़र.
ReplyDeleteपूजा जी प्रणाम!
ReplyDelete"कभी गुजारते गुजारते थक गए......और कभी वो लम्हों में ही गुजर गए"
आपके लिखने का अंदाज काफी निराला है.......बहुत flow में लिखती है आप... अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर...गए......
पूजा जी,
ReplyDeleteलम्हों के इस सफ़र में यह अच्छा सा लम्हा गुजरा जब रूह-ब-रूह हुआ लम्हों के सच से।
बहुत अच्छी रचना।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है....
ReplyDeleteअब ये दूसरी कविता घूमेगी...
वैसे ये कभी-कभी बड़ा ही तंग करता है...कहना ही क्या इसके बारे में...कभी-कभी तो बस पूछिए ही मत, कभी कभी तो कुछ कहिए ही नहीं....जाने कभीकभी क्यों क्या कहें अब..चलिए कोई बात नहीं..कभी कभी कुछ नहीं चाहिए....
अच्छी रचना सुंदर भाव लिए हुए
ReplyDelete@केवल जी, अनवर जी, मनोज जी, वंदना जी, प्रदीप जी, मुकेश जी, बोले तो बिंदास, अमरजीत जी... बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDelete@केवल जी... इतना ही काफी था... शुक्रिया... :)
ReplyDelete@मनोज जी... शुक्रिया... बस यूँहीं मार्गदर्शन करते रहें...
@प्रदीप जी... लोगों को पढने में अच्छा लगे इससे ज्यादा और क्या चाहिए लिखनेवाले को... शुक्रिया... आते रहिएगा....
@मुकेश जी... जी सही कहा आपने... सच कोई भी हो, कैसा भी हो, देर से ही सही परन्तु अच्छा लगता है... शुक्रिया...
@बोले तो बिंदास... क्या बोल दिया सर जी आपने... बहुत-बहुत शुक्रिया उस नज़्म के साथ जोड़ने के लिए जो अपने आप में मिसाल है... मैं उसके लायक तो नहीं परन्तु कोशिश करूँगीं कि ज़िन्दगी में एक चीज़ ऐसी करू... शुक्रिया...
बहुत ही प्रभावशाली रचना
ReplyDeleteउत्कृष्ट लेखन का नमूना
लेखन के आकाश में आपकी एक अनोखी पहचान है ..
देरी से आने का अफ़सोस है,मगर लम्हों के सफ़र से ढेर सारा शुकून मिला बहुत दिनों बाद जीवन के बहुत सारे पहलुओं को अपने-आप में समेटे हुए. सुंदर रचना के लिए बधाई.
ReplyDeleteपूजा
ReplyDeleteअन्तरमन के भाव मुखारित हुए।
ऐसा लिखती हैं आप भाव हिलोरे लेने लगते है।
आभार
bahut hi khoobsoorat rachna...vadhai!!!
ReplyDelete@मार्क, राजीव जी, भाए, अर्जुन जी... आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया...
ReplyDelete@मार्क... अभी तो कुछ भी नहीं हूँ... पर हाँ एक कोशिश जरूर रहेगी कि लोग मुझे मेरे लिखने से याद रखें... धन्यवाद...
Waah kya baat hai bilul alag aur nirali rachna ......http://amrendra-shukla.blogspot.com/......
ReplyDeleteBahut hi sunder abhibyakti
ReplyDeleteवाह बेटे
ReplyDeleteयही गुजरना तो
पूजा है
इबादत है
सच्चाई की
Good one..
ReplyDelete"कभी खूबसूरत लिखते हो
ReplyDeleteकभी मन को मोहते हो"
दुआ खुदा से
ऐसे ही लिखते रहो
superb n amazing flow of melody :) keep going
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