सफ़ेद आसमाँ...

जब भी परेशान होती हूँ
और कुछ सूझता नहीं...
तब आ जाती हूँ
इस सफ़ेद दुनिया में
और भरने लग जाती हूँ
अपना पसंदीदा रंग इसमें...


जिधर दिल कहता है
उसी दिशा में चलती हूँ...
जो मन में आता है
वही चित्र बनाती हूँ...
और तब तक अपना paint-brush चलाती हूँ
जब तक
दिल-दिमाग़ शांत न हो जाए
और वो बोझ न हट जाए,
भीतर से निकल न जाए...

जो लेकर मैं
इस सफ़ेद आसमाँ के पास आई थी...

मन छू लिया इस वीडियो ने... जरूर देखिये...

आप सभी को मेरा नमस्कार...
आज मैं कोई रचना या कोई और बात लेकर यहाँ लिखने नहीं आई हूँ... बल्कि आप सभी के साथ एक वीडियो शेयर करना चाहती हूँ... हो सकता है कई लोगों ने इसे देखा भी हो पर जिन्होंने नहीं देखा है, प्लीज़ देखिये और बताइए पसंद आया या नहीं...
पहले मन आप लोगों को इसके बारे में कुछ जानकारी दे दती हूँ... ये पाकिस्तान के एक T.V.Series से है... उस Series का नाम है "Coke Studio"... ये तीसरे सीजन का हिस्सा था... अब आप सोचेंगें कि ये कैसा प्रोग्राम है?
तो जैसा कि इसके नाम में studio है, ये लोग अलग-अलग जौनर के गायकों को बुलाते हैं, या फ़िर किसी एक गायक ने दूसरे को न्योता दिया साथ में गाने का, फ़िर कोई गाना डिसाइड होता है जिसका एक लाईव जैमिंग सेशन होता है...
इस वीडियो में जोश ग्रुप और शफ़क़त अमानत अली जी हैं... दोनों ही अपने जौनर में महारथी हैं...
एक और गुजारिश है कि आप बोल ध्यान से सुनें... बहुत ही प्यारे हैं...
हो सकता है कि कुछ लोगों को ये पसंद भी न आए... तो कृपया वो लोग भी बता दें... क्योंकिं जरूरी तो नहीं कि जो चीज़ मुझे पसंद हो वो हर किसी को पसंद हो...
हाँ एक और जरूरी बात... ये वीडियो मुझे मेरे भाई ने दिखाया था... पूरे भरोसे के साथ कि मुझे पसंद आएगा... क्योंकिं मेरी और उसकी पसंद में बहुत फर्क है...
तो आप वीडियो देखिये और एन्जॉय किजीये...


वीडियो के लिए प्लीज़ यहाँ पर क्लिक करें...

लम्हें...

कभी रूमानी
कभी बेईमानी
कभी धोखा
कभी ज़िन्दगानी...

कभी हँसते-गाते
कभी खाते-पीते
कभी पन्ने पलटाते
कभी कलम घिसते

कभी तेरी बाँहों में
कभी तेरी आँखों में
कभी तुझसे बतियाते
कभी तेरी यादों में

कभी खूबसूरत
कभी दर्द
कभी गुजारते-गुजारते थक गए
और कभी वो लम्हों में ही गुज़र गए...

आ गया नया साल...

लीजिये जी आ गया नया साल...
नई उम्मीदों
नए सपनों
नए आसमाँ
नए अरमान
नई पहचान के साथ...

और पुराना साल दे गया
हमें ढेर सारी यादें
ढेर सारी
देर सारी सीख...

कितना अजीब है न ये समय-चक्र...
आज फ़िर हम 1 तारीख पर हैं,
पहले महीने में
बस वर्ष बदला हुआ है...

फ़िर कुछ नई चाहतें
फ़िर कुछ ख्वाब पूरे करने की उम्मीद...
कुछ नए वादे खुद से...
कुछ नई आदतें...
अच्छी अपनाने की
ख़राब छोड़ने की...

मैंने तो सोच लिया है...
थोड़ा और punctuality अपनानी है
थोड़ा और serious होना है काम के लिए
थोड़ा और परिधि बढ़ानी है अपनी सोच की
थोड़ा और खुद को मजबूत करना है...

और एक बात ठानी थी...
इस साल के आते ही अपना उपनाम छोड़ दूंगीं...
सो छोड़ दिया...

आपने क्या सोचा करने को???
और क्या किया???

मेरी तरफ से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...