मिठाइयाँ... मिठाइयाँ... मिठाइयाँ... सधन्यवाद...


जैसा कि आप सब जानते ही हैं कि हमारे भाई जी, अरे अपने संजय भाई {संजय भास्कर}, ये बहुत ही प्यारी-सी भाभी ले आए हैं...भाई को तो आप जानते ही हैं... चलिए आपको अपनी भाभी से मिलवाते हैं...
प्रीती
भाभी... वो बिल्कुल अपने नाम कि तरह हैं... और उनकी आवा तो बस पूछि मत, बहुत ही मीठी... कहें तो प्यारी, मीठी बोली वाली, समझदार, अकल्मन्द, आल-इन-आल, सर्वगुण संपन्न...
ये खबर तो आप लोगों को मिल ही गई है... और बहुत खुशी हुई कि आप लोगों ने अपने ढेर सारे प्यार और आशीर्वाद से इस जोड़ी को नवाज़ा है... बहुत-बहुत धन्यवाद...
हाँ बस आप लोगों का मुंह मीठा करवाना बाकी रह गया था... तो लीजिये पेश है आप लोगों की खिदमत-ए-मिठाई...

सुस्वागतम...

होली आ गई...



आप सब को
होली की
ढेर सारी...

शुभकामनाएं....

मृत्यु के पहले... मृत्यु...

मृत्यु के बाद जीवन है???
है या नहीं है?
पता नहीं...
यदि है...
तो कैसा है? क्या है ?

पुनर्जन्म होगा???
होगा या नहीं?
पता नहीं...
यदि होगा...
तो की होगा? कहाँ होगा?

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ये सवाल...
और इनसे घिरे हम
हमारा समाज
हमारा दिल
हमारा दिमाग़
हमारा कर्म
हमारा अस्तित्व...

अभी मिले इस जीवन को मृत्यु की संज्ञा क्यों दे रहा है???
क्या अभी मिली इन साँसों को जीने की जगह
हम इन्हें भोग रहे हैं???
इन मिले पलों को बिना गवाएं
क्या हम नहीं जी सकते???
उस पार की चिंता छोड़
हम इस पार नहीं जी सकते???
...

ये एक साल...

21 फरवरी 2010...
1st post... :- DESIRES FROM THE ONE YOU LOVE...
जब मैनें इस ब्लोगिंग की दुनिया में कदम रखा...
न रास्ते पता, न मंज़िल...
न ही यहाँ के तौर-तरीके...
न लोगों से पहचान...
न ही कोई बैकग्राउंड...
न लिखना आता था, न ही कोई बतानेवाला की कैसे लिखा जाता है...
बस एक पेन, कुछ सपने और
लिखने का शौक लेकर आई थी...

एक डर था की कैसे लोग होंगें...
अपनायेंगें या नहीं???
मुझे इस दुनिया में अपनी जगह बनाने देंगें या नहीं???
पर दोस्त थे...
एक आदित्य और एक शैलेश...
वो इस दुनिया में कदम रख चुके थे...
आदित्य जी ने तो मुकाम भी बना लिया था...
यहाँ आकर लिखने की सलाह भी कुछ दोस्तों ने ही दी थी...
सो मैं अपना बोरिया-बिस्तर उठा चली आई...

जब यहाँ पहुँची...
जितना सोचा था उससे कहीं बड़ी थी ये दुनिया...
सोच थी की लिखनेवाले तो सभी अच्छे ही होते हैं...
पर वो भ्रम भी टूटा...
पर...
उसकी एवज मैं बहुत से अच्छे और अच्छे लोग मिले...
जिनसे साथ माँगा...
उन्होंने पूरा साथ दिया
जिनसे समय माँगा...
दिन-रात दे दिए...
कुछ अन्जाने से लोग मेरे अपने हो गए...
एक अलग ही रिश्ता कायम हो गया इस दुनिया से...
यहाँ एक छोटा सा आशियाना मेरा भी हो गया...

आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया, जिन्होंने मुझे ये सफ़र यहाँ तक तय करने में हमेशा ही सहयोग प्रदान किया...
इस आशीर्वाद की हमेशा जरूरत रहेगी...
और बहुत ज्यादा रहेगी... :)












जानती हूँ मुझे ये पोस्ट 21 तारिख को ही लिखनी चाहिए थी... पर सीढियों से गिरजाने के कारण असमर्थ थी...
इसीलिए... आज कुछ ठीक लगा... हिम्मत जुटा कर लिख दी...