आज फ़िर से आ गई... ये नहीं कहूँगी कि आ पाई... क्योंकि ये तीन महीने बहुत से अनुभवों से गुज़री और बहुत कुछ सीख भी गई...
और वापस तो 3 दिन पहले ही आ जाती... मगर ये गूगल रूपी काली बिल्ली ने रास्ता काट दिया तो बस... हुआ ये कि इतने दिन बाद जब ब्लॉग लिखने पहुँची तो उससे हिंदी फ़ॉन्ट ही गायब... मुझे लगा कोई सेट्टिंग बदल गई... सब छाना-खंगाला, पर कुछ समझ नहीं आया... "help zone" भी ट्राई किया, मगर कोई फायदा नहीं... फ़िर मासूम अंकल को परेशान किया, तब उन्होंने बताया कि ये मेरे बस नहीं बल्कि सभी में यही दिक्कत आ रही है... और गूगल हिंदी टाईपिंग का रास्ता सुझाया... thank you so much uncle ... :)
हाँ अब अनुभवों की बात... और इन तीन महीनों की बात...
सीखना पड़ता ही, आज नहीं तो कल... बस कुछ हालत अलग होते... सबसे ज्यादा मेरी प्यारी-सी माँ खुश हैं... उनका कहना है कि "चलो अच्छा हुआ, भले ही मेरा हाँथ-पैर टूटा पर तुम इतना मैनेज करना सीख गई"... पर उन्हें या परिवार में बड़ी माँ, बुआ या चाचा लोगों को यकीन नहीं होता कि मैं ये सब मैनेज कर रही हूँ, क्योंकि उनकी नज़र में मैं आज भी वही छोटी सी पूजा हूँ... पर अब अचंभित और खुश... सबसे ज़्यादा माँ और मौसियाँ, क्योंकि उन्हें मैं नानी के यहाँ कि लड़कियों में एक लगती ही नहीं थी और दादा जी के घर में सब यही कह रहे हैं कि "हमें तो पता था कि जब भी वक़्त आएगा ये सब संभाल लेगी"...
खैर!!! ये हो गई घरवालों की बात, पर यदि अब मैं सच कहूं तो मैं खुद समझ नहीं पा रही कि ये सब मैंने कैसे संभाल लिया??? क्योंकि एक टाईम पे हमेशा एक ही मोर्चा संभाला है... पर इस बार तो बाबा रे बाबा... सब कुछ...
और हाँ एक सबसे जरूरी बात... वो सारी महिलायें जो "हाऊसवाईव्स" हैं, मेरा नतमस्तक प्रणाम स्वीकार करें...
मतलब, आप लोग कैसे सब कुछ इतने अच्छे से संभाल लेतीं हैं???
सच कितना मुश्किल होता है न... घर के फईनेंसस, खाना-पीना, मेन्यू, सबकी पसंद-नापसंद याद रखना, व्यवहार-रिश्तेदार, बच्चे... ये तो हो गए कुछ बड़े-बड़े काम... पर छोटे-छोटे काम जो दिखाई नहीं देते, जैसे किस कमरे में कौन-सी चादर, कैसे परदे... और भी पता नहीं क्या-क्या... सच में... तीन महीने में रोज़ मैं सारी हाऊसवाईव्स को सलाम करती थी... और मेरी माँ महान... जिनके कारण शायद मुझसे ये सब हैंडल हो गया... वर्ना पता नहीं मैं क्या करती और माँ की जमी-जमाई गृहस्थी का क्या होता???
पर सच कहूं... इन सारे उलझनों के बीच बस एक ही चीज़ अच्छी लगती थी, और वो थी माँ के चेहरे कि मुस्कराहट... जिसमें ज़रा-सी चिंता, ज़रा-सी मस्ती, ज़रा-सा भरोसा, ज़रा-सा चैन, ज़रा-सा आराम और ज़रा-सा गर्व होता है... और शायद में माँ के मन को ज़रा-सा समझ भी पाई हूँ... क्योंकि हमेशा मैं और मेरी बहन PAPA's Girls रहे... और लगता भी यही था कि माँ भाई को ज्यादा प्यार करती हैं, उसकी और माँ कि ज्यादा बनती है... पर नहीं... उनका असली ध्यान तो बेटियों के ऊपर रहता है... क्योंकि हम उनका गर्व होते हैं... ये बात माँ ने पहली बार मुझसे कही... कि माँ लड़कियों पे ज्यादा भरोसा कर सकती हैं और उन्ही पे ज्यादा डिपेंड भी हो सकती हैं... :)
और सच ये बात जानकर बहुत ही आश्चर्य हुआ... जो हम सोचते थे उससे बिल्कुल उल्टा... और बहुतhi सारी ख़ुशी...
आज के लिए इतना ही... बाकी ढेर सारी बातें धीरे-धीरे अलग-अलग पोस्ट्स में...
आज के लिए इतना ही....क्यों ?
ReplyDeleteअब जल्दी जल्दी ब्लॉग पर पोस्ट देनी है आपको वो भी ब्याज सहित :)
Welcome back!
वाह पूजा बिटिया ने तो कमाल कर दिया. इतना कुछ अकेले संभाल लिया .बहुत अच्छे. वैसे जैसा संस्कार मिलता है बच्चे समय आने पे वही दिखाते हैं. यह तुम्हारा तुम्हारे परिवार से प्रेम ही है जिसने तुमको सब कुछ सीखा दिया या कह लो जो सीखा था सब को दिखा दिया.
ReplyDeleteऔर यह हिंदी टाइपिंग नए ब्लॉगर ड्राफ्ट मैं नहीं है लगता है गूगल महाराज अभी कुछ समय और लेंगे उसको वापस लाने मैं. तब तक जी मेल कम्पोज़ जिंदाबाद
Welcome Back
ReplyDeletemoving words......excellent write!
Your sensitivity is excellent.....Pooja
ReplyDeletei m proud of u....
regards
sanjay
anubhawon ke raaste hi asli aagaj hote hain ... aur tab khud pe bharosa hota hai... badon kee khushi taakat ban jati hai
ReplyDeletePooja! Bahut,bahut achha laga padhke!
ReplyDeletethank you so much to all of you
ReplyDelete@Yashwant ji... ji ji, bas ab aa gai na, to jaldi jaldi...
@Masoom Uncle... ji bas sab aap logon ka saath aur aashirwaad hai... n google maharaj ko boliye jaldi line mein aa jae...
@bhai... thank you so much bhai... n thank you so much for being there always...
@Badi Maa... ji... sab aap logon ke aashirwaad ke karan hi sambhav ho paya... thank you so much for all the blessings...
@Kshama ji... bahut bahut shukriya...
हर इंसान में परिस्थितियों के अनुकूल अपने को ढ़ालने की क्षमता होती है, आपने उसका पूरा-पूरा उपयोग कर घर-परिवार में ख़ुशियां बिखेरीं, बहुत अच्छा लगा यह सब पढ़कर।
ReplyDeleteशुभकामनाएं।
पूजा जी -आपने इन तीन महीनों में पाए अनुभवों को बहुत भावमयी पोस्ट द्वारा प्रस्तुत किया है .माँ के प्रति आपकी भावनाएं बहुत सुन्दर है .आभार
ReplyDeletehmmm chalo achcha laga ki ab sab thik hai.... aise hi sabka khayaal rakhna.....
ReplyDeletepooja mujhe bhi bata do kaise hindi post ki mai bhi kaphi pareshan hun. achha sabse pahle tumhe bhut bhut badhi ki tumne phir se likhna shuru kiya
ReplyDeleteमेरी तरफ तो आपका ध्यान ही नहीं.
ReplyDeleteफिर मैं आपको क्या कहुं.
सुलेखन केलिए आपका बहुत बहुत स्वागत है.
गृहणियों को मेरा भी प्रणाम, बड़ी ही मेहनत का कार्य है।
ReplyDeleteसब कुछ अच्छा अच्छा ही रहे.हार्दिक शुभकामनायें.
ReplyDeleteस्वागत है । जहां तक मेरी समझ है नए गूगल के नए डैशबोर्ड के टायपिंग बोर्ड में भी हिन्दी फांट है। मैं तो उसका ही उपयोग कर रहा हूं। आप भी एक बार फिर से देखें।
ReplyDelete*
असल में कोई भी काम चाहे वह घर का हो या बाहर का दोनों ही मेहनत मांगते हैं। और हर कोई वह कर भी सकता है,केवल एक बार उस परिस्थिति में पड़ने की जरूरत होती है।
घर को सन्भालना बहुत मुश्किल कम है
ReplyDeleteबधाई की आपने इस मुश्किल काम को आसानी से कर लिया
आभार
वाह...बहुत ही बढि़या ...अनुभवों का खजाना लुटाती यह पोस्ट ...शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteवेलकम पूजा ! आपका आना अच्छा लगा ..
ReplyDeleteपरिस्थितियां सब कुछ सिखा देती हैं, पूजा !
ReplyDeleteवापसी पर स्वागत है.
बहुत दिन बाद आई हो अच्छा लगा ....
ReplyDeleteशुभकामनायें पूजा !
Wah.. Bahut khoob..!
ReplyDeletesabse pahle to apne jo Mommy ji ka itna khayal rakha.
iske liye apko "BEST BETI" ka award mere taraf se. :)
Dusari bat ,,,,,
jo halat ke anusar sab kux sambhal le .. aur kisi ko pata bhi na chale use hi ham... BETI, BAHAN, BIBI, & MAA kahte hain.
So congratulate di..
ghar ane par achcha-2 khane ko to milega.:):):)
लम्बे अंतराल के बाद इतने सारे अनुभवों को साझा करती उपरोक्त पोस्ट के साथ ब्लॉग जगत आपकी वापसी स्वागत योग्य है.
ReplyDeleteस्वागत है..कोमल अहसासों से परिपूर्ण बहुत संवेदनशील प्रस्तुति..
ReplyDeleteLong gap but you are finally back with a bang. Continue with your blogs. There is something in your write-ups which really amazes me.
ReplyDeleteइस बार सिर्फ शुभकामनायें ही दूँगा |आप अब सदैव खुशहाल रहें |किसी कवि ने संभवतः नीरज जी ने कहा है -हारे हुए परिंदे जरा उड़ के देख तो /धरती से आ लगेगी ये छत आसमान की |
ReplyDeleteभावुक और संवेदनशील आलेख..
ReplyDeleteहालातों का कितनी सहजता से मुकाबला किया जाए, ये बहुत जरूरी है।
अच्छा लगा।
ख़ुश आमदीद !
ReplyDeleteसमय के साथ बहुत सी नई बातें सामने आती हैं, जिन्हें हम नजरअंदाज करते रहे हैं.
ReplyDeleteकल 03/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
aap sabhee ka bahut-bahut shukriya... ye sab aap logon ki best wishes se hi possible hua hai... so keep wishing... :)
ReplyDelete@Manoj ji... thank you so much... ji sahi hai...
@Shikha ji... maa ke liye jitna karo kam hai... unki jagah hamesha khaas hoti hai... thank you so much...
@Vandana... thank you so much... aap log you hi support karte rahiyega...
@Sandhya ji... thank you so much... waise ab to sab theek ho gaya hai, but Gmail mei hindi ka option hamesha ke liye hai...
@Rakesh ji... M so sorry... nest time ye galti nahi hogi... thank you so much...
@Praveen ji... ji... hamesha... pata nahi kaise sambhalti hain...
@Bauji... thank you so much... n isi tarah mere sar par haanth rakhiyega...
@Rajesh Uncle ji... ji ab problem nahi hai... but us samay kuch prob thi... thank you so much... :)
@Deepak ji... thank you so much... always support as you all did...
@Sada ji... thank you so much... bas aise hi saath rahe... hamesha...
@Darshan ji... thank you so much... bas yun hi saath banaye rakhe...
@Dr. Sharad ji... ji... thank yous so much for this warm welcome...
ReplyDelete@Satesh Uncle ji... thank you so much... aur shubhkaamnao ke asli hakdaar aap sabhi jinhone hamesha mera maargdarshan kiya...
@Ravi... thank you so much frnd... n yes I'll try my best to maintain that position... n jab bhi ghar aaogey pakka badhiya-badhiya bana kar khilaungi... :)
@Bhakuni ji... shukriya... antaral kitna bhi bada ho khatm jaroor hota hai...
@Kailash Uncle ji... thank you so much... ahsaason ko sametne ki koshish ki hai bas...
@Sanjeev ji... thank you so much... its all b'caz of appreciation I always get from u all...
@Jaykrishna ji... bahut-bahut dhanyawaad... inhi shubhkaamnao ke sahare to yaha tak pahuchi hu... ummed hai aage bhi yunhi saath rahegi... aur NEERAJ JI ki panktiyon se mere blog ko nawazne ka bahut-bahut abhaar...
@Mahndra ji... thank you so much... yunhi srahate rahiye... main koshishon mei yunhi juti rahungi...
@Anwar ji... bahut-bahut shukriya... :)
@Abhishek ji... ji??? well, thank you so much... par kuch baatein nazarandaaz nahi ki jaa sakti...
@Yashwant ji... thank you so much... ji jaroor waha pahuchati hu... net ke prob ki wajah se pahuch nahi aai thi...
ReplyDeleteपूजा जी
ReplyDeleteवापसी की मुबारकबाद !
आभार !!
बहुत मन से लिखती हैं आप
एक बहुत ख़ूबसूरत रचना की कुछ पंक्तियां आपके लिए -
चलो ...
थोड़े स्वार्थी हो जाते हैं
कुछ पल चुराते हैं....
बहुत मुस्कुरा लिए औरों के लिए ,
चलो एक बार अपने लिए मुस्कुराते हैं...
बहुत हुआ दूसरों की धुन गुनगुनाना,
चलो अब अपनी एक धुन बनाते है...
चलो कुछ पल चुराते हैं...
थक गए ये हाथ कागज़ में sketch बनाते-बनाते,
चलो अब आसमां में उंगलियां चलाते हैं...
... ... ... ... ...
चलो किसी अजनबी को अपना बनाते हैं...
चलो कुछ पल चुराते हैं...
:)
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
मेरे द्वारा कोट की गई इस ख़ूबसूरत रचना के लिए विलंब से ही सही … बहुत बहुत बधाई स्वीकार कीजिएगा …
ReplyDeleteआइंदा ऐसी सुंदर कविता पोस्ट करें तो कृपया , मेल द्वारा सूचित करने का कष्ट करें … ताकि पढ़ने से वंचित न रहूं … … …
परिस्थितियों के कारण नेट पर बहुत बार सक्रिय नहीं रह पाता मैं …