मृत्यु के बाद जीवन है???
है या नहीं है?
पता नहीं...
यदि है...
तो कैसा है? क्या है ?
पुनर्जन्म होगा???
होगा या नहीं?
पता नहीं...
यदि होगा...
तो की होगा? कहाँ होगा?
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ये सवाल...
और इनसे घिरे हम
हमारा समाज
हमारा दिल
हमारा दिमाग़
हमारा कर्म
हमारा अस्तित्व...
अभी मिले इस जीवन को मृत्यु की संज्ञा क्यों दे रहा है???
क्या अभी मिली इन साँसों को जीने की जगह
हम इन्हें भोग रहे हैं???
इन मिले पलों को बिना गवाएं
क्या हम नहीं जी सकते???
उस पार की चिंता छोड़
हम इस पार नहीं जी सकते???
...
पूजा कल मैंने अमन का पैग़ाम पे एक लेख लिखा था की "हममें से जो अक़लमंद हैं वो हर विषय का सही विश्लेषण करते है" मुझे क्या पाता था की दो दिन मैं ही उदाहरण भी मिल जाएगा. बहुत अच्छा लिखा है.
ReplyDeleteHaaan! Sash kaha...jo aaj hai,usee me hane jeena chahiye...shayad apne kiye karmon ke parinamon se ham itna darte hain,ki har samay kalki sochte hain!
ReplyDeleteसुन्दर और शब्दों के माया जाल से दूर एक नायाब अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteकेवल और केवल आज की चिंता करें कहीं यह दिन बेकार न हो जाए ! भूत गुजर गया और भविष्य का पता नहीं ...
ReplyDeleteआज को हँसते हुए जीना है ...जीवन का एक एक क्षण हँसते हुए जीना है :-))
शुभकामनायें पूजा !
साँसें चलती रहती हैं , प्रश्न उमड़ते रहते हैं ... इसे ही जिज्ञासा कहते हैं , और जिज्ञासा खोज है . खोज ना हो तो प्राप्य कैसा !
ReplyDeleteज़िन्दगी एक सफ़र है इसे तय करना ही पड़ता है ! अब रो कर करो या हंस कर ये आदमी पर है !
ReplyDeletebhawishy ki chinta main aksar hum apna vrtman bhi theek se jee nahi paate hain ,aapke prashn jayaj hain lakin karen kya , aankhir hum insaan jo hain,
ReplyDeleteयह मानवीय प्रवृत्ति है की वह वर्तमान हालातों में चीज़ों कप अपने नज़रिए से विश्लेषित करता है.
ReplyDeleteसच कहा, मृत्य की प्रतीक्षा में जीवन ही न ढल जाये।
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने!
ReplyDeleteबस आज के लिए ही जीना जिन्दगी है
ReplyDeleteकल जो होगा देखा जायेगा
बहुत अच्छी बात कही है आपने
हम जीवन में हमेशा इन प्रश्नों का हल ढूंढने की कोशिश करते हैं ..लेकिन इन प्रश्नों का हल हमें नहीं मिल पाता , यह भी एक रहस्य है .....लेकिन इस रहस्य का हल भी ढूंढा जा सकता है ...आपने एक चिंतनीय कविता रची है ..जीवन सन्दर्भों को उद्घाटित करती हुई ..आपका आभार
ReplyDeleteबेहद सुन्दर विश्लेषण्……इसी को सही ढंग से जी ले तो जीवन सफ़ल होगा।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर एवं बेहतरीन ।
ReplyDeletejivan ko behatar kaise banaya jaa sakta hai isko chodkar verth ke prshnome hi jivan beet jata hai......
ReplyDeleteachi lagi aapki rachna....
bahut khubshurat rachna...
ReplyDeleteबेहद पेचीदा प्रश्नों के उत्तर ढूंढनेका प्रयास , सुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई
ReplyDeleteबहुत सही कहा है..आज में जियो, कल का किसे पता..कल की चिंता में आज को क्यों खराब किया जाए.सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत अच्छी बात कही है आपने
ReplyDeleteबेहद सुन्दर विश्लेषण्
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteबहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
सही कहा आपने,
ReplyDeleteइस पार जो है, उसे ही सही ढंग से जी लें ...।
अभी तो आप जीवन के बारे में ही सोचिये |होली के रंगों के बारे में सोचिये |सुंदर विश्लेष्णात्मक कविता बधाई |होली की रंगभरी शुभकामनाएं |
ReplyDeleteजब इधर चिंता बढने लगती है तो उधर की सोचता है ..
ReplyDeleteइधर जब कोई चिंता न हो बाकी तो उधर की सोचता है ..
इतना विशाल अस्तित्व देखकर मानता ही नहीं इंसान कि इस ज़िंदगी से परे कुछ नहीं , ये कभी प्रश्न रहता है और कभी उत्तर !एक विडम्बना !
अच्छा विचारोत्तेजक लेखन ! शुभकामनाएँ !
पूजा जी बहुत सुन्दर और बिल्कुल सही फ़रमाय आपने
ReplyDeleteJo nischit se anischit ki oar jata hai uska na nischit hota hai aur na anischit...Jeevan ke uss par ki anischitta se pare agar jeevan ki nischitta ko jiya jaaye to jayada uttam.Aapne nahut hi sateek prash bare hi nirale andaz me uthaya hai...badhayi.
ReplyDeleteसही कहा आपने...जो है उसे तो पहले ठीक से जी लें...
ReplyDeleteजीवन दर्शन से परिपूर्ण सुंदर रचना के लिए बधाई।
"जिंदगी एक सफर है सुहाना ,यहाँ कल क्या हो किसने जाना
ReplyDeleteजान जानी है जायेगी एक दिन ,मौत आनी है आएगी एक दिन
ऐसी बातों से क्या घबराना "
सुंदर भाव एवम प्रेरणा से पूर्ण प्रस्तुति.बहुत बहुत आभार .
मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'पर आपका स्वागत है.
होली के सुअवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएँ.
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteआप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteसादर
सुन्दर रचना
ReplyDeleteकृपया जापान के प्रकृतिक आपदा का उपहास उडाने वालों के विरुद्ध मेरा साथ दे इस पोस्ट पर http://ahsaskiparten-sameexa.blogspot.com/2011/03/blog-post.html
हफ़्तों तक खाते रहो, गुझिया ले ले स्वाद.
ReplyDeleteमगर कभी मत भूलना,नाम भक्त प्रहलाद.
होली की हार्दिक शुभकामनायें.
-होली की बधाई --!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ! उम्दा प्रस्तुती! ! बधाई!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
जीवन के एक बड़े उपापोह को आपने उकेर के रख दिया हैं अति उत्तम
ReplyDeleteहमें वर्तमान को ही जीना चाहिए, लेकिन भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए..
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