सीध-साध हिंदी...

या ऊँ लिखिन दोहा
या फेर लिखिन चौपाई...
भक्तिरस मा लीन रहें
ता कईसन करतें बुराई?

अईसन डूबे देउता मा
रचि डारिन मानस...
कोऊ लिखिन रामायण
ते कोऊ महाभारत...

कोऊ अईसन लीन भा
के आपन घर-दुआर दीन्हिस छाँड़...
कोऊ बनीं दीवानी मूर्ति देख के
ते कोऊ चल दीन्हीहीं पूजै पहार...

बाह रे बड़े-बड़े रचियता
ते बाह रे ओन्खर गाथा...
सुन-सुन ओन्खर किस्सा कहानी
भैया चकराय लाग हमार माथा...

"अम्मा तैं दई दे हमहीं पूरी-तरकारी
जाहे मा पूर सार है"
हमसे बनत ही सीध-साध हिंदी
बाकी हमारे लाने सब बेकार है...


*ये हमारी क्षेत्रीय भाषा "बघेली" में मेरी पहली कोशिश थी... ये भाषा सरल एवं हिंदी से मिलती-जुलती है इसीलिए मैंने अर्थ नहीं लिखे, परन्तु यदि किसी को कहीं किसी शब्द का अर्थ समझने में दिक्कत हो तो कृपया बता दें... उम्मीद है की मेरी पहली कोशिश आपको पसंद आयेगी...
**मेरा किसी को कोई अघात पहुँचने का मकसद नहीं है... परन्तु यदि किसी को कोई बात ख़राब लगे तो क्षमा कीजियेगा...

59 comments:

  1. आदरणीय पूजा जी
    बहुत अच्छा लगा आपका यह प्रयास... बघेली... से पहली ही थोडा बहुत वाकिफ हूँ, तो समझ लिया कि आप क्या कहना चाहती हैं ..अंतिम दो पद्य बहुत सशक्त हैं ....बहुत खूब ....

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  2. पूजा जी उत्तर भारत की हिंदी से जुडी सभी भाषों और बोलियों में बहुत साम्य है संवेदना के स्तर अपर भी.. लोक रंग और मिठास है.. बघेली नहीं जानते हुए भी कविता की मिठास का आन्नद आ गया... कविता की ओपनिंग ही बहुत सुन्दर है.. शुभकामना सहित

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  3. बहुत सुन्दर प्रयास, जारी रखें।

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  4. खांडसारी यानी हिन्‍दी के बीच देशी गुड़ का स्‍वाद बहुत जरूरी है। इसलिए तुम यह गुड़ भी बनाती रहो। अपनी जमीन याद रहेगी।

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  5. वाह वाह वाह ..बहुत ही बढ़िया ..जारी रखो.

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  6. अरे क्या बात है बचपन याद आ गया. बहुत ही मिठास है इस बोली मैं. एक अच्छा प्रयास. ऐसे ही और भी लिखो ..

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  7. लोकभाषा में लिखी सुन्दर कविता बधाई |मेरा उत्साह वर्धन और सुन्दर कमेंट्स के लिए भी आपको शुभकामनायें |

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  8. बोलियों में लिखी कविताओं का अंदाज ही निराला होता है |इसका मीठापन अलग किस्म का होता है |लाजवाब बधाई |

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  9. अच्छा प्रयास लगे रहिये अपनी भाषा छूटने का अर्थ है आपने आपको खोना

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  10. shabd shadb to nahi samajh paayi, lekin nichod samajh me aaya ... prayaas bahut hi badhiyaa hai

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  11. बहुत अच्छा लगा आपका यह प्रयास... .बहुत खूब ....

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  12. ek khubsurat koshish........waise hamare kshetra ki bhasha bhi milti julti hai..:)

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  13. इतनी सरलता से आपने लिखा है कि अर्थ स्वतः स्पष्ट है और रसात्मकता भी बनी हुई है.
    बघेली भाषा से परिचित कराने और इस बेहतरीन रचना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

    सादर

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  14. अरे यह तो लग ही नहीं रहा कि आपका पहला प्रयास है ...वाह बहुत खूब ...इस प्रस्‍तुति के लिये ।

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  15. भई हमें तो लगा भोजपुरी है ... बहुत अच्छी लगी आपकी ये रचना ..

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  16. अरे वाह,एकदम अलग तरह की पोस्ट. थोड़ा धीरे धीरे पढ़ा तब लगा की ये तो हिंदी से कुछ मिलती-जुलती है. क्षेत्रीय भाषा पर भी आपको command है.ये देख कर अच्छा लगा.

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  17. बहुत सुन्दर..भाषा से अनजान होने पर भी भाव बहुत आसानी से मन को छू गए..

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  18. पूजा जी,
    बड़ी मिठास है बघेली भाषा मैं ! भोजपुरी से कुछ कुछ मिलती है !
    रचना अच्छी है !

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  19. sundar prayas. lokraag se anurag bana rahe. lok-pooja hi sachchi pooja hai.

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  20. bahut meethi lagi bagheli me rachit aapki kavita .badhai pratham prayas me itni sundar rachna ke liye .

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  21. बघेली भाषा में आपकी अभिव्यक्ति मन के संवेदनशील तारों को झंकृत कर गयी।भाषा मन को छू गयी।धन्यवाद।

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  22. साहित्य सृजन के लिए लोकभाषा एक सशक्त माध्यम है।
    आपकी कविता बहुत अच्छी बन पड़ी है।
    बघेली तो छत्तीसगढ़ी से बहुत कुछ मिलती है, इसलिए समझने में कोई कठिनाई नहीं हुई।

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  23. अरे पूजा जी ,
    ई बघेली तौ हमरे अवधी से बहुतै मिलत-जुलत है | बहुत मजा आवा यहि भाषा मा आपकै कविता पढिकय |

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  24. बहुत ही सरल शब्दों और भावों वाली कविता.

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  25. बहुत अच्छा लगा आपका यह प्रयास....रचना अच्छी है !

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  26. कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
    .......माफ़ी चाहता हूँ

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  27. बहुत अच्छा लगा आपका यह प्रयास|बहुत अच्छी रचना|

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  28. बघेली भाषा की मिठास में रची बसी कविता बहुत अच्छी लगी. आशा है आगे भी पढ़ने को मिलेगी. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  29. वसंत पंचमी की ढेरो शुभकामनाए....पूजा

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  30. बहुत सुंदर ... मन को भा गयी इस बोली की मिठास ......

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  31. वसंत पंचमी की ढेरो शुभकामनाए....

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  32. पूजा जी अच्छी रचना छेत्रिय बोली को नहीं जानते हुए भी बहुत मिठास लगी इस बोली में
    बसंत पंचमी की बहुत बहुत शुभकामनाए

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  33. आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
    सादर,
    डोरोथी.

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  34. bahut umda prayas......realy very nice

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  35. आपकी कविता में देशी घी जैसी महक है।

    ---------
    ब्‍लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।

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  36. बसंत पंचमी के अवसर में मेरी शुभकामना है की आपकी कलम में माँ शारदे ऐसे ही ताकत दे...:)

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  37. जिन भाषाओं में पर्याप्त साहित्य नहीं है अथवा उपलब्ध नहीं है,उनको ब्लॉग को इक्का-दुक्का लोग ही ला रहे हैं। यदि आप इस दिशा में लंबे समय तक काम कर सकें,तो कालांतर में बघेली भाषा-साहित्य के विकास में आपके योगदान को याद किया जाएगा।

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  38. बहुत खुबसूरत लिखा है आपने एसा लगा मानो किसी बच्चे के मुहं से सामने बैठा के सुन रहें हों !
    बहुत ही सुन्दर रचना !

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  39. bahut sundar prayas poojaji...jari rakhiye!!!!!!

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  40. क्या बात है पूजा जी. अपने इलाके की बोली में यहां पहली बार कोई रचना पढ रही हूं. मज़ा आ गया.

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  41. बहुत अच्छा लगा ... मानो मिटटी की सौंधी खुशबू हो कोई ...

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  42. आंचलिक भाषा के साथ देशज भाव ही सुहाते हैं, दोनों का सुंदर समन्‍वय है यहां.

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  43. बहुत सुन्दर कविता, मजा आ गया,
    यह भी आपका घर है. अवश्य पधारें........ हम इंतजार करेंगे.

    हरीश सिंह
    प्रचारक ------ AIBA http://allindiabloggersassociation.blogspot.com
    प्रचारक......... LBA http://lucknowbloggersassociation.blogspot.com
    संयोजक ------ UBA http://uttarpradeshbloggerassociation.blogspot.com

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  44. भाषा और भाव का सुंदर तालमेल.

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  45. @केवल जी, अरुण जी, प्रवीण जी, राजेश जी, शिखा जी, मासूम जी, जयकृष्ण जी, सुनील जी, बड़ी माँ, भाकुनी जी, मुकेश जी, यशवंत जी, सदा जी... आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया... प्रोत्साहन की आवश्यकता हमेशा रहेगी...

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  46. @दिगंबर जी, कुंवर जी, कैलाश जी, ज्ञानचंद जी, गिरीश जी, शिखा जी, प्रेम जी, महेंद्र जी, सुरेन्द्र जी, अनामिका जी, भाई... आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद... ऐसे उत्साहवर्धन की उम्मीद हमेशा रहेगी...
    ये भोजपुरी से तो मिलती ही है परन्तु अवधी से ज्यादा मिलती है...

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  47. @अभिषेक जी, संतोष जी, पताली, डोरोथी जी, मोनिका जी, अमरजीत जी, वंदना जी, अमरेन्द्र जी, रजनीश जी, कुमार जी, समीर जी, मीनाक्षी जी... बहुत-बहुत धन्यवाद आप सभी का... यूँहीं हाथ थामे रहिये, यही गुज़ारिश है...

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  48. @अंकुर जी, वंदना जी, इन्द्रनील जी, राजेश जी, हरीश जी, राहुल जी... बहुत-बहुत शुक्रिया... मार्गदर्शन की कामना हमेशा हे रहती है...

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  49. अच्छे सृजन के लिए शुभकामनायें पूजा !!

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  50. @सतीश अंकल... बहुत-बहुत धन्यवाद... आशीर्वाद की हमेशा कामना रहेगी...

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  51. Dear Pooja,
    Nice poem , As i had a blog based on bagheli language ie http://aapanbagheli.blogspot.com/ . Can i post your poem in my blog in yours name.

    Regards
    Rewa India
    therewacity@gmail.com

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  52. hey pooja ji .i am preet arora.plz give me ur email adress .thanks

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  53. बहुतै बढ़िया लिखेव हौ....

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  54. बहुते सुंदर लगे तोहार लिखावट

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  55. good effort! being from rewa can not stop appreciating the flavor and fervor of your poem in a langg. which is so close to the heart...

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