सीध-साध हिंदी...

या ऊँ लिखिन दोहा
या फेर लिखिन चौपाई...
भक्तिरस मा लीन रहें
ता कईसन करतें बुराई?

अईसन डूबे देउता मा
रचि डारिन मानस...
कोऊ लिखिन रामायण
ते कोऊ महाभारत...

कोऊ अईसन लीन भा
के आपन घर-दुआर दीन्हिस छाँड़...
कोऊ बनीं दीवानी मूर्ति देख के
ते कोऊ चल दीन्हीहीं पूजै पहार...

बाह रे बड़े-बड़े रचियता
ते बाह रे ओन्खर गाथा...
सुन-सुन ओन्खर किस्सा कहानी
भैया चकराय लाग हमार माथा...

"अम्मा तैं दई दे हमहीं पूरी-तरकारी
जाहे मा पूर सार है"
हमसे बनत ही सीध-साध हिंदी
बाकी हमारे लाने सब बेकार है...


*ये हमारी क्षेत्रीय भाषा "बघेली" में मेरी पहली कोशिश थी... ये भाषा सरल एवं हिंदी से मिलती-जुलती है इसीलिए मैंने अर्थ नहीं लिखे, परन्तु यदि किसी को कहीं किसी शब्द का अर्थ समझने में दिक्कत हो तो कृपया बता दें... उम्मीद है की मेरी पहली कोशिश आपको पसंद आयेगी...
**मेरा किसी को कोई अघात पहुँचने का मकसद नहीं है... परन्तु यदि किसी को कोई बात ख़राब लगे तो क्षमा कीजियेगा...