Desires
कुछ अनकही बातें और कुछ अनछुई चाहतों को नाम देने की कोशिश...
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वो सीली-सीली यादें...
धो-पोंछ के रख दी थी न हर बात???
उलझी-बिखरी,
खट्टी-मीठी,
इधर-उधर की... हर याद
हर हंसी,
हर मज़ाक,
हर अठखेली,
हर फ़रियाद,
हर अहसास,
हर जज़्बात...
फिर क्यों, यूं अचानक???
वापस आ रहे हैं वो पल...
और क्यों सता आ रहीं हैं
उन पलों की वो सीली-सीली यादें...
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