लीजिये जी आ गया नया साल...
नई उम्मीदों
नए सपनों
नए आसमाँ
नए अरमान
नई पहचान के साथ...
और पुराना साल दे गया
हमें ढेर सारी यादें
ढेर सारी
देर सारी सीख...
कितना अजीब है न ये समय-चक्र...
आज फ़िर हम 1 तारीख पर हैं,
पहले महीने में
बस वर्ष बदला हुआ है...
फ़िर कुछ नई चाहतें
फ़िर कुछ ख्वाब पूरे करने की उम्मीद...
कुछ नए वादे खुद से...
कुछ नई आदतें...
अच्छी अपनाने की
ख़राब छोड़ने की...
मैंने तो सोच लिया है...
थोड़ा और punctuality अपनानी है
थोड़ा और serious होना है काम के लिए
थोड़ा और परिधि बढ़ानी है अपनी सोच की
थोड़ा और खुद को मजबूत करना है...
और एक बात ठानी थी...
इस साल के आते ही अपना उपनाम छोड़ दूंगीं...
सो छोड़ दिया...
आपने क्या सोचा करने को???
और क्या किया???
मेरी तरफ से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...
एक मां के आंसू जो इरादों में बदल गये .....
ReplyDeleteदोस्तों यह कोई कालपनिक कहानी नहीं
एक हकीकत हे
जी हाँ दोस्तों यह एक मां के आंसू थे
जो थोड़ी सी देर में ही सख्त इरादे में बदल गये ।
नये साल के एक दिन पहले में अदालत में अपनी सीट पर बेठा था के आँखों में आंसू लियें
एक महिला याचक की तरह मेरे पास आई और फिर अपनी बात बताने के पहले ही फुट फुर कर रोने लगी
मेरे आस पास के टाइपिस्ट , वकील और मुशी उसे देखने लगे महिला मेरी पूर्व परिचित थी इसलियें उसे दिलासा दिलाया जम महिला शांत हुई तो उससे उसकी परेशानी पूंछी महिला ने दोहराया के आपको तो पता हे मेरे पति के
तलाक लेने के बाद केसे मेने जिंदगी गुजर बसर कर अपने बच्चों को पाला हे उन्हें बढा किया हे और उनका विवाह किया हे में आज भी दोनों लडकों के विवाह के बाद उनके कुछ नहीं कमाने के कारण उनका खर्चा चला रही हूँ और बच्चे हे के शादी और डिलेवेरी के खर्च के वक्त उधार ली गयी राशी को चुकाने का प्रयास ही नही कर रहे हें जबकि पति तलाक के बात लकवाग्रस्त हो जाने से मेरे घर आ गया हे ओऊ उसका इलाज भी मुझे ही करवाना पढ़ रहा हे मेरा भी हाथ तंग हे इसलियें में बेबस हूँ मेने एक कर्ज़ के पेटे कर्ज़ लेने वाले को चेक दिया था उसने मेरे खिलाफ मुकदमा कर दिया और अदालत से मेरे खिलाफ जमानती वारंट आया हे हमने महिला के हाथ में से जमानती वारंट लेकर देखा वारंट केवल पांच हजार रूपये के चेक के मामले को लेकर भेजा गया था मेने और मेरे साथियों ने उस महिला की आँख में आंसू और चेहरे पर बेबसी देखी तो उसे हिम्मत दिलाई मुकदमें में उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा इस का उसे दिलासा दिलाया महिला ने राहत की सांस ली और बेठ गयी इसीस बीच लगभग एक आठ साल का बच्चा हाथ में थेला और ब्रुश लिए आया और कहने लगा वकील साहब पोलिश , यकीन मानिए में कभी भी इन बच्चों से पोलिश नहीं कराता हूँ लेकिन उस दिन ना जाने क्या दिमाग में आया के मेने चुपचाप जूते उतार कर उसके आगे बढ़ा दिए बच्चा नादाँ सा सभी दुःख दर्द से बेखबर होकर जूतों पर पोलिश करने के लियें जुट गया मेने उससे मजाक किया के बेटा पोलिश तो तू आज कर दे पोलिश के पेसे तू कल ले जाना बच्चे ने नजर उठाई और कहा के नहीं सर कल तो जुम्मा हे में नमाज़ पढूंगा पेसे तो आज ही लूंगा , में दुसरा सवाल करता इस के पहले ही उस बेचें पीड़ित महिला के दोनों बेटे भी पास ही आकर बेठ गये थे , मेने फिर उस पोलिश वाले बच्चे से दूसरा सवाल किया के बेटे तुम पढ़ते नहीं उसने कहा सर दिन में पढ़ता हूँ अभी में स्कुल से ही तो आया हूँ और घर से बस्ता रख कर इधर आ गया , बच्चे से पूंछा के तुम कहां रहते हो तो उसने उद्योग नगर वेम्बे योजना में रहना बताया , जब बच्चे से दिन भर की कमिया का ब्यौरा लिया तो बच्चे ने वही शालीनता से जवाब दिया सर पचास से सत्तर रूपये तक रोज़ कम लेता हूँ , बच्चे से फिर मेने सवाल किया के तुम इन रुपयों का क्या करते हो तो बच्चे ने फिर सहज और मासूमियत भरा जवाब दिया सर मेरे पापा को घर पर लेजाकर दे देता हूँ वोह अकेले ढोलक बेचते हें जिससे घर का खर्च ठीक से नहीं चलता पुराना कर्जा हे इसलियें कर्जा उतारने के लियें में भी कमाई कर रहा हूँ , बच्चे की बात सुनकर उस पीड़ित महिला के दोनों बच्चे बगले झाँकने लगे मेने पोलिश वाले बच्चे से फिर वही सवाल किया और उसने फिर वही जवाब दोहराया बस फिर किया था जो महिला आँखों में आंसू और चेहरे पर बेबसी लेकर आई थी उसके आंसू सुख गये थे और वोह अपने बच्चों के इस छोटे से बच्चे की सीख से आचरण में बदलाव महसूस कर रही थे इसलियें उस महिला के आंसू मजबूत इरादों में बदल गये और दोनों बच्चों ने महिला का हाथ पकड़ा और कहा चल मम्मी घबरा मत देखते हें हम और तुइम मिलजुल के कुछ करेगे तो कर्जा तो उतर ही जाएगा परेशानी बेबसी और आंसुओं के बाद एक छोटा सा पोलिश करने वाला बच्चा एक मां के बिगड़े बच्चों को इतनी बढ़ी सीख और बेबस मां को हिम्मत दे जायेगा में सोच ही रहा था के पोलिश वाले बच्चे ने कहा के सर पोलिस के पेसे मेने जेब में हाथ डाला तो खुल्ले नहीं थे पचास का नोट था बच्चे ने कहा सर में खुल्ले करवा कर लाता हूँ लेकिन मेने कहा बेटा बस खुल्लों की जरूरत नहीं हे पुरे के पुरे तू ही रख ले यकीन मानिये उस बच्चे को जबरन पचास रूपये देने के लियें मुझे काफी जद्दो जहद करना पढ़ी तब वोह जाने को तयार हुआ लेकिन कहकर गया हे के अब में बकाया पैसों की रोज़ आपके जूतों की पोलिश करा करूंगा .......... तो ऐसे एक मासूम से बच्चे ने जिंदगी का एक बहुत बढ़ा सबक सिखा दिया जो शायद कभी भुलाया नहीं जा सकेगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
अच्छी पंक्तियां ! आपको नव वर्ष मुबारक !
ReplyDeleteनए साल की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteसर्वप्रथम आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ..ईश्वर करे आप इसी तरह नित नयी बुलंदियों को हासिल करते रहें ...यह वर्ष आपकी जिन्दगी में ढेर सारी अच्छी यादें लाये , नित आपके चेहरे पर मुस्कराहट रहे ....और ब्लॉग जगत को अपनी रचनाओं से समृद्ध करते रहें ..यही कामना है .
ReplyDeleteआपकी कविता जीवन से जुडी कविता है , हम जो कुछ भी नए साल के उपलक्ष पर सोचते हैं ...उस सोच आपने शब्द दिए हैं ....हर एक पंक्ति अर्थपूर्ण है ...शुक्रिया
ReplyDeleteसबसे पहले तो नववर्ष की शुभकामनाये।
ReplyDeleteतिसरी पक्तिी मे नये सापों की जगह शायद नये सपनो आयेगा (टोकना बुरा लगे तो माफ करना)
सुन्दर कविता है
अख्तर साहब की टिप्पणी ने हिलाकर रख दिया
आपको और आपके परिवार को मेरी और मेरे परिवार की और से एक सुन्दर, सुखमय और समृद्ध नए साल की हार्दिक शुभकामना !
ReplyDeleteआप को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये ..
ReplyDeleteआपका जीवन ध्येय निरंतर वर्द्धमान होकर उत्कर्ष लक्ष्यों को प्राप्त करे....
फिर से 1 में।
ReplyDeleteमुबारक 21 का 11
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
नया साल आपके और आपके घर-परिवार के लिए मंगलकारी हो,यही कामना है.
ReplyDelete@अख्तर जी, जगदीश जी, ज्योति जी, केवल जी, दीपक जी, भाई, प्रवीण जी, राजेश जी, डोरोथी जी, कुंवर जी... आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद... यूँहीं आशीर्वाद और साथ बनाए रखें...
ReplyDelete@अख्तर जी... फ़िर से ऐसा कमेन्ट???
@केवल जी... जी बस यूँहीं प्रोत्साहन करते रहें... शुक्रिया...
@दीपक जी... जी नहीं... बहुत अच्छा लगा... शुक्रिया...
@डोरोथी जी... पंक्तियों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteनए साल की नयी सोच ...वैसे आपका उपनाम क्या था ?
ReplyDelete“मैंने तो सोच लिया है
ReplyDeleteथोडा और अनुशासन अपनाना है
थोडा और गंभीर होना है काम के लिए
थोडा और दायरा बढ़ाना है अपनी सोच का
थोडा और खुद को मजबूत करना है”
सुन्दर अभिव्यक्ति. और हाँ, नाम से पहले वैसे भी उपनाम का कोई महत्व नहीं होता, सो पूजा ही उपयुक्त है. आपने जो किया सो अच्छा ही किया है.
अमन का पैग़ाम की तरफ से नव वर्ष 2011 की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपको सपरिवार नववर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDelete'सी.एम.ऑडियो क्विज़'
हर रविवार प्रातः 10 बजे
सेम टु यू है जी!
ReplyDeleteआशीष
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हमहूँ छोड़के सारी दुनिया पागल!!!
आप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .
ReplyDeleteसादर
sankalp achha liya hai, barkarar rakhna ... maine hamesha ki tarah satya ka sankalp liya hai...
ReplyDeleteनए वर्ष पर अच्छी भावनाओं के साथ अच्छी कामनाएं भी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर पंक्तियां।
........
नव-वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो।
sundar blog sundar kavita. navvarsh ki sundartam shubhkamnayen
ReplyDeletenav varsh par sundar rachna.
ReplyDeletesab kuchh mangalmay ho.
बीता साल काफी कुछ देकर गया, नए को और बेहतर बनाने की तमन्ना है और अपेक्षा भी. मेरे अनुभवों के लिए तो आपको मेरे ब्लॉग
ReplyDelete'धरोहर'पर आने की जहमत उठानी होगी. नववर्ष की शुभकामनाएं.
@संगीता जी, अश्विनी जी, मासूम जी, क्रिएटिव मंच, आशीष जी, यशवंत जी, बड़ी माँ, महेंद्र जी, जयकृष्ण जी, सुरेन्द्र जी, अभिषेक जी... आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया...
ReplyDelete@संगीता जी... जी अब शायद याद नहीं है...
@अश्विनी जी... अपने-अपने तरीके और comfort होता है चीज़ों को कहने और लिखने का... अनुवाद के लिए शुक्रिया... और उपनाम:- surname
poojaji thanks for your nice comments.i am aoptimistc poet but it our duty to comments on polity and society.but i like critics.thanks with regards
ReplyDeleteनए वर्ष में आपने उपनाम छोड़ दिया परन्तु पूजा जी आपका उपनाम क्या था ये तो बताओ
ReplyDeleteआपको नव वर्ष की बहुत बहुत बधाई हो
नव वर्ष मंगलमय हो !!
ReplyDeleteथोडा है थोड़े की जरुरत है। कुछ किया है कुछ और करना बाकी है। इस चक्कर में जी ज्यादा तो कुछ नहीं कर पाते। आपने उपनाम छोडा है। हमें तो जी खंभे ने पकड़ा हुआ है क्या करें छोड़ता ही नहीं। वैसे कुछ खंभे जिन्हें हमने पकड़ा हुआ था वो तो छोड़ चुके हैं। पर कुछ खंभे हमें जबरदस्ती कपड़े हुए हैं, देखिए कब छोड़ते हैं ये खंभे हमें।
ReplyDeleteपूजा जी,
ReplyDeleteनव वर्ष के अनगिनत सुन्दर सपने पूरे हों !
अच्छी भावनाओं के खूबसूरत फूलों से आपने नए वर्ष का पहला गुलदस्ता सजाया है ,मुबारक हो,
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
ReplyDeleteक्यों तंग कर रही हो ....
हम कैसे छोड़ पायें ...बंध चुके हैं... यह जंजीरें नहीं कटती पूजा !
@जयकृष्ण जी, अमरजीत जी, सत्यप्रकाश जी, बोलेबिन्दास, ग्यान्च्नद जी, सतीश जी... बहुत-बहुत धन्यवाद प्रोत्साहन करने के लिए...
ReplyDelete@जयकृष्ण जी... कमेंट्स में जरूरी है कि आप वही व्यक्त करें जो आपने महसूस किया...
@अमरजीत जी... मैंने संगीता जी को बताया था कि भूल गयी...
@सतीश जी... मैंने क्या किया???
बहुत ही खूबसूरत शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDelete@सदा जी... बहुत-बहुत शुक्रिया...
ReplyDeleteबुलंद इरादे
ReplyDeleteइन इरादों को
कायम रखना