समाचार...


समाचार... NEWS{North East West South}
खबरें... आजू-बाजू की, अडोस-पड़ोस की, गली-मोहल्ले की, गाँव-शहरों की, जिले-राज्य की, देश-विदेश की...
ढेर साड़ी खबरें... यानी खबरों का पुलिंदा...
याद करो... जब किसी से मिलते हैं, या फ़ोन करते हैं... सवाल:- "और क्या हाल समाचार हैं?" या जवाब "आगे के समाचार यह हैं की"
मतलब, रोज़मर्रा में इस्तेमाल होने वाला शब्द...
अब यदि इसका संधि-विक्छेद करें तो... समाचार:- सम+ अचार {some pickle}
अचार... कभी खट्टा,कभी मीठा, कभी तीखा, तो कभी चटपटा... पर कभी-कभी सड़ा हुआ भी निकल जाता है...
चाहे खट्टा हो, मीठा हो, तीखा हो या चटपटा... हमारे पूरे खाने का स्वाद बढ़ा देता है... और सबसे ज्यादा पसंद तो चटपटा ही किया जाता है... पर यदि धोखे से सड़ा निकल गया तो पूरा-का-पूरा स्वाद भी बिगाड़ देता है...
बस यही हाल हमारी खबरों का भी है... यदि अच्छी है तो ठीक है, वरना कभी-कभी तो ऐसी-ऐसी खबरें सुनने को मिलती है की लगता है कि क्या वाकई ऐसी खबरों को सुनने या देखने वाले हैं हमारे देश में???
याद है, पहले सिर्फ दूरदर्शन {DD} ही एकलौता channel था, उसमें समाचार आते थे, दिन में तीन बार, सुबह,दोपहर और शाम... और रविवार को दोपहर में संस्कृत और मूक-बधिरों वाली भी आती थी...
पर अब, अब तो जैसे news-channels कि बाढ़ सी आ गयी है... बस आप channels बदलते जाइए और आपकी TV screen ढेर सारे news-channels मिलते जायेंगे... अलग-अलग प्रदेश कि, अल-अलग भाषाओँ के, परन्तु जो दो सबसे प्रचलित भाषाएँ हैं, हिंदी एवं इंग्लिश, उनके तो जैसे भरे पड़े हैं... कई news-channels तो या सिर्फ खेल जगत की खबरों के प्रसारण के लिए होते हैं, कुछ व्यवसाय से जुड़ी या फिर लोकसभा या राज्यसभा से जुड़ी खबरों के प्रसारण के लिए होते हैं...
अब यदि इतने news-channels हैं तो इनके फायदे और नुक्सान भी हैं...
फायदे... सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि, अब हमें सुबह से दोपहर या दोपहर से शाम तक का इंतज़ार नहीं करना पड़ता है समाचार जानने के लिए, बस घटना घटी या दुनिया में कहीं भी किसी भी कोने में कुछ हुआ और उसकी खबर हम तक पहुँच जाती है... वरना पहले, यदि धोखे से रात के समाचार नहीं देख पाए तो दुसरे दिन तक इंतज़ार करना पड़ता था, अखबार का... और-तो-और ये news-channels कुछ बड़ी जनहानि वाली घटना घटने पर कई help-lines भी चलते हैं, जो बहुत ही मददगार साबित होती हैं... जैसे, 26/11, या train accidents...
अब आप कहेंगे कि इतने सारे फायदे हैं तो नुकसान कैसे? वो ऐसे, कि खबरें उतनी नहीं हैं जितने उन्हें हम तक पहुँचाने वाले... अब ये लोग ऐसे में करें भी तो क्या करें??? तो इसका भी हल होता है इनके पास... या तो किसी बड़ी खबर {जो उस दिन की सबसे बड़ी खबर हो} को दिनभर देखाते हैं, उसपर लोगों से उनके विचार पूछते हैं, अपने विचार व्यक्त करते हैं, पोलिंग करवाते हैं, या चर्चाएँ बिठाई जाती हैं... और वैसे भी हमारा देश एक ऐसा देश है जहाँ दिन-रात कुछ-न-कुछ घटता ही रहता है, तो इन channels वालों को ज्यादा तकलीफ नहीं होती...
खैर... चलिए, कोई समाचार देखते हैं... देखते हैं कहाँ क्या हो रहा है... ;-)
बस यूँही ही खबर सुनते रहिये, सुनाते रहिये... एक-दुसरे की खबरों में बने रहिये...

10 comments:

  1. बहुत शानदार अभिव्यक्ति! ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है।


    कृपया शब्द पुष्टिकरण हटा लें!



    कभी पधारें : http://gautamdotcom.blogspot.com






    "रामकृष्ण गौतम"

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  2. kya bat hai, din me 3 bar news ka hawala dete hue aapne bahut kuchh yad dila diya, jaise ki chunav ke samay 3-4 din tak chalne wali samikshha aur unke bich me dikhai jane wali old-gold filmein....
    khair, yaadein hain, yadein rahengi...

    aapki About me wali lines ekdam shandar hai, like it

    shubhkamnao ke sath swagat hai hindi blog jagat me...

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  3. बढ़िया लिखा है....लेकिन एक गलती हो गयी, खाने वाला अचार होता है न कि आचार,....आचार का अर्थ आचरण से है...अगर प्रयोग है तो अच्छा है

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  4. A big Thank you to all of you...

    @Ramkrishna... Thank you so much, sure I will
    @Sanjeet... ji bas wahi yaadein hi baaki rah gayi hain... thank you
    @Shashank... thank you so much, yes sure... I did, and thank you for noticing and telling me my mistakes...
    @yugal... thank you

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  5. इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  6. @uthojago, N ram and Sangeeta puri ji... thank you so much...

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  7. कली बेंच देगें चमन बेंच देगें,

    धरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,

    कलम के पुजारी अगर सो गये तो

    ये धन के पुजारी वतन बेंच देगें।

    हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . नीचे लिंक दिए गये हैं . http://www.janokti.com/ , साथ हीं जनोक्ति द्वारा संचालित एग्रीगेटर " ब्लॉग समाचार " http://janokti.feedcluster.com/ से भी अपने ब्लॉग को अवश्य जोड़ें .

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