मृत्यु के पहले... मृत्यु...

मृत्यु के बाद जीवन है???
है या नहीं है?
पता नहीं...
यदि है...
तो कैसा है? क्या है ?

पुनर्जन्म होगा???
होगा या नहीं?
पता नहीं...
यदि होगा...
तो की होगा? कहाँ होगा?

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ये सवाल...
और इनसे घिरे हम
हमारा समाज
हमारा दिल
हमारा दिमाग़
हमारा कर्म
हमारा अस्तित्व...

अभी मिले इस जीवन को मृत्यु की संज्ञा क्यों दे रहा है???
क्या अभी मिली इन साँसों को जीने की जगह
हम इन्हें भोग रहे हैं???
इन मिले पलों को बिना गवाएं
क्या हम नहीं जी सकते???
उस पार की चिंता छोड़
हम इस पार नहीं जी सकते???
...

35 comments:

  1. पूजा कल मैंने अमन का पैग़ाम पे एक लेख लिखा था की "हममें से जो अक़लमंद हैं वो हर विषय का सही विश्लेषण करते है" मुझे क्या पाता था की दो दिन मैं ही उदाहरण भी मिल जाएगा. बहुत अच्छा लिखा है.

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  2. Haaan! Sash kaha...jo aaj hai,usee me hane jeena chahiye...shayad apne kiye karmon ke parinamon se ham itna darte hain,ki har samay kalki sochte hain!

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  3. सुन्दर और शब्दों के माया जाल से दूर एक नायाब अभिव्यक्ति !

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  4. केवल और केवल आज की चिंता करें कहीं यह दिन बेकार न हो जाए ! भूत गुजर गया और भविष्य का पता नहीं ...
    आज को हँसते हुए जीना है ...जीवन का एक एक क्षण हँसते हुए जीना है :-))
    शुभकामनायें पूजा !

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  5. साँसें चलती रहती हैं , प्रश्न उमड़ते रहते हैं ... इसे ही जिज्ञासा कहते हैं , और जिज्ञासा खोज है . खोज ना हो तो प्राप्य कैसा !

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  6. ज़िन्दगी एक सफ़र है इसे तय करना ही पड़ता है ! अब रो कर करो या हंस कर ये आदमी पर है !

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  7. bhawishy ki chinta main aksar hum apna vrtman bhi theek se jee nahi paate hain ,aapke prashn jayaj hain lakin karen kya , aankhir hum insaan jo hain,

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  8. यह मानवीय प्रवृत्ति है की वह वर्तमान हालातों में चीज़ों कप अपने नज़रिए से विश्लेषित करता है.

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  9. सच कहा, मृत्य की प्रतीक्षा में जीवन ही न ढल जाये।

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  10. बहुत सही कहा आपने!

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  11. बस आज के लिए ही जीना जिन्दगी है
    कल जो होगा देखा जायेगा
    बहुत अच्छी बात कही है आपने

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  12. हम जीवन में हमेशा इन प्रश्नों का हल ढूंढने की कोशिश करते हैं ..लेकिन इन प्रश्नों का हल हमें नहीं मिल पाता , यह भी एक रहस्य है .....लेकिन इस रहस्य का हल भी ढूंढा जा सकता है ...आपने एक चिंतनीय कविता रची है ..जीवन सन्दर्भों को उद्घाटित करती हुई ..आपका आभार

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  13. बेहद सुन्दर विश्लेषण्……इसी को सही ढंग से जी ले तो जीवन सफ़ल होगा।

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  14. बहुत ही सुन्‍दर एवं बेहतरीन ।

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  15. jivan ko behatar kaise banaya jaa sakta hai isko chodkar verth ke prshnome hi jivan beet jata hai......
    achi lagi aapki rachna....

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  16. बेहद पेचीदा प्रश्नों के उत्तर ढूंढनेका प्रयास , सुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई

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  17. बहुत सही कहा है..आज में जियो, कल का किसे पता..कल की चिंता में आज को क्यों खराब किया जाए.सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  18. बहुत अच्छी बात कही है आपने
    बेहद सुन्दर विश्लेषण्

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  19. कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
    बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

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  20. सही कहा आपने,
    इस पार जो है, उसे ही सही ढंग से जी लें ...।

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  21. अभी तो आप जीवन के बारे में ही सोचिये |होली के रंगों के बारे में सोचिये |सुंदर विश्लेष्णात्मक कविता बधाई |होली की रंगभरी शुभकामनाएं |

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  22. जब इधर चिंता बढने लगती है तो उधर की सोचता है ..
    इधर जब कोई चिंता न हो बाकी तो उधर की सोचता है ..
    इतना विशाल अस्तित्व देखकर मानता ही नहीं इंसान कि इस ज़िंदगी से परे कुछ नहीं , ये कभी प्रश्न रहता है और कभी उत्तर !एक विडम्बना !
    अच्छा विचारोत्तेजक लेखन ! शुभकामनाएँ !

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  23. पूजा जी बहुत सुन्दर और बिल्कुल सही फ़रमाय आपने

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  24. Jo nischit se anischit ki oar jata hai uska na nischit hota hai aur na anischit...Jeevan ke uss par ki anischitta se pare agar jeevan ki nischitta ko jiya jaaye to jayada uttam.Aapne nahut hi sateek prash bare hi nirale andaz me uthaya hai...badhayi.

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  25. सही कहा आपने...जो है उसे तो पहले ठीक से जी लें...
    जीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।

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  26. "जिंदगी एक सफर है सुहाना ,यहाँ कल क्या हो किसने जाना
    जान जानी है जायेगी एक दिन ,मौत आनी है आएगी एक दिन
    ऐसी बातों से क्या घबराना "
    सुंदर भाव एवम प्रेरणा से पूर्ण प्रस्तुति.बहुत बहुत आभार .
    मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'पर आपका स्वागत है.
    होली के सुअवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएँ.

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  27. आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  28. आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.

    सादर

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  29. सुन्दर रचना



    कृपया जापान के प्रकृतिक आपदा का उपहास उडाने वालों के विरुद्ध मेरा साथ दे इस पोस्ट पर http://ahsaskiparten-sameexa.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

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  30. हफ़्तों तक खाते रहो, गुझिया ले ले स्वाद.
    मगर कभी मत भूलना,नाम भक्त प्रहलाद.

    होली की हार्दिक शुभकामनायें.

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  31. बहुत सुन्दर ! उम्दा प्रस्तुती! ! बधाई!
    आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  32. जीवन के एक बड़े उपापोह को आपने उकेर के रख दिया हैं अति उत्तम

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  33. हमें वर्तमान को ही जीना चाहिए, लेकिन भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए..

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